भारतीय जनता पार्टी नक्सली हमले में हुए मौत पर स्तरहीन राजनीति कर रही है — सुशील आनंद
रायपुर — विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों द्वारा की गई हत्या बेहद निंदनीय है, समूचा छत्तीसगढ़ इस घटना से दुखी है शोकाकुल है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शोक के इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी मौत पर राजनीति न करे। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह जिसके राज में प्रदेश में नक्सलवाद का विस्तार हुआ, सबसे ज्यादा क्रूर नक्सल घटनाये हुई हो जिसने विरासत में नई सरकार को माओवाद प्रभावित 14 जिले दिए हो वह व्यक्ति मात्र तीन महीने पुरानी सरकार के मुखिया के खिलाफ नक्सल घटना पर बयान दे यह ठीक नहीं है। भारतीय जनता पार्टी और रमन सिंह राजनैतिक रूप से इतने निचले स्तर पर चले जाये इसकी किसी को कल्पना भी नही थी। विधानसभा मे हुई बुरी हार की बौखलाहट में भाजपा और रमन सिंह राज्य की जनता के द्वारा तीन चौथाई के जनादेश से निर्वाचित सरकार को नक्सलियों की सरकार बता कर जनमत का अपमान कर रहे है। रमन सिंह भूल रहे है कांग्रेस को सिर्फ नक्सल प्रभावित बस्तर ही नही मैदानी इलाको और सरगुजा की जनता ने प्रचंड बहुमत दिया है। जिस कांग्रेस ने नक्सल हमले में अपने 31 नेताओ कार्यकर्ताओं की शहादत दी हो, उस कांग्रेस पर नक्सलियों से साठगांठ के आरोप लगाने के लिए रमन सिंह को न सिर्फ कांग्रेस प्रदेश की जनता से भी माफी मांगनी चाहिये। निसन्देह अपने लोगो को खोने का दर्द बहुत बड़ा होता है। कांग्रेसजनों से ज्यादा इस दर्द को कोई नही महसूस कर सकता लेकिन अपने ही नेता की मौत पर भाजपा द्वारा की जा रही राजनीति सर्वथा निंदनीय है। 25 मई 2013 को जब जीरम नक्सल हमले में कांग्रेस के बड़े नेता शहीद हो गए थे, पूरा प्रदेश इस दुर्दांत घटना से आक्रोशित था। जनमत रमन सरकार के खिलाफ हो गया था। लोग रायपुर आये मनमोहन सिंह राहुल गांधी से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे थे, राज्य के हालात भी वैसे ही बन गए थे, तब भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस भवन में बड़ी दृढ़ता से कहा था “यह समय राजनीति करने का नही है“ रमन सिंह को इससे ही कुछ सीख ले लेना था। कांग्रेस ने कहा है कि जीरम से लेकर भीमा मंडावी पर हुए नक्सल हमले का कोई सबसे बड़ा गुनाहगार है तो वे है डॉ. रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी। प्रदेश में आज नक्सली जड़ जमा चुके है तो उनके इस बढे हुए प्रभाव में रमन सरकार की अकर्मण्यता कमजोर इच्छा शक्ति लचर नक्सल नीति का बड़ा योगदान रहा। 15 साल सरकार में रहने के दौरान रमन सरकार नक्सल समस्या से निपटने के लिए एक स्पष्ट सामरिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक नीति भी नही बनाई पाई थी। रमन सिंह और उनकी अदूरदर्शिता के कारण विरासत में नक्सवाद नई सरकार को मिला है। पन्द्रह साल के अपनी गलतियों का सुधार रमन सिंह नई सरकार से तीन महीने में चाह रहे। यह समस्या एक घण्टे एक दिन या सप्ताह में नही खत्म होगी। रमन सिंह जी तो पन्द्रह सालो में भी कुछ नही कर पाए।