प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कांग्रेस स्थापना दिवस पर राजीव भवन में फहराया तिरंगा ।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू सहित अनेक नेता पहुंचे राजीव भवन
महात्मा गांधी के चित्र पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू सहित ने अनेक नेताओं ने अर्पित की पुष्पांजलि
आजादी की लड़ाई में कांग्रेस ने किसी वर्ग की नहीं संपूर्ण भारत की अगुवाई की : मोहन मरकाम
कांग्रेस की सरकारों ने पं. नेहरू द्वारा डाली गयी मजबूत नीव पर आधुनिक भारत की शानदार इमारत का निर्माण किया : मरकाम

रायपुर/28 दिसंबर 2020 —  प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन सहित पूरे प्रदेश के जिला एवं ब्लाक मुख्यालय में आज कांग्रेस स्थापना दिवस मनाया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कांग्रेस स्थापना दिवस पर राजीव भवन में तिरंगा फहराया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू सहित अनेक नेता राजीव भवन पहुंचे। महात्मा गांधी के चित्र पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू सहित अनेक नेताओं ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस ने अपनी स्थापना के 136 वर्ष पूरे कर लिए हैं।भारत की आजादी की लड़ाई से ले कर आधुनिक भारत के निर्माण में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।आजादी के बाद से 2019 तक भारत के 17 आम चुनाव में से कांग्रेस ने 7 में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया लगभग आधी शदी तक कांग्रेस केंद्र सरकार का हिस्सा रही ।आज भले ही अधिकांश राज्यो में कांग्रेस की सरकार नही है लेकिन कांग्रेस ही देश का एक मात्र राजनैतिक दल है जिसका कार्यकर्ता भारत के उत्तर दक्षिण पूरब पक्षिम के हर गांव में मिल जाएगा।
28 दिसम्बर 1885 को कुछ बुद्धिजीवियों ने भारत के लोगो की जरूरतों उनकी समस्यायों के विमर्श के लिए एक मंच की जरूरत महसूस की जो तत्कालीन हुक्मरानों के समक्ष भारत की जनता की आवाज बन सके सरकार के द्वारा बनाई जा रही नीतियों में भारतीयों की जरूरतों को स्थान दिलवाया जा सके।इन्ही उद्देश्यों को ले कर 17 सदस्यों ने कांग्रेस की स्थापना की जिनमे एओ ह्यूम,दादा भाई नोरोजी ,व्योमेश चन्द्र बेनर्जी .दिनशा वाचा प्रमुख थे।कांग्रेस का पहला अधिवेशन व्योमेश चन्द्र बेनर्जी की अध्यक्षता में मुम्बई में हुआ। भारतीयों की समस्याओं को उठाने उद्देश्य के लिए गठित की गई कांग्रेस पार्टी बहुत जल्दी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की मुखर विरोधी बन गयी।गठन से ले कर भारत की आजादी तक कांग्रेस के लगभग 15 मिलियन सदस्य बन गए थे।
गुलाम भारत के लोगो मे राजनैतिक चेतना जागृत कर उनमें आजाद मुल्क की ललक पैदा करना एक बड़ा कठिन काम था ,जब तक लोगो मे आजादी और स्वराज की जरूरत की चेतना जागृत नही होगी अंग्रेजी शासन के खिलाफ कोई भी आंदोलन खड़ा नही हो सकता इस बात को कांग्रेस ने भली भांति समझ लिया था इसीलिए कांग्रेस ने शुरू से ही अपने विरोध के कार्यक्रमो में आम आदमी को जोड़ा और सामूहिक नेतृत्व पर जोर दिया।1915में महात्मा गांधी के भारत आगमन के बाद उन्हें कांग्रेस की अध्यक्षता सौपी गयी 1919 में गांधी जी कांग्रेस के प्रतीक पुरुष बन गए और इसके बाद कांग्रेस ने देश भर में अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ जनांदोलनों को खड़ा करना शुरू किया ।छोटे छोटे विरोध आंदोलनों की श्रृंखला धीरे धीरे राष्ट्रीय आंदोलन में परिवर्तित हो गयी । सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन ,भारत छोड़ो आंदोलन ,स्वदेशी आंदोलन ,पूर्ण स्वराज आंदोलन में परिवर्तित हो कर पन्द्रह अगस्त 1947 को आजाद भारत के पूर्ण लक्ष्य को अंततः प्राप्त कर ही लिया।
