नशा मुक्ति के लिए मितानिनों ने लिया संकल्प
रायपुर, 18 फरवरी 2020 — राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के निर्देश में नशा मुक्त शहर बनाने के लिए 9 वें चरण के तहत मितानिनों को प्रशिक्षण दिया गया।
आज राजधानी में शहरी मितानिनों ने समुदाय को तंबाकू व गुड़ाखू के सेवन से होने वाली बीमारियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नशा मुक्ति का संकल्प लिया| एरिया कॉडिनेटर सुश्री डीगेश्वरी पटेल ने बताया गैर संचारी रोग के रुप में नशा चाहे कोई भी हो शरीर के लिए घातक होता है। भारत में तंबाकू के सेवन से प्रतिवर्ष 8 से 9 लाख लोग जान गवांते हैं। तंबाकू खाने से लोगों में मुंह का कैंसर होने का खतरा बढ़ रहा है। तंबाकू, बीपी, हार्ट अटैक और लकवा जैसी गंभीर बीमारी को बढा़वा देता है।
ग्लोबल एडल्ट टोबाको सर्वे – 2016-17 के अनुसार,छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग किसी प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं। यह देश की औसत 28.4 % से अधिक है| इन में से 7.3% तम्बाकू का सेवन करने वालों ने 15 वर्ष की उम्र से पहले सेवन शुरू किया था,29% ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4% ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया था यानि औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तम्बाकू का सेवन शुरू किया गया था।
नशा करने से मनुष्य आर्थिक तंगी का शिकार भी हो जाता है। नशे की वजह से ज्यादातर महिलाएं घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव के शिकार हो रही हैं। उन्होंने बताया आज कल बच्चों में भी नशे की आदत लग रही है। इस लिए सभ्य समाज के निर्माण के लिए नशा मुक्ति संकल्प अभियान चलाकर लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी मितानिनों की होगी।
मितानिन ट्रेनर सुश्री सरिता साहू ने बताया मितानिन बहने इसके लिए अपने पारे में तंबाकू का सेवन रोकने के लिए मुहल्ले की बैठक लें और तंबाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी दें। स्कूल जाने की उम्र के बच्चे गुटखा, खैनी आदि से दूर रहें, इसके लिए स्कूल में जाकर बच्चों को समझाना भी चाहिए। मुहल्ले में तंबाकू के विरोध में रैली निकालकर, वॉल पेंटिंग के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जाए। तंबाकू के प्रयोग से नपुंसकता, प्रजनन क्षमता में कमी, धूम्रपान से सांस संबंधी रोगों तथा कान के रोगों का शिकार बन सकते हैं।
प्रशिक्षण में मितानिन हेमिन कश्यप, ऋतु पटेल, ज्योति पॉल, मोहनी साहू, रामेश्वरी महिलांगे, लक्ष्मी साहू, कांति व चमेली घृतलहरे सहित अन्य भी उपस्थित रहीं।