परिवारों को जोड़ने का काम कर रही है छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग – डाॅ. किरणमयी नायक

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महिला आयोग अध्यक्ष ने घरेलू झगड़ों में बच्चों का भविष्य खराब न होने देना को बतायी प्राथमिकता

डाॅ. नायक ने प्रत्येक जिले में महिला थाना स्थापित करने शासन से जताई इच्छा

 

 

कोरबा 23 दिसम्बर 2020 — छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. श्रीमती किरणमयी नायक ने आज पंचवटी सभा कक्ष कोरबा में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जन-सुनवाई की। आज की सुनवाई में कुल 23 प्रकरण रखे गये जिसमें 18 प्रकरणों का निराकरण करते हुए मौके पर ही नस्तीबद्ध किया गया। जन-सुनवाई में पांच प्रकरणों को निगरानी और जांच के लिए रखा गया। महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. नायक ने कहा कि महिला आयोग द्वारा परिवारों को जोड़ने का काम किया जा रहा हैं तथा आपसी सुलाह-मश्वीरा करके ज्यादा से ज्यादा मामलों को निराकरण किया जा रहा है। डाॅ. नायक ने घरेलू झगड़ों के बीच बच्चों का भविष्य खराब न होने देना महिला आयोग के कार्य की प्राथमिकता बताई। महिला आयोग अध्यक्ष ने महिलाओं पर होने वाली उत्पीड़न को रोकने और महिलाओं की सुनवाई करके न्याय दिलाने के लिए सभी जिलों में महिला थाना स्थापित करने राज्य शासन से इच्छा जताई। उन्होंने महिलाओं को झूठे मामले प्रस्तुत करने से बचने की समझाईश भी दी।
पंचवटी सभा कक्ष में आयोजित सुनवाई में मुख्य रूप से महिलाओं से मारपीट, मानसिक प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, शादी उपरांत अवैध संबंधो से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गई। जिले की एक अनपढ़ गरीब आवेदिका ने अपने पति के मृत्यु पश्चात अपने सौतेले बेटे द्वारा घर से निकाले जाने और भरण-पोषण ना दिए जाने के खिलाफ आयोग के समक्ष शिकायत किया। आयोग की अध्यक्ष ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना और इस पर निर्णय लेते हुए आवेदिका को अनावेदक के मासिक तनख्वाह से दस हजार रूपए प्रतिमाह आवेदिका के अकाउंट में भेजे जाने के लिए जांच और निगरानी हेतु अपर कलेक्टर, एडीशनल एसपी को अधीकृत करने का निर्देश दिया।
इसी प्रकार एक अन्य मामले में आवेदिका द्वारा पति के मृत्यु के पश्चात ससुराल वालों द्वारा उनके दो बच्चों सहित घर से निकाले जाने और भरण-पोषण के लिए तथा बच्चों के स्कूली फीस को ना दिये जाने का शिकायत लेकर महिला आयोग के समक्ष आवेदन किया गया। महिला आयोग अध्यक्ष द्वारा दोनो पक्षों को सुनने के बाद अनावेदकगण को आवेदिका के दोनो बच्चों के बकाया सहित पूरी फीस भरने तथा स्कूल की प्रतिमाह फीस नियमित जमा करने के निर्देश दिए गए। डाॅ. नायक ने सुनवाई के दौरान अनावेदकगण को समस्त शैक्षणिक व्यय के अतिरिक्त पांच हजार रूपए प्रतिमाह दोनो बच्चों के भरण-पोषण के लिए बैंक खाते के माध्यम से देने के निर्देश भी दिए।
इसी तरह एक अन्य मामले में आवेदिका ने आरक्षक पति का शादी उपरांत अनेक महिलाओं के साथ अवैध संबंधो तथा दहेज के लिए प्रताड़ित करने के संबंध में महिला आयोग के समक्ष अपनी शिकायत रखी। आवेदिका ने अपने पति के अवैध संबंधो से संबंधित महिलाओं के साथ आपत्तिजनक फोटो भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत की। महिला आयोग अध्यक्ष ने इस प्रकरण पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच के लिए पुलिस अधीक्षक कोरबा को समस्त दस्तावेज भेजने के निर्देश दिए। अध्यक्ष ने कहा कि यह प्रकरण पूर्णतः आवेदिका को शारीरिक, मानसिक, कू्ररता और प्रताड़ना के अंतर्गत आता है। इस संबंध में साक्ष्य दस्तावेज के अनुसार शासकीय सेवारत् आरक्षक पर आरोप सही पाया जाने पर सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डाॅ. नायक ने समस्त कार्रवाई की रिपोर्ट दो महीने में आयोग को अवगत कराने के निर्देश भी दिए। सुनवाई के दौरान कोविड-19 के गाईड लाईन का पालन किया गया और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सुनवाई पूरी की गई। महिला आयोग द्वारा आयोजित जन-सुनवाई के दौरान कोरबा की पूर्व नेताप्रतिपक्ष अर्चना शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक मीणा, अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका महोबिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कीर्तन सिंह, एसडीएम कोरबा श्री सुनील नायक, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी श्री ए.पी. किस्पोट्टा, शासकीय अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान सहित जनप्रतिनिधिगण मौजूद रहे।

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