कांग्रेस आजादी का लक्ष्य प्राप्त करने में इसलिए सफल हुई क्योकि वह लोकतांत्रिक मूल्यों को ले कर आगे बढ़ रही थी।आजादी की लड़ाई में कांग्रेस किसी एक वर्ग की नही बल्कि सम्पूर्ण भारत की अगुवाई कर रही थी।कांग्रेस में कई विचार धाराएं थी,गांधी जी सहित कांग्रेस के नेतृत्वकर्ताओ ने वैचारिक मतभिन्नता का पूरा सम्मान किया तथा विभिन्न विचारों को ले कर स्वतंत्र भारत के एक लक्ष्य के साथ कांग्रेस दुनिया के सबसे बड़े सफल अहिंसक आंदोलन को चलाने में कामयाब हुई।यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस भारत के जनमानस की आईना थी।सारा भारत कांग्रेस के साथ था सिर्फ साम्प्रदायिक जातिवादी और अंग्रेजो के प्रति श्रद्धा रखने वाले दल जरूर कांग्रेस के खिलाफ थे। कांग्रेस के बड़े नेता दादा भाई नैरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य तिलक, गांधी जी भगत सिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, भीम राव अम्बेडकर सी राजगोपालाचारी, आचार्य नरेंद्र देव,मौलाना आजाद मदन मोहन मालवीय आदि अनेको नेताओ ने नेतृत्व और त्याग नैतिकता के ऊँचे मानदंडों को स्थापित किया था।
आजादी के बाद छोटे बड़े रजवाड़ो रियासतों को समाहित कर लोकतांत्रिक भारत के निर्माण के साथ समानता वाले भारत का निर्माण,सबको समान आर्थिक अवसर के साथ सामाजिक और लैंगिक समानता का सुनिश्चित करना बहुत बड़ी चुनौती थी थी ।आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को जानते थे यह सारे लक्ष्य तभी फलीभूत हो सकते है जब भारत आर्थिक रूप से सुदृढ और सुक्षित और स्वस्थ हो।इसीलिये नेहरू जी ने सिचाई परियोजनाओं के साथ बड़े कल कारखानो की नींव साथ मे रखी।नेहरू जी विज्ञान और संस्कृति के सामंजस्य वाले भारत की कल्पना की थी।यही कारण था कि उन्होंने देश मे आईआईएम ,आईआईटी,जैसे अभियांत्रिकी प्रबन्ध संस्थानों से ले कर बेहतरीन चिकित्सा संस्थान अखिल भरतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की।
पंडित नेहरू के बाद की कांग्रेस सरकारों उनके द्वारा स्थापित इस मजबूत नीव पर आधुनिक भारत की शानदार इमारत की स्थापना पर कोई कसर नही छोड़ी।
देश की सामयिक जरूरत के अनुसार कांग्रेस ने समय समय पर प्रथमिकता को बदल कर योजनाओं को बनाया आजादी के पहले स्वतंत्रता आंदोलन आजादी के बाद गणतंत्र का निर्माण संविधान निर्माण प्रथमिकता में थे नेहरू जी के बाद शास्त्री जी के समय अनाज देश की सुरक्षा को लक्ष्य रख कर जय जवान जय किसान का नारा दिया गया।इंदिरा जी हरित क्रांति बीस सूत्री कार्यक्रम ,अंतरिक्ष कार्यक्रम,परमाणु कार्यक्रम से सुदृढ भारत के लक्ष्य को प्रथमिकता में रखा ।राजीव गांधी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तब देश को 21 वी सदी की ओर ले जाने के लिए कांग्रेस की प्राथमिकता में सूचना प्रोद्योगकी और कम्प्यूटर क्रांति थी पंचायतों को शसक्तीकरण कर सत्ता के विकेंद्रीकरण का मार्ग भी खोला गया।