बाँस अवैध कटाई मामले में विभागीय जाँच प्रतिवेदन की विश्वसनीयता पर संदेह, उच्चस्तरीय न्यायिक जाँच कराई जाए — भाजपा

0

 

रेंजर और डिप्टी रेंजर को बचाने आला अफ़सरों की लॉबी सक्रिय होने से दाल में काला होने की आशंका बलवती हो रही

लीपापोती के प्रयासों के चलते अब बीटगार्ड को ही कार्रवाई की ज़द में लाने की कोशिशें जोर-शोर से चल रहीं : गागड़ा

गागड़ा ने पूछा : 359 हरे बाँस ‘गल्ती से कटने’ की बात कहकर डीएफओ आख़िर किसे बचाने में लगी हैं?

 

रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कटघोरा के बांकीमोगरा क्षेत्र के हल्दीबाड़ी में बाँस की अवैध कटाई के हाल ही सामने आए चर्चित मामले में रेंजर और डिप्टी रेंजर को बचाने के लिए आला अफ़सरों की लॉबी के सक्रिय हो जाने पर निशाना साधा है। श्री गागड़ा ने कहा कि अवैध कटाई में अधिकारियों की संलिप्तता ज़ाहिर होने के बाद विभागीय तौर पर किए जा रहे लीपापोती के प्रयासों के चलते अब वनरक्षक (बीटगार्ड) को ही कार्रवाई की ज़द में लाने की कोशिशें जोर-शोर से चल रही हैं। इससे यह आशंका बलवती हो रही है कि सचमुच दाल में कुछ-न-कुछ काला है।
पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि अपना काम पूरे साहस और ईमानदारी से करने वाले जिस बीटगार्ड को सम्मानित व पुरस्कृत करना चाहिए था, उस पर कार्रवाई की चल रहीं कोशिशें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि अवैध कटाई के इस मामले के सामने आने के बाद विभाग के बड़े अधिकारियों और मंत्रियों के होश उड़े हुए हैं और अब कार्रवाई का भय दिखाकर बीटगार्ड का मुँह बंद करने की कवायद चल रही है। श्री गागड़ा ने कहा कि इस मामले में डीएफओ की भूमिका भी सवालिया दायरे में है और उन्हें ही जाँच प्रतिवेदन तैयार करने का ज़िम्मा सौंपा जाना क्या यह इंगित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि मामले को दबाने के लिए किस तरह क़ायदे-क़ानूनों को बला-ए-ताक रखा जा रहा है? इस मामले में डीएफओ के बयान को हास्यास्पद बताते हुए श्री गागड़ा ने पूछा कि 359 हरे बाँस ‘गल्ती से कटने’ की बात कहकर डीएफओ आख़िर किसे बचाने में लगी हैं, क्योंकि जो रेंजर-डिप्टी रेंजर वहाँ बाँस कटवा रहे थे, वे कह रहे हैं कि विभागीय काम के लिए बाँस कटवाए जा रहे थे। हरे बाँस गल्ती से और वह भी इतनी संख्या में कैसे कट गए?
पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, न तो वन संपदा ही सुरक्षित रह गई है और न ही वन्य प्राणियों की जान। विभागीय जाँच प्रतिवेदन की विश्वसनीयता पर संदेह जताकर श्री गागड़ा ने समूचे मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जाँच की मांग की है ताकि प्रदेश को यह पता चले कि इस अवैध कटाई में और कौन-कौन बड़े सफेदपोश चेहरे संलिप्त हैं और सत्ता के गलियारों की धमक दिखाकर कौन ईमानदार बीटगार्ड को बलि का बकरा बनाने पर आमादा हैं? श्री गागड़ ने कहा कि एक जागरूक विपक्ष की भूनिका में भाजपा प्रदेश सरकार और नौकरशाही की मिलीभगत से होने वाले हर ग़लत कार्यों का विरोध कर प्रदेश की वन संपदा को बचाने के साथ-साथ ईमानदार कर्मचारियों को फँसाने और ऐसे मामलों को दबाने की हर सरकारी साजिशों के ख़िलाफ़ खड़ी रहेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed