भाजपा ने पूछा : सत्तावादी संरक्षण में धान ग़ायब करने और पानी में सड़ा बताकर बड़े घोटाले की साजिशें तो नहीं बुनी जा रही हैं?

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पूर्व मंत्री कश्यप का तीखा हमला- प्रदेश सरकार धान की सुरक्षा नहीं कर पा रही और कुछ तत्व धान को भी काली कमाई का जरिया बना रहे हैं, इससे अधिक निकम्मेपन की और क्या मिसाल दी जा सकती है?

किसान की आत्महत्या पर तंज कसते हुए केदार ने कहा- कमीशन-प्रेमी प्रदेश सरकार को न तो किसानों की जान की परवाह है और न ही किसानों के खेत में उपजे अन्न की बर्बादी और घोटाले की फ़िक्र है

 

 

रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेश सरकार द्वारा ख़रीदे गए धान में हो रहे घोटाले को लेकर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि अकर्मण्य प्रदेश सरकार अन्नदाताओं के परिश्रम का जिस तरह अपमान कर रही है, राष्ट्रीय संपदा धान को खुले में बर्बादी और घोटाले के लिए छोड़कर जिस लापरवाही का प्रदर्शन कर रही है और प्रदेश के अनाज भंडार व अर्थतंत्र को खोखला कर रही है, उसका प्रायश्चित तो देर-सबेर इस सरकार को करना ही पड़ेगा। श्री कश्यप ने कहा कि जो प्रदेश सरकार अपनी सम्पदा, अपने ख़रीदे धान को समय पर सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सकी है, और भ्रष्टाचारी व घोटालेबाज उस धान को भी अपनी काली कमाई का जरिया बना रहे हैं, इससे अधिक किसी सरकार के निकम्मेपन की और क्या मिसाल दी जा सकती है?

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री श्री कश्यप ने सरगुजा संभाग के सूरजपुर ज़िले में 80 लाख रुपए के धान घोटाले के सामने आने के बाद अब दुर्ग संभाग के राजनांदगाँव ज़िले में पटेवा सोसाइटी में सामने आए 52 लाख रुपए के धान घोटले ने साबित किया है कि बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाली प्रदेश सरकार न तो समयबद्ध काम करके राष्ट्रीय संपदा अन्न की सुरक्षा व सम्मान के प्रति गंभीर है और न ही भ्रष्टाचार और घोटालों पर अंकुश लगा पा रही है। श्री कश्यप ने इन दो मामलों के खुलासे को प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ के दावे को कोरी सियासी लफ़्फ़ाजी व जुमलेबाजी निरूपित करते हुए आशंका जताई कि कहीं सत्तावादी संरक्षण में पूरे प्रदेश में धान उठाव नहीं करके उसे ग़ायब करने और पानी में सड़ा बताकर किसी बड़े घोटाले को अंजाम देने की साजिशें तो नहीं बुनी जा रही हैं? श्री कश्यप ने जानना चाहा कि धान ख़रीदी को महीनों बीत जाने के बाद भी और बार-बार ध्यान आकृष्ट कराने के बावज़ूद प्रदेश सरकार ने सहकारी समितियों से धान के उठाव में लापरवाही का परिचय क्यों दिया, जबकि ख़रीदे गए धान का उठाव समितियों से 72 घंटे में करने का प्रावधान है। प्रदेशभर के प्राय: सभी ज़िलों में धान का पूरा उठाव नहीं होने की जानकारी प्रकाश में आ रही है।

भाजपा नेता और पूर्व मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि भाजपा धान ख़रीदी के वक़्त से ही लगातार धान का समयबद्ध उठाव नहीं होने पर प्रदेश सरकार को आगाह करती रही है लेकिन प्रदेश सरकार धान के उठाव को लेकर तब भी बेसुध रही और अब भी है। बिलासपुर, मुंगेली और राजनांदगाँव ज़िलों में ही करोड़ों रुपए मूल्य का धान खुले आसमान के नीचे सहकारी समितियों के प्रांगण में अब तक पड़ा है और अब प्रबंधक प्रदेश सरकार की इस लापरवाही का फ़ायदा उठाकर लाखों रुपए मूल्य के धान का घोटाला कर रहे हैं। श्री कश्यप ने कहा कि बेमौसम बारिश में धान की हुई बर्बादी के बावज़ूद प्रदेश सरकार ने तत्परता नहीं दिखाई और अब जबकि मॉनसून ने दस्तक देनी शुरू कर दी है, करोड़ों रुपए का धान खुले में पड़ा भीगकर सड़ जाने की घनीभूत आशंका के बावज़ूद धान के उठाव व परिवहन को लेकर ज़रा भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के रिश्तेदार उतई-मानिकचौरी निवासी किसान कुबेर साहू द्वारा आत्महत्या किए जाने पर तंज कसते हुए श्री कश्यप ने कहा कि कमीशन-प्रेमी प्रदेश सरकार को न तो किसानों की जान की परवाह है और न ही किसानों के खेत में उपजे अन्न की बर्बादी और घोटाले की फ़िक्र है।

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