ट्रसलेस तकनीक से प्रदेश का पहला गोडाउन सूरजपुर में बनेगा : वोरा

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छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमेन अरुण वोरा ने कहा है कि आधुनिक तकनीक से खाद्यान्न का भंडारण करने ट्रसलेस गोडाउन बनाए जाएंगे।  पायलेट प्रोजेक्ट के तहत सूरजपुर में प्रदेश का पहला सेल्फ सपोर्टेड ट्रसलेस गोदाम 4 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से बनेगा। इस गोदाम की कुल क्षमता 7200 टन होगी।
स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमेन अरूण वोरा ने बताया कि भविष्य में स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के सभी गोडाउन ट्रसलेस तकनीक से बनाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के गोदामों में अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए ट्रसलेस तकनीक काफी बेहतर मानी गई है। इस तकनीक से अनाज के भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान में कमी आएगी। साधारण गोदामों की तुलना में ट्रसलेस गोडाउन में अधिक अनाज भंडारण किया जा सकता है।
गेल वैल्यूम शीट फायदेमंद
अनाज भंडारण गोदामों को कवर करने के लिए छतों पर लगाई गई गेल वैल्यूम शीट को केंद्रीय एजेंसियों भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) द्वारा काफी सराहा गया है। एफसीआई ने नए बनने वाले गोदामों में इस शीट को लगाने कहा है। छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने भी इसी तकनीक से गोडाउन का निर्माण करने का प्लान तैयार किया है। इसकी शुरुआत सूरजपुर के गोडाउन से की जा रही है। इससे पहले प्रदेश में सेंट्रल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन द्वारा तिफरा में इसी तकनीक से गोडाउन बनाया गया है।
सेल्फ सपोर्टेड रूफिंग से होते हैं ये फायदे
साधारण गोडाउन में वॉशर खराब होने पर बारिश का पानी बोल्ट के माध्यम से लीक होने लगता है। गोडाउन में धूल भी प्रवेश करती है और गोडाउन के भीतर जमा होने लगती है। गोडाउन के भीतर पक्षी घोसला बनाते हैं। ट्रसलेस गोडाउन रखरखाव मुक्त होते हैं। गोडाउन के भीतर रखी वस्तुओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं। अज्वलनशील होने के साथ ही आग और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने में ये ज्यादा सहायक होते हैं।

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