हाथियों को सड़ा धान खिलाने की योजना , भाजपा प्रदेश अध्य्क्ष विष्णु देव साय ने सरकार से पूछे 6 सवाल ।
हाथियों को सड़ा धान खिलाने की योजना पर बरसे विष्णु देव कहा सरकार भ्रटाचार के नए नए तरीके निकाल रही है
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने हाथियों को सड़ा धान खिलाकर गाँव-नगर और आबादी बस्तियों में आने से रोकने की प्रदेश सरकार की क़वायद को भ्रष्टाचार के एक और दरवाजे पर दस्तक देना बताया है। श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने नाकारापन को छिपाने की शर्मनाक कोशिशों के चलते वर्ष 2019-2020 का वह सड़ा धान कई गुना ज़्यादा क़ीमत पर वन विभाग को बेच रही है, जिसे सामान्यत: राइस मिलर्स 700 रुपए की दर पर ख़रीदने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश सरकार और उसके वन मंत्रालय की यह मिलीभगत अपने आपमें सिवाय हास्यास्पद उपक्रम से ज़्यादा कुछ नहीं है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कटाक्ष कर जानना चाहा कि प्रदेश सरकार को इस मामले में भी क्या अपने ‘शहज़ादे’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का ‘क्रांतिकारी मार्गदर्शन’ मिला है? श्री साय ने प्रदेश सरकार की उस दलील को अतार्किक और नासमझी का परिचायक बताया, जिसमें प्रदेश सरकार और कांग्रेस के लोग यह कहकर अपनी इस तुग़लक़शाही को उचित ठहराने में लगे हैं कि इसमें भ्रष्टाचार जैसा कुछ नहीं है, बल्कि इससे सरकार का पैसा सरकार के पास ही आ रहा है! श्री साय ने सवाल किया कि जब बात सराकार का पैसा सरकार को ही ट्रांसफ़र होना है तो इस सड़े धान की ख़रीदी के लिए वन विभाग ने 2,000 रुपए के बजाय 200 रुपए की दर पर धान ख़रीदी का कोटेशन क्यों नहीं दिया है? इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार इस तरह सड़ा धान खपाकर भ्रष्टाचार की एक नई पटकथा लिखने जा रही है। श्री साय ने इस बात पर हैरत जताई कि एक दिन पहले तक जिस धान की ख़रीदी वन विभाग की नहीं थी, अगले ही दिन वन मंत्री मो. अक़बर ने सड़ा धान खिलाकर हाथियों के उत्पात को रोकने के इस अज़ूबे प्रयोग को सफ़ल क़रार दिया!
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने सरकार से इस मामले में 6 सवाल पूछे है:-
1.क्या इन सबमें केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली किसी राशि का उपयोग होना है?
2.किस कमेटी ने यह सर्वेक्षण किया कि हाथी को इस प्रकार सड़ा धान खिलाकर गाँव-आबादी बस्तियों में जाने से रोका जा सकता है?
3. कमेटी ने यह ‘ सर्वे’ कब से कब तक किया?
4.प्रदेश सरकार और उसका वन मंत्रालय प्रदेश को यह भी बताए कि हाथी सड़ा धान खाएगा, इसका आधार क्या है?
5.ज़ंगली इलाकों में हाथी के लिए धान कौन रखेगा और यह संभव कैसे है?
क्या प्रदेश सरकार पूरे ज़ंगल में सड़ा धान बिछाकर रखेगी, क्योंकि हाथियों का दल कब और कहाँ से होकर गुज़रेगा, इसका कोई ठिकाना नहीं होता।
6.इस सड़े धान की कीमत जिसका मूल्य 700रु भी नही उसकी कीमत 2000 रु प्रति क्विंटल से ज्यादा तय क्यों किया गया?