छत्तीसगढ़ की संस्कृति और पर्व-परंपराओं का कांग्रेसीकरण करके प्रदेश सरकार जनभावनाओं से खिलवाड़ न करे — भाजपा

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सरकारी ज़मीन बेचने पर आमादा प्रदेश सरकार अब संस्कृति और परंपराओं को भी बेचने का शर्मनाक कृत्य कर रही : उपासने

हरेली के दिन शुरू हुई गौ-धन न्याय योजना के स्वरूप, उद्देश्य, आर्थिक प्रबंधन को लेकर उठाए सवाल

किसान न्याय योजना की तरह क्या प्रदेश सरकार गोबर विक्रेताओं के साथ भी वैसा ही न्याय करेगी?

भाजपा ने 15 वर्षों में जिस छत्तीसगढ़ को सँवारा, देश-विदेश में पहचान दी, भूपेश सरकार ने 15 महीनों में सब गुड़ गोबर कर दिया

 

 

रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने प्रदेश में हरेली त्योहार के दिन शुरू हुई गौ-धन न्याय योजना के औचित्य पर सवाल उठाते हुए नसीहत दी है कि छत्तीसगढ़ की ग्राम्य-संस्कृति और पर्व-परंपराओं का कांग्रेसीकरण करके प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने से बाज आए। श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश की सरकारी ज़मीन बेचने पर आमादा प्रदेश सरकार अब संस्कृति, परंपरा और पर्वों जुड़ी आस्था की ब्रांडिंग कर छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को भी बेचने का शर्मनाक कृत्य कर रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि गोबर खरीदने की योजना के नाम पर शुरू की गई इस योजना का स्वरूप ही अब तक स्पष्ट नहीं है। यह योजना किस उद्देश्य को लेकर शुरू की जा रही है, इसका क्रियान्वयन कैसे होगा, इसके लिए राशि का प्रबंध कहाँ से और कैसे होगा, प्रदेश सरकार की ओर से इसे लेकर कोई स्पष्ट धारणा प्रदेश को नहीं दी गई है। श्री उपासने ने कहा कि महज़ योजना शुरू करने के नाम पर हवा-हवाई बातें करके प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की भावनाओं से खेलने का काम कर रहे हैं। प्रदेश की लोक-संस्कृति और पर्व-परंपराओं का कांग्रेसीकरण करने में मशगूल मुख्यमंत्री के पास किसी भी योजना को लेकर कोई स्पष्ट दृष्टिकोण है ही नहीं और यही कारण है कि प्रदेश सरकार की तमाम योजनाएँ नीति, नीयत और नेतृत्व में खोट के चलते औंधे मुँह गिरी पड़ी हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि जो बातें और जो काम छत्तीसगढ़ की परंपराओं में रचे-बसे हैं, जो सांस्कृतिक विरासत और पर्व-परंपरा छत्तीसगढ़ की थाती है, वह किसी सरकारी नौटंकियों की मोहताज़ नहीं है। लेकिन प्रदेश सरकार अपने मूल कार्य से भटक कर प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए अब छत्तीसगढ़ के लोक-पर्वों की ब्रांडिंग करने और उनका राजनीतिकरण करके सिर्फ़ हवाई किले बांधने का काम कर रही है। उन्होंने जानना चाहा है कि बात-बात पर प्रदेश की कंगाली का रोना रोती प्रदेश सरकार गोबर खरीदने के लिए आख़िर राशि कहाँ से जुटाएगी? श्री उपासने ने तंज कसा कि किसानों को धान मूल्य की अंतर राशि के लिए रची गई न्याय योजना के ढोंग की पोल खुलने के बाद अब प्रदेश सरकार गौ-धन न्याय योजना की यह नई नौटंकी लेकर आई है, तो क्या इस योजना में भी वैसा ही न्याय होगा, जैसा किसानों के साथ हो रहा है?
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने इसी परिप्रेक्ष्य में रोका-छेका योजना को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री बघेल ने इस योजना के नाम पर भी प्रदेश को भरमाने और रोका-छेका की वर्षों से चली आ रही ग्राम्य-परंपरा को बदनाम करने में कोई क़सर नहीं छोड़ी है। इस योजना से पहले प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में कभी लगातार पशुधन की मौतों के मामले नहीं सुने जा रहे थे लेकिन अब इस योजना क्या हश्र हो रहा है, प्रदेश इसका साक्षी है। गौ-वंश की रक्षा न कर पाना प्रदेश सरकार के कृषि-विरोधी चरित्र का परिचायक है। कुल मिलाकर, गौ-धन न्याय योजना और ‘रोका-छेका’ की एक नई सियासी नौटंकी खेलकर वे अपने दोहरे राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं। श्री उपासने ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी ने जिस छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया और भाजपा ने अपने सुशासन की बदौलत 15 वर्षों में जिसे सँवारने और देश-विदेश में एक पहचान दिलाने का काम किया, भूपेश सरकार ने 15 महीनों में ही सब गुड़ गोबर करके रख दिया है।

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