अपनी वाहवाही में मशगूल सरकार का रोका-छेका योजना के लिए संसाधनों को जुटाने पर ध्यान ही नहीं — भाजपा

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राष्ट्रीय राजनार्ग पर 13 मवेशियों को रौंदकर मार दिए जाने पर नेता प्रतिपक्ष का रोका-छेका योजना पर सवाल

कौशिक ने पूछा : सच के आईने में अपनी सरकार का विकृत होता चेहरा देखने का साहस यह सरकार कब जुटाएगी?

 

रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने महासमुंद ज़िला मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम झालखम्हरिया में राष्ट्रीय राजनार्ग 353 पर किसी अज्ञात वाहन द्वारा 13 मवेशियों को रौंदकर मार दिए जाने की घटना पर अफ़सोस जताते हुए प्रदेश सरकार पर उसकी रोका-छेका योजना को लेकर सवाल उठाए हैं। श्री कौशिक ने कहा कि वादाख़िलाफ़ी, दग़ाबाजी और सियासी नौटंकियों में महारत हासिल यह प्रदेश सरकार अपनी विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने और प्रदेश को नित नई योजनाओं के नारे देकर भरमाने में लगी है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार काम करने के बजाय दिखावे में ज़्यादा यक़ीन कर रही है और इसीलिए उसकी रोका-छेका योजना दीग़र योजनाओं की तरह सुपर फ्लॉप शो साबित हो रही है। दरअसल प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंराओं का राजनीतिकरण करके अपनी वाहवाही कराने में मशगूल इस प्रदेश सरकार ने रोका-छेका योजना का नारा तो दे दिया पर उसके आवश्यक संसाधनों को जुटाने पर उसका ध्यान ही नहीं है। बिना विज़न के ऐसी आधी-अधूरी तैयारियों के साथ प्रदेश सरकार झूठे आँकड़ों के सहारे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का सिर्फ़ जुबानी जमाखर्च कर रही है। श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार के पास किसी भी योजना के लेकर कोई स्पष्ट दृष्टिकोण तो नहीं ही है, कोई काम करने की साफ़ नीयत, सही नीतियाँ और अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए क्षमतावान नेतृत्व भी नहीं है और इसीलिए सरकार की सारी योजनाएँ औंधे मुँह धूल चाटती नज़र आ रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी योजना के बुरे हश्र के बावज़ूद प्रदेश सरकार को यह समझ नहीं आया है कि उसमें न तो प्रशासनिक सूझबूझ है, न प्रदेश की परंपराओं का ज्ञान है और न ही वह ज़मीन से जुड़ी हुई है। हर मोर्चे पर अपनी विफलताओं और अपने झूठ के मायाजाल में उलझकर रह गई है। श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार पहले मवेशियों के चारे-पानी के इंतज़ाम की तो फ़िक्र करे, उसके बाद मवेशियों को रोकने-छेकने की कोशिश करे। गौठानों की बदइंतज़ामी-बदहाली के कई ज़मीनी सच से यह प्रदेश रू-ब-रू हो चुका है, महासमुंद के पास घटी यह दर्दनाक घटना इसी सच की एक और मिसाल के तौर पर सामने आई है। ऐसी स्थिति में घुमंतू मवेशी राजधानी समेत प्रदेशभर की सड़कों को रोक-छेककर अफ़सरों की उदासीनता और प्रदेश सरकार के ढोंग को बेनक़ाब कर रहे हैं। इस सच के आईने में अपनी सरकार का विकृत होता चेहरा देखने का साहस यह सरकार कब जुटाएगी?

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