बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र के निर्माण कार्य में घोर अनियमितता,पहली बारिश में खुली विभाग के घटिया निर्माण की पोल ।
कोरिया — कोरिया वन मंडल अंतर्गत आने वाला वन परिक्षेत्र बैकुंठपुर जहां भारी भरकम सरकार के बजट उठाकर आवागमन को सुगम बनाने व खुद के लिए व्यवस्थित मार्ग बनाने के लिए सरकार से बजट लिया गया और प्रशासनिक स्वीकृति से मिट्टी मुरूम व 5 नग पुलिया निर्माण कार्य कराया गया ,लेकिन पहली बरसात ने सरकार से बजट लिए गए दस्तावेजों की पोल जमीनी स्तर पर वन मार्ग निर्माण से खुल गई, जिससे एस्टीमेट और धरातल में निर्माण कार्य में जमीन आसमान का फर्क नजर आने लगा है। भारी बजट ऐस्टीमेट के आधार पर स्वीकृत तो मिल गई, जिसे देख एजेंसी के जिम्मेदारों ने गैर जिम्मेदाराना तरीका अपनाते हुए वन मार्ग निर्माण कार्य कराया होगा ,जिसका परिणाम वर्तमान में नजर आ रहा है। जुगाड़ से बना एक मात्र यह करतूत पहली बार इसको रास ना आया फोड़ दिए सारे लड्डू और नाक में दम किया सोशल मीडिया ने क्षतिग्रस्त सड़क का सोशल मीडिया में जमकर वायरल खुली तस्वीर जिसके बाद एजेंसी के जिम्मेदार हड़बड़ा कर मरहम की तरह मशीन लगवा कर रिपेयरिंग का कार्य शुरू है!
इस मामले का पूरा तार्थ बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र का है जहां सिंह पानी से पुटा पहुंच वन मार्ग लगभग 7 किलोमीटर में मिट्टी मुरूम सहित 5 नग पुलिया का निर्माण कार्य बरसात के पूर्व कराया गया था ,लेकिन पहली बारिश को यह निर्माण कार्य नहीं झेल पाए।
ऐसे उखड़े जैसे साहब से कोई पुरानी दुश्मनी थी, होम पाइप की पुलिया अलग-थलग हो गई वन मार्ग में बिछाए गिट्टी मुरूम बारिश ने जाने कहां बहा ले गई अब मार्ग में कांटों की तरह पत्थर राहगीरों से खुद को चुभ रही हैं!
इन फोटोग्राफ को देखकर आप भी अनुमान लगा सकते हैं कि सही मापदंड में इससे तैयार नहीं किया गया गुणवत्ता को दरकिनार किया गया है। वरना इस वन मार्ग के हालत पहली बरसात में ऐसी ना होती ,कहीं ना कहीं अपनी जेब भरने की लापरवाही से इस वन मार्ग का कार्य कराया गया होगा ,जिससे यह क्षतिग्रस्त हो गई अब इसमें लगभग 4 दिनों से रिपेयरिंग का कार्य कराया जा रहा है। जो समझ से परे है, रिपेयरिंग में मशीनों का उपयोग किया जाता है उनका खर्च कहां से आ रहा है यह तो मालिक ही जाने ,पर यह तो है करीबी गांव के लोगों से आज मजदूरों को इसका कोई सहारा नहीं है शायद इसी मनमर्जी के कारण मजदूर पलायन भी करते होंगे ,क्योंकि यह से हिटलर शाह की रणनीति का शिकार उन्हें होना पड़ता है।
जबकि वर्तमान सरकार काम कर रही है और मजदूरों को पलायन न करना पड़े ऐसा व्यवस्था गांव तक पहुंचा रही है ऐसे में अधिकारी कहीं ना कहीं सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैं जरूरत है सरकार के वरिष्ठ पहरेदारों को ऐसे कृत्यों को गंभीरता से लेते हुए कडा़ई करने की ,ताकि जनकल्याणकारी निर्माण कार्य सिद्ध व सुचारु रूप से हो सके।
अब जब मामला बड़े अधिकारियों के संज्ञान में आया है तो देखना होगा कि दोषियों पर क्या कार्यवाही होगी?