पीवी नरसिंहराव जी के समय आर्थिक उदारीकरण को अपना कर वैश्विक व्यापारिक जगत में भारत को मजबूती से खड़ा करने का प्रयास किया गया ।यूपीए चेयर पर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के मार्गदर्शन तथा मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों के साथ खाद्य सुरक्षा कानून ,सूचना के अधिकार ,महात्मा गांधी रोजगार गारंटी ,शिक्षा का अधिकार,भू अधिग्रण जैसे कानूनों को ला कर कांग्रेस ने आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया।
2014 में केंद्र की सत्ता हाथ से जाने के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एक सजग विपक्ष की भूमिका निभा रही है ।बहुमत के अतिवादी चरित्र का विरोध जिस बेबाकी और निडरता से राहुल गांधी कर रहे है वह कांग्रेस के उन्ही मूल्यों उपज है जिन मूल्यों को ले कर कांग्रेस ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक आंदोलन और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रवादी आंदोलन भारत की आजादी की लड़ाई को लड़ा था ।
2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार आम आदमी की जरूरतों उनकी सशक्तीकरण के लिए काम कर रही ।छत्तीसगढ़ की सँस्कृति लोगो के आर्थिक उत्थान के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, सांसद छाया वर्मा, पूर्व सांसद करुणा शुक्ला, कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला, वरिष्ठ कांग्रेस राजेन्द्र तिवारी, सुभाष धुप्पड़, रमेश वर्ल्यानी, गुलाब कमरों, कुलदीप जुनेजा, कन्हैया लाल अग्रवाल, दीपक दुबे, प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, विकास तिवारी, संचार विभाग सदस्य नितिन भंसाली, मोहन लाल निषाद, अमित श्रीवास्तव, विचार विभाग अध्यक्ष हसन खान, अशोक राज आहूजा, निवेदिता चटर्जी, किरण सिन्हा, साक्षी सिरमौर, ज्ञानेश शर्मा, जितेंद्र साहू, सेवादल अध्यक्ष अरूण ताम्रकार, सत्येंद्र वर्मा, संदीप साहू, रोशन सिन्हा, नरेश गड़पाल, सिद्धार्थ चंद्रा, डॉ. कमल नयन पटेल, आशा चौहान, गंगा यादव, ममता राय, रत्ना पांडे, अंजु टंडन, दिनेश फूटान, प्रकाश रामटेके, सतीश जग्गी, धरमदास, पुनीत राम, मंजूलता आनंद, ईश्वर चक्रधारी, नोनी बाई चौहान, गंगा राम, राजेंद्र जैन, महादेव देवांगन, बलभद्र, प्रकाश दास मानिकपुरी, दिलीप साहू, गुड्डू साह, मनीष ठाकुर, अक्षय तिवारी, शशि शर्मा, नितिन ठाकुर, तेजिंदर सिंह होरा, संगीता तिवारी, पद्मा कहर, राजमहंत शिवचरण बघेल, दिनेश कुमार पटेल, दीनू शर्मा, राजेश्वरी चांदनी, शकुंतला बांधे, जेआर साहू, सत्यवती साहू, रूपेश साह, नीलम नीलकंठ जगत, शीतल कुलदीप, कल्पना सागर, निक्की, हाजरून खान, दीप्ति साही, हेमलता सेन, अजय जोशी, मनोज, ए.सी. मंडल, विनय तिवारी, मुरली राव, शिव वर्मा, बबीता सेन गुप्ता, आमोद कुमार सिन्हा, मनोज सिंह ठाकुर, अशोक बानी, बृजमोहन साहू, माधव छुरा, शब्बीर खान, मुरली साहू, शहनाज बेगम, पूनम पांडे, तबस्सुम बानो, असलम कुरेशी, मोनू तिवारी, दिवाकर साहू, आमिर खान, नितिन ठाकुर, श्रीकांत वर्मा, रामनारायण रजक, आगर दास मानिकपुरी, चंदन निर्मलकर, तरुण साह,ू धनंजय साहू, सुंदरलाल जोगी, पुष्पराज बैग, यास्मीन बेगम, अतीक खान, सोमेन चटर्जी, राइस किंग खुटे, मतीन खान, विजय सेन, सारिक रईस खान, अमर परचानी, शिवम तिवारी उपस्थित थे।

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