भूपेश टैक्स का जरिया बना शराब का धंधा- उपासने

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रायपुर , 25 फरवरी 2020 — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा है कि पूर्ण शराबबंदी का वादा करके छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस की सरकार अब इस मुद्दे पर राजनीतिक नौटंकी कर रही है। श्री उपासने ने कहा कि शराबबंदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार जिस तरह जुमलेबाजी और शिगूफेबाजी करके प्रदेश के लोगों को भ्रमित कर रही है, प्रदेश में शराबखोरी बढ़ती जा रही है, जो गहन चिंता का विषय है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि कांकेर-धमधा क्षेत्रों में फिर एमपी का शराब का पकड़ा जाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्रदेशभर में तस्करी की शराब खपाने का गोरखधंधा जारी है और प्रदेश सरकार व नौकरशाह करोड़ों रुपए के अवैध कारोबार के इस मामले में मौन साधे बैठे हैं। इस समूचे गोरखधंधे को प्रदेश सरकार व सत्तारूढ़ दल के नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। संभाग के एक कांग्रेस विधायक द्वारा शराब के अवैध कारोबार को खुला संरक्षण देने की खबरें अखबारों में छपी हैं। श्री उपासने ने कहा कि एक तरफ प्रदेश में मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के शराब की तस्करी कर करोड़ों रुपयों का अवैध कारोबार प्रदेश सरकार के संरक्षण में चल रहा है, यह प्रदेश सरकार की छलपूर्ण कार्यप्रणाली का जीता-जागता नमूना है। श्री उपासने ने तो इस बात पर भी हैरत जताई है कि अब प्रदेश सरकार शराबबंदी के वादे से मुकरकर मदिराप्रेमियों की सुविधा के लिए पूरे प्रदेशभर में चखना सेंटर की जगह लाइसेंसी सरकारी अहाता की खुलवाने जा रही है और इसके लिए ठेका पध्दति लागू करने के लिए प्रारूप बनाने पर काम शुरू होने की चर्चा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार पूर्ण शराबबंदी के वादे पर अमल की बात करती है और दूसरी तरफ शराब की तस्करी और अवैध कारोबार को अपने राजनीतिक संरक्षण में चलने दे रही है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कांग्रेस नेताओं, विधायकों व प्रदेश सरकार के संरक्षण में क्या शराब के इस गोरखधंधे के बहाने ‘भूपेश टैक्स’ के तौर पर अवैध उगाही का शर्मनाक दौर चल रहा है? क्या सरकार व प्रशासनिक मशीनरी इसीलिए इस गोरखधंधे की ओर से आंखें मूंदे बैठी हैं? श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार को शराबबंदी के मुद्दे पर अपनी नाकामियों पर शर्म महसूस करनी चाहिए और शराबबंदी के लिए अपने वादे के मुताबिक ईमानदारी से काम करना चाहिए। गंगाजल हाथ में लेकर कसमें खाने वालों को वादाखिलाफी और जुमलेबाजी से बाज आना चाहिए।

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