राज्य सरकार आदिवासियों के हकों और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध:  भूपेश बघेल

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आदिवासी समाज की समस्याओं के निदान के लिए मंत्रिमण्डलीय उप समिति एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित

राजनांदगांव, धमतरी, बालोद, गरियाबंद और महासमुंद जिले से आए आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल से लिया योजनाओं पर फीडबैक

वन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण को सामाजिक बैठकों की चर्चा का बनाएं प्रमुख विषय

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर से बेहतर अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास

 

 

रायपुर, 27 सितंबर 2021 — मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार आदिवासियों के हकों और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार आदिवासी समाज को उनके संवैधानिक और कानूनी अधिकार देने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। आदिवासी समाज से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए राज्य सरकार ने मंत्रिमण्डलीय उप समिति एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संबंधित विभागों के सचिवों की उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। सचिवों की उच्च स्तरीय कमेटी आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों एवं प्रमुखों से सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ आदिवासी समाज के संवैधानिक हितों के संरक्षण के लिए विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट मंत्रिमण्डलीय उप समिति को प्रस्तुत करेगी। मंत्रिमंडलीय उप समिति यह रिपोर्ट केबिनेट में प्रस्तुत करेगी।

मुख्यमंत्री आज शाम यहां अपने निवास कार्यालय में राजनांदगांव, धमतरी, बालोद, गरियाबंद और महासमुंद जिले से आए आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री विभिन्न जिलों के आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित कर उनसे सीधे संवाद करके राज्य सरकार की योजनाओं की मैदानी स्थिति की जानकारी, अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है या नहीं, योजनाओं के क्रियान्वयन में यदि कोई समस्या आ रही है, तो इसकी जानकारी ले रहे हैं। साथ ही वे आदिवासी समाज के लोगों से यह भी पूछ रहे हैं कि समाज के हित में और कौन-कौन से कार्य करने की आवश्यकता है। इसी कड़ी में आज पांच जिलों से आए आदिवासी समाज के लोगों से मुख्यमंत्री विचार-विमर्श किया। इसके पहले बस्तर संभाग के 7 जिले से आदिवासी समाज और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के लोग मुख्यमंत्री निवास आ चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि आदिवासी समाज सहित सभी लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर से बेहतर अवसर उपलब्ध हों और छत्तीसगढ़ की संस्कृति आगे बढ़े, और अधिक समृद्ध हो। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठन अपने समाज के अधिक से अधिक लोगों को राज्य शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठन अपनी बैठकों में वन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण के विषय को चर्चा के प्रमुख बिन्दु के रूप में शामिल करें और समाज के लोगों से यह जानकारी लें कि उन्हें वन अधिकार पट्टे मिले हैं या नहीं यदि पट्टे नहीं मिले हैं तो इसके लिए संबंधित एसडीएम कार्यालय में आवेदन जमा कराए जाएं। श्री बघेल ने कहा कि आदिवासी अंचलों में बारहमासी नदी-नाले तो हैं लेकिन इन क्षेत्रों के 85 विकासखण्डों में सिंचाई का प्रतिशत कम है। राज्य सरकार द्वारा नदी-नालों में वाटर रि-चार्जिंग के लिए नरवा योजना का संचालन वन विभाग के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना का अधिक से अधिक लाभ लेने की पहल भी समाज द्वारा की जानी चाहिए। ऐसे नदी-नाले जहां वाटर रि-चार्जिंग करनी है, वहां के प्रस्ताव दिए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े बांध बनाने से जंगल और आदिवासियों की जमीन डूब क्षेत्र में आ जाती है, लेकिन इसकी जगह पर यदि नरवा योजना के कार्य कराए जाते हैं तो उस क्षेत्र में न सिर्फ सिंचाई की सुविधा मिलेगी, बल्कि भू-जल स्तर भी बढ़ेगा। वन और जमीन भी सुरक्षित रहेगी।

श्री बघेल ने मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना की जानकारी देते हुए बताया कि यदि ग्राम पंचायतें अपने पंचायत क्षेत्र की शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण कराती है और उनकी देखभाल करती है तो ग्राम पंचायतों को भी तीन वर्ष तक 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इस योजना का ग्राम पंचायतें अधिक से अधिक लाभ लेकर अपनी आय में वृद्धि कर सकती हैं। इस योजना में फलदार वृक्ष लगाने जाने चाहिए, जिससे आय में आय में और अधिक वृद्धि होगी। जाति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया के सरलीकरण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि पिता के पास जाति प्रमाण पत्र हैं तो उनके बच्चों को भी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। स्कूलों में कैम्प लगाकर बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। यदि किसी के पास प्रमाण स्वरूप कोई दस्तावेज नहीं है तो ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव के आधार पर भी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों सहित किसान, मजदूर, महिलाओं और गरीबों की आय में वृद्धि का प्रयास कर रही है। इस संदर्भ में उन्होंने कर्ज माफी, 2500 रूपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए भी राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना प्रारंभ की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष मजदूर परिवार को 6 हजार रूपए की राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि एक सितम्बर से 30 नवम्बर तक इस योजना का फार्म भरे जा रहे हैं। समाज के लोग सभी पात्र लोगों से इस योजना के लिए आवेदन दिलाने का कार्य प्राथमिकता से करें।
उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 कर दी गई है। तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 2500 रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया गया है। पहली बार कोदो-कुटकी, रागी का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। इन फसलों को खरीफ की फसलों के साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल किया गया है। आय बढ़ाने के लिए तेलघानी बोर्ड गठित किया गया है, इससे गांव-गांव में तेल पेराई के लिए मशीन लगाने के लिए सहायता दी जाएगी। जिससे तिलहन फसलों- सरसों, अलसी सहित टोरा, नीम, करंज का तेल निकाला जा सकेगा और लोगों को आय का एक नया जरिया मिलेगा। छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों- हरेली, पोरा-तीजा, विश्व आदिवासी दिवस मुख्यमंत्री निवास में मनाया जा रहा है। इससे हमारे त्यौहारों को सम्मान मिला है। इस अवसर पर संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव, श्री इन्द्रशाह मंडावी, श्री कुंवर सिंह निषाद, श्री शिशुपाल सोरी, विधायक श्री किस्मतलाल नंद, श्री भुवनेश्वर बघेल, श्री अमितेष शुक्ल ने भी प्रतिनिधि मंडल को सम्बोधित किया।

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