भाजपा छत्तीसगढ़ में किसानों के नाम से घड़ियाली आंसू बहा रही है और दिल्ली में हक मांग रहे किसानों का लहुँ — धनंजय सिंह
भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
रायपुर/02 दिसम्बर 2020 — भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बयान पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त की प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा को किसान विरोधी ठहराते हुए कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ में किसानों के नाम से घड़ियाली आंसू बहा रही है और दिल्ली में मोदी सरकार हक मांग रहे किसानों का लहुँ बहा रही है। भाजपा का किसान विरोधी चरित्र देश ही नहीं पूरा विश्व देख रहा है। किस प्रकार से किसानों से वादा कर मोदी भाजपा की सरकार ने वादाखिलाफी किया है। किसानों की आय दुगनी करने का नारा लगाने वाली मोदी सरकार आपदा काल में भी अडानी अंबानी जैसे चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने किसान विरोधी कानून लाने का काम किया है। जिसके खिलाफ किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व मंत्री राजेश मूणत भी रमन सरकार में हुई किसानों के वादाखिलाफी के लिए उतने ही जिम्मेदार है जितने रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल और भाजपा जिम्मेदार है। रमन सरकार ने किसानों को धान की कीमत 2100 रु प्रति क्विंटल 300 रु बोनस देने के वचन को पूरा नही किया।भाजपा नेता किस मुहँ से किसानों की बात करते हैं। जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों को धान की कीमत एक मुश्त 2500 रु प्रति क्विं. दिया तब यही केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार ने किसानों को एकमुश्त 2500 रु. देने पर रोक लगाई। सेंट्रल पुल में चावल लेने में नियम शर्ते थोपे गये। यही वजह है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों को धान की अंतर की राशि दिया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि राजेश मूणत किसानों को धान के अंतर कीराशि नही मिलने क़ा आरोप लगाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बैंक खाता को चेक कर लेते अंतर की राशि का 80 प्रतिशत राशि उनके खाते में पहुंच चुका है। बाकी भी इसी वित्तीय वर्ष में पहुंच जायेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों से किए वादे को पूरा किया है।भाजपा के आरोप में दम होता तो भाजपा को किसानों का समर्थन मिलता। भाजपा ने किसानों को ठगने के लिए गुमराह करने के लिए भात पर बात एवं खेत सत्याग्रह जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसको किसानों का समर्थन नहीं मिला।
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