पोषण अभियान के अंतर्गत जिले में 250 आंगनबाड़ी केंद्रों पर तैयार हो रहें पोषण वाटिका।

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दुर्ग, 24 सितंबर 2020 —  राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर पोषण वाटिका (Nutri Garden) तैयार कर दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में फलदार पौधे रोपे जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ी गर्भवती महिलाओं को पोषण युक्त हरी व ताजी सब्जियां गर्मभोजन के साथ मिलेगी। पोषण अभियान के तहत जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 1502 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 250 पोषण वाटिका विकसित की जा रही है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक विपीन जैन ने बताया जिले के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त खाली जगह होने पर चिंहांकित किए गए हैं। उन्होंने बताया दुर्ग जिले में 15,000 बच्चे कुपोषित हैं जो 5 साल तक के बच्चों में कुपोषण की दर 15 प्रतिशत है। इस कुपोषण की दर को कम करने सुपोषण अभियान में गंभीर कुपोषित बच्चों को चयनित किया जा रहा है। जिले में 10,000 गर्भवती महिलाएं और 10,000 व शिशुवती महिलाएं हैं।
दुर्ग जिले के सांसद आदर्श ग्राम मोहलई के भगतसिंह चौक स्थित आंगनबाड़ी केंद्र को ₹5000 रुपए की आर्थिक सहयोग सरपंच खेमिन बाई निषाद ने गार्डन विकसित करने के लिए प्रदान की ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों पर फलदार पौधे व सब्जियां उगाई जाएँ। महतारी जतन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन गरम पका भोजन वितरण किया जाता है। मोहलई के आंगनबाड़ी केंद्र के लगभग 75 डिसमिल जमीन को आदर्श पोषण वाटिका के रुप में विकसित किया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत दुर्ग ग्रामीण परियोजना के परियोजना अधिकारी अजय साहू ने बताया आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका तैयार करने के लिए बीज व पौधे कृषि विज्ञान केंद्र अंजोरा से सहयोग लेते हैं। पंचायत स्तर पर स्वसहायता समूहों की महिलाओं की भागीदारी ली जाती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियां पूरी तरह से जैविक होगी। दुर्ग ग्रामीण परियोजना क्षेत्र की महिला पर्यवेक्षक शशि रैदास ने बताया जिले में चयनित 250 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत 1 सितंबर से 30 सितंबर तक प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ी गर्भवती महिलाएं व बच्चों के अभिभावकों को प्रेरित कर पौधारोपण कराया जा रहा है।
महिला पर्यवेक्षक ने बताया, आंगनबाडी कार्यकर्ता श्रीमती यमुना साहू व सहायिका गीता साहू की जुझारुपन से आंगनबाड़ी केंद्र परिसर के खाली जगह में पोषण वाटिका विकसित किया गया है। पोषण वाटिका में केला, मुनगा, पपीता, लालभाजी, पालकभाजी, भिन्डी, करेला, मिर्च, टमाटर, फूलगोभी, बैगन, बरबट्टी, सेमी, गलका, कांदाभाजी, कुम्भड़ा व लौकी सब्जी लगाई गई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यमुना साहू ने बताया, उनके आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग 63 बच्चे पंजीकृत हैं। सभी 0 से 5 साल के उम्र के बच्चों का वजन निर्धारित औसत से सामान्य है। यानी की इस आंगनबाड़ी केंद्र में पिछले 3 सालों से एक भी बच्चा कुपोषण के दायरे में नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सक्रियता की वजह से यहां की महिलाओं में एनिमिया मुक्त पाया गया है। यमुना साहू बताती हैं वे हर महीने 0 से 5 साल के आयु के बच्चों का वजन लेते हैं। हर महीने बच्चे के वजन में वृद्वि होने की रिपोर्ट तैयार करती हैं। किसी भी बच्चे में 50 से 100 ग्राम की कमी आने पर नियमित गृहभेंट कर खानपान पर ध्यान रखने की सलाह देती है। वहीं रेडी-टू-ईट के अलावा शिशुओं के शाररिक व मानसिक विकास के लिए घर पर बने भोजन को पौषिटक युक्त पकाकर खिलाने पर जोर देती हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र के अंतर्गत शिशुवती महिलाओं में हितग्राही हिरौंदी टंडन को 6 माह , पूजा यादव को 3 माह , मनीषा ठाकरे को 7 माह, अनसुईया यादव को 3 माह और शिल्पा सोनी को 2 माह शिशु है। इन सभी शिशुवतियों को गृहभेंट के दौरान शिशुओं को 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराने का लाभ बताती हैं। वहीं 7 वें माह से शिशुओं को ऊपरी आहार के रुप में रेडी-टू-ईट और घर में चावल व दाल को मिलाकर खिलाने की जानकारियां देती हैं।
यमुना साहू बताती हैं लॉकडाउन में भी रेडी-टू-ईट का वितरण और पोषण आहार सामाग्री घर-घर प्रदान किया जा रहा है ताकि कोरोना को हराने में सुपोषण अभियान महत्वपूर्ण भूमिका रह सके। उनके केंद्र में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं में लुकेश्वरी सोनी को 7 माह की गर्भावस्था में है। वहीं चंद्रप्रभा साहू को 6 माह, वर्षा गायकवाड़ को 7 माह, पूजा कुम्भकार को 7 माह, अहिल्या यादव को 4 माह, टुकेश्वरी देवांगन को 4 माह की गर्भवास्था में हैं। इन सभी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए समय पर भोजन व भरपूर नींद लेने के साथ ही थाली में रंगीन पोषण आहार की जानकारी दी जा रही है।

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