भाजपा सांसद सोनी ने नक्सल प्रभावित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की आहूत बैठक में मुख्यमंत्री बघेल के शरीक़ नहीं होने पर उठाया सवाल ।
नक्सली उन्मूलन की दृष्टि से रणनीतिक उपायों व सुझावों पर महत्वपूर्ण चर्चा के समय मुख्यमंत्री बघेल का बैठक में शामिल नहीं होना हैरतभरा : भाजपा
सांसद सोनी ने तंज कसा : कहीं सत्ता-संघर्ष से जूझते मुख्यमंत्री बघेल ने ख़ुद को ‘संविदा मुख्यमंत्री’ मानकर तो इस निर्णायक बैठक से किनारा नहीं कर लिया?
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुनील सोनी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नक्सल प्रभावित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की आहूत बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शरीक़ नहीं होने पर सवाल उठाया है। श्री सोनी ने कहा कि इस बैठक में नक्सली उन्मूलन की दृष्टि से रणनीतिक उपायों व सुझावों पर महत्वपूर्ण चर्चा के समय मुख्यमंत्री बघेल का बैठक में शामिल नहीं होना हैरतभरा है। श्री सोनी ने कहा कि एक तरफ़ चिठ्ठियाँ लिख-लिखकर नक्सली समस्या को लेकर चिठ्ठीबाज मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के सामने रोना रोते हैं और जब आमने-सामने की चर्चा का अवसर आया तो मुख्यमंत्री बघेल बैठक में शामिल ही नहीं हुए! जबकि नक्सल प्रभावित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री मौजूद रहे केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छोड़कर। श्री सोनी ने तंज कसा कि कहीं सत्ता-संघर्ष से जूझते मुख्यमंत्री बघेल ने ख़ुद को ‘संविदा मुख्यमंत्री’ मानकर तो इस निर्णायक बैठक से किनारा नहीं कर लिया?
भाजपा सांसद श्री सोनी ने कहा कि नक्सली समस्या के समूल उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार और नक्सल प्रभावित प्रदेशों की सरकारों से एक समन्वित रणनीति के तहत काम करने की आवश्यकता अनुभव की जाती रही है ताकि एक प्रदेश में ख़ून की नदियाँ बहाने और विनाशकारी गतिविधियों को अंजाम देने के बाद नक्सली दूसरे प्रदेश में जाकर छिप न सकें। छत्तीसगढ़ की सीमाएँ नक्सल प्रभावित महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और ओड़िशा प्रदेशों से जुड़ी होने के कारण नक्सली इसका बेज़ा फ़ायदा उठाते हैं। श्री सोनी ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आहूत बैठक में शामिल न होकर कहीं नक्सलियों को छत्तीसगढ़ में अभयदान का संदेश तो देने की कोशिश नहीं की है? क्या मुख्यमंत्री ने इस संदेह की पुष्टि नहीं की है कि नक्सलियों से यह प्रदेश सरकार अपना दोस्ताना निभा रही है? प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आने के बाद से नक्सली वारदातों में एकाएक इज़ाफ़ा हुआ है और नक्सलियों के ख़ूनी खेल में जवानों, बस्तर के जनप्रतिनिधियों, भोले-भाले आदिवासियों को अपने प्रण गवाँने पड़े हैं, लेकिन प्रदेश सरकार सिर्फ़ घड़ियाली आँसू बहाकर अपनी ज़िम्मेदारी की इतिश्री कर लेती है।
भाजपा सांसद श्री सोनी ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल छत्तीसगढ़ में नक्सली उन्मूलन के प्रयासों पर गंभीरता और ईमानदारी के साथ काम करने की आदत डाल लें। जब देश के अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने तमाम गहरे राजनीतिक मतभेदों को दरक़िनार करके बैठक में शिरक़त की तो फिर मुख्यमंत्री बघेल को इस बैठक में शरीक़ होने से परहेज क्यों होना चाहिए? श्री सोनी ने कहा कि नक्सलियों को लेकर वे ज़ुबानी जमाख़र्च करने और घड़ियाली आँसू बहाने के बजाय नीतिगत योजना बनाकर ज़मीनी तौर पर ठोस काम करके दिखाएँ और केंद्र से हर मुद्दे पर टकराव पालने की अपनी ओछी मानसिकता त्यागें।