हाथियों के बढ़ते आंतक के बीच अब छत्तीसगढ़ बनता जा रहा है गजलोग — कौशिक
प्रदेश में हाथियों और मानव का द्वंद्व चिंताजनक
रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश में लगातार मानव व हाथियों के बीच बढ़ते द्वंद्व और जनहिन पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हाथियों के संरक्षण के लिये प्रदेश सरकार के पास कागजी योजना के अलावा कुछ भी नहीं है। जब खराब धान को खरीद कर हाथियों को खिलाने की योजना बनीं है जिसके प्रारंभ होने पर उस योजना पर शक सुई घुमने लगी है। इस योजना को लेकर प्रदेश की सरकार जरा भी ईमानदार नहीं दिखा रही है, केवल हाथियों के नाम पर भष्ट्राचार को समर्पित योजना है।
उन्होंने कहा कि इस समय मध्य भारत में छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिये नया ठीकाना बन गया है। जिसकी पहचान गजलोक के रूप होने लगी है। एक समय पर प्रदेश के कुछ जिलों में हाथियों के आंतक की समस्या थी लेकिन अब उन पांच से बढ़कर करीब 11 जिलों में हाथियों का आंतक बढ़ता जा रहा है। जिससे काफी जनहानि हो रही है। इन हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है। जिस तरह से सरगुजा संभाग उदयपुर में एक परिवार के तीन सदस्यों की जान हाथियों ने ले ली है। यह घटना बेहद ही चिंताजनक व दुखदायी है। इस तरह के बढ़ते वारदातों के लिये प्रदेश सरकार नीतियां जिम्मेदार है। लेमरू परियोजना के प्रांरभ से हाथियों के आतंक से निजात पाई जा सकती है लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री व नेता अपने आप में ही पत्राचार में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर सरगुजा संभाग में हाथियों का आंतक इस कदर है कि इन दो साल में 46 लोगों की मौत हाथियों के कारण हो चुकी है। जिसमें सबसे अधिक मौतें सुरजपुर जिला में 16 लोगों की हुई है। इन दो सालों में हाथियों ने सरगुजा संभाग मे ही 947 घरों को नुकसान पहुंचाया है। जिसमे सबसे अधिक सरगुजा जिला में 413 घर शामिल है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि करीब इन दो सालों में ही प्रदेश में हाथियों ने करीब दस हजार हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया है। प्रदेश के करीब 200 गांवों में हाथियों का आंतक व्यप्त है।जिसमें से करीब 93 गांव हाथियों के आंतक के मामलों में अति संवेदनशील है। अब हालत लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। एक समय पर सरगुजा जिले में ही हाथियों के आंतक की समस्या बनी हुई थी लेकिन रायपुर, महासंमुद,बलौदाबाजार, गरियाबंद, बालौद जिला भी हाथियों का नया ठीकना बन गया है। जिसके कारण कई गांवों में लोग घर छोड़ने को विवश है। इन सब के बाद भी प्रदेश की सरकार के पास जान माल की सुरक्षा के लिये कोई ठोस नीति है। पूरी तरह से प्रदेश की सरकार हाथियों के आंतक के नाम पर कुछ भी नहीं कर रही है और केवल कागजों पर करोड़ खर्च सरकारी खजाने को लुटाने में जुटी है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि हाथियों के आंतक पर अंकुश लगाने के लिये विशेषज्ञों की मदद से रणनीति बनाई जानी चाहिये। जिससे आम लोगों की जान-माल की रक्षा की हो सके।