गरीब कल्याण रोजगार योजना में छत्तीसगढ़ को शामिल करने की मांग को लेकर कांग्रेस के चार सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र।

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सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत, सांसद दीपक बैज और राज्यसभा सांसद छाया वर्मा और सांसद फूलोदेवी नेताम ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र

योजना में छत्तीसगढ़ को शामिल करने से यहां के गरीब मजदूरों को  मिलेगा लगभग 1000 करोड़ के काम, रोजगार के साथ व्यापार व्यवसाय में भी पड़ेगा सकारात्मक असर

15 साल भारतीय जनता पार्टी की जनविरोधी नीतियों के चलते गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की सर्वाधिक प्रतिशत वाले राज्य छत्तीसगढ़ की मोदी सरकार द्वारा उपेक्षा अनुचित

 

 

रायपुर/04 जुलाई 2020 — आपदा राहत की दिशा में राज्यों में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने केंद्र सरकार द्वारा आरंभ किए गए गरीब कल्याण रोजगार योजना में छत्तीसगढ़ को शामिल नहीं किए जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए छत्तीसगढ़ के चार कांग्रेस सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और मांग की है कि यथाशीघ्र इस योजना में छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया जाए। पत्र लिखने वाले कोरबा लोकसभा सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत, बस्तर लोकसभा सांसद दीपक बैज और राज्यसभा सांसद छाया वर्मा और सांसद फूलोदेवी नेताम शामिल सांसदों ने पत्रां में कहा गया है कि डॉ. रमन सिंह जी 15 साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे, इनके ही शासनकाल में भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी, कुशासन और जनविरोधी नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ गरीबी रेखा के मामले में देश में नंबर वन बन गया। अब प्रदेश के भाजपा नेताओं के द्वारा छत्तीसगढ़ को गरीब कल्याण योजना से भी वंचित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
एनएसएसओ के आंकड़ों के आधार पर छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या 47.9 प्रतिशत है और यह पूरे देश में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय औसत शहरी क्षेत्रों के लिए 13.7 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 25.7 प्रतिशत है गरीब कल्याण रोजगार योजना में शामिल किए गए राज्य उड़ीसा (45.9 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (44.3 प्रतिशत), झारखंड (42.4 प्रतिशत) और बिहार (41.3 प्रतिशत) का गरीबी रेखा के मामले में नंबर क्रमशः 2, 3, 4 और 5 है। राजस्थान को भी शामिल किया गया है जहां गरीबी रेखा का आंकड़ा छत्तीसगढ़ के आधे से भी कम 21.7 प्रतिशत है, पर सर्वाधिक गरीबी रेखा प्रतिशत वाले राज्य छत्तीसगढ़ को दुर्भावना पूर्वक छोड़ दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मंत्री, 9 सांसद लोकसभा के, दो राज्यसभा सांसद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री बताए कि छत्तीसगढ़ की गरीब जनता से किस बात का बदला लेना चाहती है? पूर्व में भी हमने देखा कि छत्तीसगढ़ के किसानों को धान के समर्थन मूल्य 2500 रू. प्रति क्विंटल की दर से देने पर भी तमाम तरह के अड़ंगे लगाए गए, केंद्रीय पुल के तहत चावल नहीं खरीदने की धमकी देते हुए व्यवधान पैदा करने की कोशिश की गई। उक्त संदर्भ में बुलाए गए सर्वदलीय बैठक में भी भाजपा के सांसदों ने यह कहते हुए बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था की ना यह उनकी प्राथमिकता में है ना उनके पास समय है! भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार की नीतियां आरंभ से ही गरीब, मजदूर, किसान और आमजन के हितों के विपरीत चंद पूंजीपतियों के मुनाफे पर केंद्रित रही हैं। विगत 3 महीनों से प्रवासी श्रमिक लगातार केंद्र सरकार की उपेक्षा और अव्यवस्थाओं का सामना करते हुए कठिन परिस्थितियों में वापस लौटने मजबूर हुए हैं। अब इनको रोजगार से वंचित कर दोहरी प्रताड़ना की मार सहने मजबुर किया जा रहा है।
कांग्रेस के सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी जी से मांग की है कि तत्काल छत्तीसगढ़ को इस योजना में शामिल कर छत्तीसगढ़ वापस लौटे प्रदेश के लगभग 5 लाख श्रमिकों को इसका लाभ दिया जाए जिससे न केवल श्रमिकों को आर्थिक लाभ होगा बल्कि उनकी क्रय क्षमता बढ़ने से यह पैसा उनके द्वारा किए जाने वाले खरीदी के माध्यम से बाजार में आएगा और अर्थव्यवस्था में भी तेजी से सुधार होगा। मजदूरों और किसानों की समृद्धि के बिना प्रदेश और देश की तरक्की की कल्पना व्यर्थ है।

 

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