स्थानीय विशेषताओं के आधार पर तैयार विकास योजनाओं से रोजगार व आमदनी के बेहतर अवसर मिल रहे’ ।
माता दंतेश्वरी मंदिर में श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रेडियो वार्ता ‘लोकवाणी’ सुनी
रायपुर. 10 अक्टूबर 2021 — मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता ‘लोकवाणी’ की 22वीं कड़ी का प्रसारण आज नवरात्रि के मौके पर पुरानी बस्ती स्थित माता दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने भी सुना। ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ विषय पर आधारित आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी वर्गों तक पहुंच रहे विकास कार्यों और लोगों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की चर्चा की।
सेवानिवृत्त विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री होरीलाल उपाध्याय ने ‘लोकवाणी’ सुनने के बाद कहा कि राज्य सरकार की नई पहल से लोगों को रोजगार और अच्छी कमाई के नए-नए विकल्प मिल रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में जशपुर में कई जगहों पर चाय की सफल खेती की बात सुनकर कहा कि इससे स्थानीय लोगों को स्थाई रोजगार मिलेगा और उन्हें अच्छी आमदनी होगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना, जिला प्रशासन की केन्द्रीय भूमिका वाले इन कार्यों से राज्य के विकास को नई गति मिल रही है।
माता दंतेश्वरी मंदिर के नजदीक गोपिया पारा में रहने वाले श्री रघुनंदन यादव ने कहा कि डीएमएफ के बेहतर उपयोग से प्रदेश के खनन प्रभावित क्षेत्रों में जनकल्याण के अच्छे कार्य हो रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज के कार्यक्रम में कबीरधाम जिले में इस मद से हुए कार्यों का उल्लेख भी किया है। उन्होंने कहा कि डीएमएफ से ग्रामीण और वन क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों में एएनएम की नियुक्ति, जिला अस्पतालों के अपग्रेडेशन, विशेषज्ञ चिकित्सकों और हेल्थ स्टॉफ की नियुक्ति से खनन प्रभावित इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित होंगी।
मंदिर में दर्शन के लिए आए श्री संतोष साहू ने ‘लोकवाणी’ सुनने के बाद कहा कि जिला प्रशासन की सक्रियता से मनरेगा के तहत भूमि समतलीकरण, डबरी निर्माण, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, किसान सम्मान योजना तथा किसान क्रेडिट कार्ड योजना जैसी योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। डीएमएफ एवं मनरेगा से स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय मौसम, मिट्टी और जलवायु को देखते हुए जिस तरह बीजापुर में मिर्ची की खेती का सपना साकार हो रहा है, वैसे ही अन्य जिलों में भी वहां की विशेषता के अनुसार कार्ययोजना तैयार किया जाना चाहिए।