हाथियों को धान खिलाने के नाम पर भ्रष्टाचार की बिछाई जा रही नई बिसात : कौशिक

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नेता प्रतिपक्ष कौशिक का आरोप, अजब सरकार की है गजब कहानी

 

 

रायपुर — नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश सरकार के उस फैसले का कड़ा विरोध किया है जिसमें हाथियों को जंगल व बस्तियों से दूर रखने के लिए सड़ा हुआ या अंकुरित धान खिलाने की योजना प्रदेश सरकार बना रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश की सरकार धान खरीदी के बाद हुए भ्रष्टाचार से बचने के लिए अब भ्रष्टाचार की नई बिसात बिछा रही है। उन्होंने कहा कि इससे तय है कि हाथियों के नाम पर मार्कफेड से अंकुरित व सड़े हुए धान को करीब 2050 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा वहीं खुले बाजार में इसे करीब 1400 रुपए की दर से खरीदने के लिए तैयार है। लेकिन प्रदेश सरकार की योजना संदिग्ध है जो हाथियों के नाम पर भ्रष्टाचार की एक नई बिसात बिछाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो भी कर ले वह कम है। इस सरकार का मकसद केवल मात्र अपने दिल्ली के ऐसे नेतृत्व को खुश करना है जो सत्ता के आनंद के लिए उन्हें बने रहने का टोकन समय-समय पर देते रहे हैं। उस टोकन के एवज पर प्रदेश से दिल्ली क्या-क्या भेजा जा रहा है वह सबको पता है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश के धान संग्रहण केन्द्रों में अब तक करीब 0.19 मीट्रिक टन धान का उठाव नहीं हुआ है। मिलर्स भी कस्टम मिलिंग करने से मना कर दिए है। खरीफ सीजन 2019-20 के संग्रहित धान पूरी तरह से सड़ चुका है लेकिन जिस तरह से हाथियों के नाम पर इस धान को खरीदने की योजना बनाई जा रही है ये सबके समझ से परे है और यह प्रदेश की अजब सरकार की गजब कहानी को बताती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार के पास धान खरीदी को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है। अब जब धान खरीदी को लेकर भारी भ्रष्टाचार हुआ है उस पर पर्दा डालने के लिए हाथियों का सहारा लिया जा रहा है। गजराजों को दो गज जमीन देने में असफल सरकार, धान के नाम पर अब केवल सियासत कर रही है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि लेमरू प्रोजेक्ट पर शीघ्र कार्य करते हुए हाथियों के बसाहट को लेकर ठोस पहल करें ताकि मानव और हाथियों के बीच के संघर्ष पर अंकुश लगाया जा सके। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि हाथियों के दाना-चारा के नाम पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार वन विभाग के माध्यम से जिस प्रस्ताव की बात कर रही है कहीं उस प्रस्ताव के पीछे कोई गोपनीय प्रस्ताव तो नहीं है जिसे प्रदेश सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।

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