रमन सिंह में साहस है तो अपना और परिवार के सदस्यों का खाता सार्वजनिक करें, जिसमें न्याय-धान खरीद का पैसा आया – मरकाम

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प्रधानमंत्री से सवाल पूछने का हौसला दिखाएं कि छत्तीसगढ़ के साथ बारदाना देने में सौतेला व्यवहार क्यों? छत्तीसगढ़ में किसानों को बोनस देने में अड़ंगा क्यों ?

 

 

रायपुर/14 जनवरी 2021 —  छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपनी खोई हुई ताकत और जमीन को हासिल करने की लचर कोशिश कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार उनकी 15 साल की नाकामियों से राज्य को उबारने की कोशिश कर रही है, तो यह गरीब व किसान विरोधी रमन सिंह और भाजपाइयों को रास नहीं आ रही है। वे लगातार जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि राज्य की जिन कृषि योजनाओं का वे विरोध कर रहे हैं, उससे उन्हें खुद और उनके परिवार के लोगों को कितना लाभ हुआ है ? डॉ रमन सिंह में साहस है तो वे अपने और परिवार के सदस्यों का खाता सार्वजनिक करें, जिसमें न्याय योजना और धान खरीदी का पैसा पहुंचा है। रमन सिंह को खुद यह चुनौती को स्वीकार करनी चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि डॉ रमन सिंह और उनकी पार्टी भाजपा का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है। सिंघु बार्डर में पिछले 50 दिनों से कड़कड़ाती सर्दी में लाखों किसान डटे हुए हैं और भाजपा की केन्द्र सरकार तीनों काले कानूनों को अमल में लाने के लिए षडयंत्र कर रही है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल सरकार बनने के पहले घंटे से किसानों की चिंता कर रहे हैं। उनके हर दिन की शुरुआत किसानों की चिंता से शुरु होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ लेने के एक घंटे के भीतर किसानों और गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो फैसले लिए हैं, उसका असर दिखने लगा है। रमन सिंह ने राज्य की आर्थिक और सामाजिक बुनियाद को खोखला कर दिया था। ये तमाम नाकामियां रमन सिंह के खाते में दर्ज हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वहां से राज्य को उबारने की कोशिश कर रहे हैं, तो वे जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि रमन सिंह शक्ति-क्षीण नेता हो गए हैं, अन्यथा वे हौसले के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल करते कि छत्तीसगढ़ के साथ बारदाना देने में सौतेला व्यवहार क्यों? छत्तीसगढ़ में किसानों को बोनस देने में अड़ंगे क्यों लगाए जा रहे हैं?

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