फर्जी राशन कार्ड मामले में ईओडब्लू ने दर्ज की FIR…

0

रायपुर , 18 मार्च 2020 — फर्जी राशन कार्ड मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इस एफआईआर को नान घोटाला मामले की जांच में सामने आए तथ्यों से जोड़कर देखा जा रहा है। तत्कालीन रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2013 में बड़ी तादात में फर्जी ढंग से राशन कार्ड बनाए गए थे। आरोप था कि चुनावी फायदा उठाने के लिए फर्जी राशन कार्ड बनाए गए। तब विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। मामला कोर्ट तक पहुंचा लेकिन ईओडब्ल्यू ने खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई है। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक कुल 11 लाख 8 हजार 515 टन चावल निरस्त राशनकार्डों में वितरित कर दिया गया। इससे शासन को 2 हजार 718 करोड़ रूपए की हानि हुई थी। इस मामले में ईओडब्लू ने अज्ञात लोकसेवकों के खिलाफ भ्र.नि.अ. 1988 यथासंशेधित भ्र.नि.अ. (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7(C) एवं धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि के अंतर्गत दण्डनीय अपराध दर्ज किया है।

उपरोक्त राशन कार्ड बनाये जाने से पहले 2011 की आर्थिक सामाजिक जनगणना में  56,50,724 परिवार थे। उपरोक्त आधार पर निर्धारित 56,50,724 में से सामान्य परिवार की संख्या को घटाकर (लगभग 20 प्रतिशत) पात्रता अनुसार राशनकार्ड बनाये जाने थे जो लगभग 45 लाख राशन कार्ड होना चाहिए किंतु वर्ष 2013 के अंत तक कुल 71,30,393 राशन कार्ड बनाये गये जिससे लगभग 14.80 लाख राशनकार्ड बोगस बनाया जाना स्पष्ट परिलक्षित होता है।

खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मई 2013 से दिसम्बर 2013 तक प्रदेश के 27 जिलों में 71,30,393 राशन कार्ड बनाये गये तथा जुलाई 2013 से दिसम्बर 2013 तक 41,8,47 राशन कार्ड निरस्त किये गये, वर्ष 2014 में 72,9,99 राशन कार्ड बनाये गये तथा 5,54,231 राशन कार्ड निरस्त किये गये, वर्ष 2015 में 3638 राशन कार्ड बनाये गये तथा 3,19,134 राशन कार्ड निरस्त किये गये, वर्ष 2016 में 19,886 राशन कार्ड बनाये गये तथा 1,36,785 राशन कार्ड निरस्त किये गये थे।

खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष सितंबर 2013 एवं अक्टूबर 2013 में 72,3000 राशनकार्ड के लिये क्रमशः 2,23,968 एम.टी, 2,27,020 मेट्रिक टन चांवल का आबंटन जारी किया गया। माह नवंबर और दिसंबर 2013 में क्रमशः 70.66 लाख और 70.62 लाख राशनकार्ड के लिये क्रमशः 2,18,974 एम.टी. और 2,23,401 मेट्रिक टन चांवल जारी किया गया जो कि 2011 में दर्शित परिवारों की संख्या से 16.80 लाख एवं 14.16 लाख ज्यादा थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि प्रदेश का सारे परिवारों का राशनकार्ड बना दिया जाता तो भी राशनकार्डो की संख्या 56 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि लगभग 15 लाख राशनकार्डो में जो चांवल वितरित होना दिखाया गया है वह खुले बाजार में उंची कीमत में बिकवाया गया है।

ऽ खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2013 तक लगभग 70 लाख से अधिक  राशनकार्डों पर चांवल एवं अन्य वस्तु का आंबटन किया गया बताया गया है, जबकि इस अवधि में 62 लाख से अधिक राशनकार्ड छापे ही नहीं गये थे। 10 लाख बोगस बनाये गये राशनकार्डो पर चांवल आदि का वितरण वैध रूप से नहीं हुआ जिसकी जिम्मेदारी संचालनालय स्तर के अधिकारियों थी जिनको राशन कार्ड संख्या के आधार आबंटन जारी करना था।

खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 06.10.2013 तक 62 लाख राशनकार्ड जिलों में भेजे जाने का उल्लेख है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस दिनांक तक केवल 62 लाख कार्ड ही प्रिंट हुए थे नियमतः इन्हीं राशनकार्डो पर आबंटन एवं वितरण किया जाना था किन्तु इस तिथि के पहले ही माह सितंबर और अक्टूबर में 72.03 लाख राशनकार्ड के लिये 2.23968 मेट्रिक टन चांवल आबंटित कर दिया गया है जब कि शेष 10 लाख राशनकार्ड प्रिंट भी नहीं हुए थे।

ऽ खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2013 से दिसबंर 2016 तक निरस्त राशनकार्डो में वितरित चांवल की सब्सिडी की गणना की गयी जिसके आधार पर वर्ष 2013 से वर्ष 2016 तक कुल 11,08,515 टन चांवल निरस्त राशनकार्डो पर वितरित किया जाना बताया गया तथा इससे राज्य शासन को 2718 करोड़ रूपयों की हानि हुई ।

इस प्रकार जांच पर यह पाया गया कि, प्रदाय किये गये खाद्यान्न के राशन दुकानों तक पहुचाने तथा वितरण के सत्यापन का दायित्व संचालनालय खाद्य विभाग रायपुर के साथ -साथ विभिन्न जिलो मे खाद्य विभाग के विभिन्न कर्मचारियों/ अधिकारियों का है साथ-साथ सम्पूर्ण प्रदेश मे परिवहनकर्ता एजेन्सी का है। इस प्रकार संचालनालय खाद्य विभाग रायपुर के अधिकारीगण  तथा खाद्य विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों के द्वारा अपने-अपने पद का दुरूपयोग कर आपस में मिलकर आपराधिक षडयंत्र कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बोगस राशनकार्ड का निर्माण किया गया तथा इन राशनकार्डो को असल बता कर इन पर खाद्यान्न का विवरण दर्शाया जाकर राशनकार्ड हितग्राहियों को राशन कार्ड वितवण किये बिना शासन के साथ छल एवं कूट रचना के प्रयोजन से धोखाधड़ी कर शासन को करोड़ों रूपयों का आर्थिक नुकसान किया गया तथा उक्त कृत्य से स्वयं तथा अन्य लोगों के द्वारा आर्थिक लाभ प्राप्त किया गया। इस प्रकार आरोपीगणों का यह कृत्य भ्र.नि.अ. 1988 यथासंशेधित भ्र.नि.अ. (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7(C) एवं धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि के अंतर्गत दण्डनीय अपराध का होना पाये जाने से अज्ञात लोकसेवकों के विरूद्ध अपराध क्रमांक 13/2020 पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान लोकसेवकों की भूमिका की जांच की जायेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed