विशेष लेख : सरकारी संरक्षण से फल-फूल रही छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति।

0

रायपुर, 02 नवम्बर 2020 –  मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की विशेष रूचि के चलते राज्य में छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति एवं परम्पराओं को जीवंत बनाए रखने का सार्थक प्रयास शुरू हो गया है। सरकारी संरक्षण के चलते कला और संस्कृति के पुष्पित एवं पल्लवित होने का अनुकूल वातावरण निर्मित हुआ है। राज्य में विभिन्न अवसरों एवं तीज-त्यौहारों के मौके पर कला एवं संस्कृति से जुड़े लोगों एवं कलाकारों को बीते दो सालों से लगातार मंच मिलने से उनमें उत्साह जगा है। संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने के लिए संस्कृति परिषद के गठन से राज्य के कलाकारों एवं शिल्पियों एक मंच मिला है। इससे छत्तीसगढ की साहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्रकला, मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी एवं लोककलाओं को विस्तार, प्रोत्साहन और कलाकारों के संरक्षण में मदद मिलेगी। सरकार का यह प्रयास सराहनीय है।

संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी एवं लोककला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग और छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी प्रभाग बनाए गए हैं। नवा रायपुर में फिल्मसिटी विकसित करने की योजना है। नवा रायपुर में पुरखौती मुक्तांगन के समीप राज्य की जनजातीय कला, शिल्प एवं परम्परा तथा लोक जीवन का विशाल मुक्ताकाशी संग्रहालय ‘पुरखौती मुक्तांगन’ विकसित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जनजातीय प्राचीन संस्कृति का विशिष्ट स्वरूप, छत्तीसगढ़ की बहुरंगी संस्कृति के विभिन्न आयामों ‘आमचो बस्तर’ के पश्चात् ‘सरगुजा प्रखंड’ का विकास किया जा रहा है।

जनजातीय समुदाय के नृत्य-गीत, पर्व, आस्था और संस्कृति के संरक्षण, प्रोत्साहन और प्रचार-प्रसार तथा कला परम्परा के परस्पर सांस्कृतिक विनिमय के लिये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की रूचि के चलते राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के गौरवशाली आयोजन की शुरूआत हुई है। इससे जनजातीय कला एवं संस्कृति विश्व पटल पर प्रसारित हुई है। राजिम कुंभ को अब राजिम माघी पुन्नी मेला नाम से जाना जाने लगा है। माघी पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है और इसके आयोजन के वर्षों पुरानी परम्परा को सरकार ने पुनर्जीवित कर दिया है। सिरपुर महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को बढ़ावा और कलाकारों को मंच मिलता है।

छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार हरेली त्यौहार को बड़े ही धूम-धाम से पूरे राज्य में मनाने की एक नई पहल की गई है। शासन द्वारा हरेली पर्व के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित कर इसकी महत्ता को और बढ़ा दिया है। हरेली पर्व के शुभ अवसर पर ही इस वर्ष छत्तीसगढ़ शासन ने अपनी सार्वधिक लोकप्रिय गोधन न्याय योजना की शुरूआत की और गौवंशीय पशुओं के संरक्षण और संवर्धन को प्रोत्साहित करने का सफल प्रयास किया है। दशहरा महोत्सव अंबिकापुर, रामगढ़ महोत्सव, श्री महावीर मंडल लोक न्यास अंबिकापुर, इग्नेटसचर्च, अंबिकापुर, मैनपाट महोत्सव, तातापानी महोत्सव, कुदरगढ़ महोत्सव के लिए वित्तीय सहायता देकर सरकार ने कला एवं संस्कृति को संरक्षण प्रदान किया है।

राज्य के सभी जिलों में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी खानपान एवं व्यंजनों को जन सामान्य को सहजता से उपलब्ध कराने तथा इसको लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से सभी जिलों में गढ़ कलेवा की शुरूआत की गई है। गढ़ कलेवा में सस्ते दर पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन का लुत्फ उठाया जा सकता है। राज्य के साहित्यकारों, कलाकारों अथवा उनके परिवार के सदस्यों की लंबी तथा गंभीर बीमारी, दुर्घटना, मृत्यु अथवा दैवीय विपत्ति की स्थिति में ईलाज के लिए सहायता देने का प्रावधान है। कला और साहित्य के विकास में योगदान देने वाले अर्थाभावग्रस्त लेखकों, कलाकारों के आश्रितों को मासिक वित्तीय सहायता दी जा रही है।

भोपाल साहित्य एवं कला महोत्सव के अवसर पर हॉर्टलैण्ड स्टोरिज भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में बस्तर बैण्ड के लोक कलाकार दल ने सराहनीय प्रस्तुति देकर छत्तीसगढ़ की कला को राष्ट्रीय क्षितिज पर गौरान्वित किया है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भोरमदेव महोत्सव, गनियारी लोक कला महोत्सव, कर्णेश्वर महादेव मेला महोत्सव, रतनपुर में माघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला, संत समागम महामेला दामाखेड़ा, मल्हार महोत्सव, शिवरीनारायण मेला महोत्सव तथा लोक मड़ई महोत्सव राजनांदगांव आदि के आयोजन के लिए दी जाने वाली मदद से छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति को बढ़ावा तथा छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों को प्रोत्साहन मिल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed