राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 : विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने दी शानदार लोक नृत्यों की प्रस्तुति ।

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झारखण्ड की कड़सा, जम्मू-कश्मीर की गोजरी, आंध्रप्रदेश की गुरयाबल्लु एवं डिम्सा, असम की कारबी, ओडिशा की धप और तेलंगाना की कोम्मुकोया नृत्य ने दर्शकों को किया अभिभूत

 

 

रायपुर, 28 अक्टूबर 2021 — राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आज राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव का शानदार आगाज हुआ। शुभारंभ समारोह में देश के विभिन्न राज्यों और चुनिंदा देशों के कलाकारों ने लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। दर्शकों ने कलाकारों की तालियों की गड़गड़ाहट से तहे दिल से स्वागत किया। विभिन्न राज्यों के कलाकारों द्वारा अपनी बोली-भाषा, पारम्परिक वेशभूषा-परिधान एवं वाद्य यंत्रों की सुमधुर धुन से प्रस्तुत लोक नृत्य एवं लोक गीत से दर्शक अभिभूत हुए।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में प्रतियोगिता के दौरान विवाह संस्कारों पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए गए। नृत्य प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश का करमा, झारखण्ड का कड़सा, जम्मू-कश्मीर का गोजरी, आंध्रप्रदेश का गुरयाबल्लु एवं डिम्सा, असम कारबी-तिवा, ओडिशा का धप और तेलंगाना का कोम्मुकोया नृत्य ने दर्शकों को भाव-विभोर किया। सुसज्जित मंच पर संतरंगी रोशनी में चेहरे में मुस्कान लिए पूरी ऊर्जा के साथ कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोक नृत्य बेहद ही आकर्षक और सुखद अनुभूति का अहसास करा रहा है।

नृत्य प्रतियोगिता में जहां एक ओर जम्मू-कश्मीर के गुज्जर जनजातियों द्वारा विवाह में दुल्हन की रस्म अदायगी, मेंहदी रचाई और दुल्हन विदाई की भावुक प्रस्तुति दी गई, वहीं आंध्रप्रदेश के कलाकारों ने सिर पर शिवलिंग, ओम और त्रिशुल अंकित मुकुट तथा तन पर मृगछाल धारण कर हाथ में त्रिशुल और डमरू लेकर महादेव का स्तुति गान करते हुए हर-हर महादेव का जयघोष और सधे ताल में मनमोहक प्रस्तुति दी। इसी तरह तेलंगाना के कोम्मुकोया जनजाति के युवा कलाकारों ने सिर पर गौर पशु के सिंग का मुकुट धारण कर लम्बे ढोल पर थाप देते हुए और युवतियों द्वारा पीतल का बना मुकुट धारण कर अपनी धुंधरूदार छड़ियों को जमीन पर पटककर ताल मिलाते हुए नृत्य प्रस्तुत किया।

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