राजमेरगढ़ को तपोवन के रूप में किया जाएगा विकसित: भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री पहुंचे राजमेरगढ़, आदिवासी अंचल के गांव में ग्रामीणों से लिया योजना का फीडबैक

ग्रामीणों ने अपनेपन के साथ मुख्यमंत्री को दी खीरा-भाजी की भेंट

रायपुर — मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने कहा है कि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के सुदूर अंचल के ग्राम राजमेरगढ़ को तपोवन के रूप में विकसित किया जाएगा। राजमेरगढ़ अमरकंटक से लगा हुआ गांव है। यह तपोभूमि है। यहां बैगा आदिवासी निवास करते हैं। श्री बघेल ने कहा कि दूर-दूर से अमरकंटक आने वाले श्रद्धालुओं के लिए राजमेरगढ़ में योग केन्द्र और बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी, ताकि राजमेरगढ़ को पर्यटन केन्द्र के रूप में पहचान मिले। यहां किए जाने वाले निर्माण कार्यों में सीमेंट का उपयोग नहीं होगा, बल्कि आदिवासियों की जीवनशैली के अनुरूप लकड़ी, बांस, मिट्टी का उपयोग किया जाएगा।

मुख्यमंत्री आज राजमेरगढ़ के प्रवास पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने ग्रामवासियों से चर्चा कर शासन की विभिन्न योजनाओं का फीडबैक लिया। श्री बघेल ने वहां इस अंचल के नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय डॉ. भंवर सिंह पोर्ते के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा वहां उपस्थित उनके परिवार के श्री हरि सिंह पोर्ते से कुशलक्षेम पूछा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ग्रामीणों से चर्चा के दौरान कहा कि राजमेरगढ़ में ऋषि मुनियों का लगातार आगमन होता रहा है, इसलिए राजमेरगढ़ के सुन्दर प्राकृतिक परिवेश में ध्यान योग केन्द्र सहित आधारभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी। श्री बघेल ने राजमेरगढ़ के निवासी और ग्राम पंचायत के पंच श्री रमेश बैगा के घर पहुंचकर आदिवासी भाई-बहनों से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से बच्चे की पढ़ाई-लिखाई, मलेरिया की जांच, निराश्रित पेंशन के वितरण सहित अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति की जानकारी ली। ग्रामीणों ने बड़े ही अपनेपन से अपनी बाड़ी के उपजाए खीरा, भाजी की भेंट मुख्यमंत्री को दी।

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