कांग्रेस संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी के बयान पर भाजपा की प्रतिक्रिया ।

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किसान हितैषी होने का ढोंग बंद कर आईना देखे कांग्रेस 23 महीनों के किसान विरोधी कृत्य उन्हें आत्म ग्लानि से भर देंगे

बेहतर घुड़सवार बताने वालों का दम निकल चुका हैं-घोरमोड़े

प्रदेशभर के राशन दुकानों से लगभग दो करोड़ से अधिक बारदानों की वापसी अब तक क्यों नहीं हो पाई?

कहीं बारदाने की कमी का षड्यंत्र व्यपारियों, बिचौलियों को लाभ पहुंचाना तो नहीं?

 

 

रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता उमेश घोरमोड़े ने कांग्रेस संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि व्यपारियों, बिचौलियों और दलालों को लाभ पहुंचाने की नीयत से षड्यंत्रपूर्वक धान खरीदी में विलंब करने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार और कांग्रेस के नेता किस मुह से अपने आप को किसान हितैषी बता रहे हैं। विपक्ष में रहते नवंबर में धान खरीदी कि मांग करने वाले कांग्रेस के नेताओं की याददाश्त में शायद सत्ता के गुरुर का धूल जम गया हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हर मुद्दों पर अपने आप को बेहतर घुड़सवार बताने वालों का दम निकल चुका हैं और वे बारदाने तक कि व्यवस्था कर पाने में पूर्ण रूप से विफल हो चुके हैं फिर भी किसान हितैषी होने का ढोंग करते नहीं थक रहे हैं। प्रदेश सरकार को बताना चाहिए कि प्रदेशभर के राशन दुकानों से लगभग दो करोड़ से अधिक बारदानों की वापसी अब तक क्यों नहीं हो पाई?

भाजपा युवा नेता उमेश घोरमोड़े ने कहा कि यह आश्चर्यजनक हैं कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आयी हैं बारदाने का संकट हो गया हैं। पिछले वर्ष भी बारदाने की कामी के चलते किसानों को परेशान होना पड़ा था, धान खरीदी विलंब से हुई थी, किसानों को सड़क पर उतरना पड़ा था। इस वर्ष कोरोना के चलते बारदाने की कमी का बहाना बना कर धान खरीदी में विलंब करने षड्यंत्र रचा जा रहा हैं, जबकि राशन दुकानों से समय पर बारदाने वापस मंगवा कर संकट दूर किया जा सकता था। कहीं बारदाने की कमी का षड्यंत्र व्यपारियों, बिचौलियों को लाभ पहुंचाना तो नहीं? उन्होंने कांग्रेस के किसान हितैषी होने के दावे पर कांग्रेस से सवाल किया कि गिरदावरी रिपोर्ट के नाम पर किसानों का रकबा कम करने का षड्यंत्र करना क्या किसान हितैषी होना हैं? किसानों की कोठी की जांच करना क्या किसान हितैषी होना हैं? धान खरीदी विलंब से करना क्या किसान हितैषी होना हैं? बारदाने की कमी का बहाना बनाना क्या किसान हितैषी होना हैं? धान खरीदी में विलंब कर किसानों को अपना धान औने पौने दाम पर व्यापारियों, बिचौलियों और दलालों को बेचने पर मजबूर करने का षड्यंत्र करना क्या किसान हितैषी होना हैं? धान खरीदी में विलंब कर किसानों के सामने संकट खड़ा करना क्या किसान हितैषी होना हैं? नकली खाद बीज के नाम पर किसानों को छलना ठगना क्या किसान हितैषी होना हैं? यदि कांग्रेस के नेता अपने आप को किसान हितैषी मानते हैं तो निश्चित ही उन्हें आईना देखना चाहिए 23 महीनों में जो किसान विरोधी कृत्य प्रदेश में किए गए हैं वह उन्हें शायद आत्म ग्लानि से भर देगा और वे किसान हितैषी होने का ढोंग बंद कर देंगे।

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