केंद्र सरकार ने नक्सलियों पर लगाम कसी और प्रदेश सरकार ने उनको बेलगाम छोड़ रखा है : भाजपा

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भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने पिछले 3 वर्षों में नक्सलियों के देश के 90 से 70 ज़िलों में सिमट जाने की ख़बर को केंद्र सरकार के कार्यकौशल और एक नए विश्वास का परिचायक बताया

छत्तीसगढ़ में मुंगेली ज़िला को नक्सलियों के नए ठिकाने के तौर पर चिह्नांकित कर एसआरई ज़िले में सम्मिलित किया जाना प्रदेश सरकार की विफलताओं का एक और जीता-जागता प्रमाण

 

 

रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार की आक्रामक रणनीति के चलते पिछले 3 वर्षों में नक्सलियों के देश के 90 से 70 ज़िलों में सिमट जाने की ख़बर को केंद्र सरकार के कार्यकौशल और एक नए विश्वास का परिचायक बताते हुए छत्तीसगढ़ में नक्सली वारदातों के साथ ही अब नक्सल प्रभावित इलाक़ों में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता जताई और इसके लिए प्रदेश सरकार कार्यप्रणाली पर निशाना साधा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब मुंगेली ज़िला को नक्सलियों के नए ठिकाने के तौर पर चिह्नांकित कर पुलिस मुख्यालय द्वारा एसआरई ज़िले में सम्मिलित किया जाना नक्सली मोर्चे पर प्रदेश सरकार की विफलताओं का एक और प्रमाण है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यह केंद्र सरकार की रणनीतिक कुशलता का ही सुपरिणाम है कि देश में नक्सली हिंसा में भी 35 फ़ीसदी की कमी आई है, जबकि प्रदेश सरकार नक्सली मोर्चे पर नाकारा साबित हुई है। प्रदेश में जब से कांग्रेस ने सत्ता सम्हाली है, नक्सली गतिविधियों और हिंसक वारदातों में लगातार इज़ाफ़ा हुआ है। नक्सली उन्मूलन के नाम पर महज़ ज़ुबानी जमाखर्च कर रही प्रदेश सरकार ढाई साल में एक सुस्पष्ट और सख़्त नीति नहीं बना सकी है, जिससे नक्सलियों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नक्सली उन्मूलन को लेकर अपनी कोई ठोस नीति तो बनाई नहीं, उल्टे प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नक्सलियों पर लगाम कसने के जो उपाय किए थे, उन पर भी पानी फेरने का काम किया है। नक्सलियों द्वारा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को ‘अपनी सरकार’ बताए जाने के बाद यह धारणा बलवती हुई है कि कांग्रेस की प्रदेश सरकार नक्सलियों पर सख़्ती दिखाने के बजाय अपना दोस्ताना निभाने में लगी है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि नक्सली मोर्चे पर प्रदेश सरकार नीयत और नीति साफ़ नहीं होने का ही यह दुष्परिणाम है कि नक्सली अब बस्तर के बाहर अपने नए ठिकाने बना रहे हैं। मुंगेली ज़िला को एसआरई ज़िले में सम्मिलित किया जाना प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैए को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले कुछ सालों से मुंगेली ज़िले के लोरमी और छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा से लगे कवर्धा ज़िले की सीमा से लगे ज़ंगली इलाक़े के गाँवों में नक्सली मूवमेंट की सुगबुगाहट के बाद भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा मुंगेली ज़िले को एसआरई ज़िला घोषित करना सुरक्षा के लिहाज़ से दुरुस्त फ़ैसला तो है, लेकिन इस पूरे इलाक़े में नक्सलियों को लेकर फैली दहशत के चलते नक्सली मोर्चे पर विफल प्रदेश सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकती।

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