बेलगाम होती जा रही कानून व्यवस्था – सुंदरानी

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रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने पांडुका पुलिस की अभिरक्षा में एक आरोपी द्वारा आत्महत्या किए जाने पर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर निशाना साधा है। श्री सुंदरानी ने इस मामले की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच करते हुए पीडि़त परिजनों को बतौर मुआवजा 25 लाख रुपए देने की मांग की है।
श्री सुंदरानी ने कहा कि धोखाधड़ी के शक में पांडुका पुलिस द्वारा गिरफ्तार जायका ऑटोमोबाइल में कार्यरत सेल्समैन सुनील श्रीवास (चंगोराभाठा, रायपुर) की पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु का यह मामला काफी गंभीर है। सवाल यह है कि प्रदेश का पुलिस प्रशासन इतना बेकाबू और अधीर क्यों हो रहा है कि अपराध की विवेचना के दौरान पुलिस थाने प्रताडऩा के केंद्र बनते नजर आ रहे हैं, और पुलिस की अभिरक्षा में आरोपी की जान जा रही है। प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए श्री सुंदरानी ने कहा कि यह तंत्र के साथ-साथ सरकार की भी विफलता है कि प्रदेश में निर्भीक और संवेदनशील कानून का राज अब एक नए तरह के आतंकराज में तब्दील होता जा रहा है। कानून-व्यवस्था के नाम पर पुलिस प्रशासन का संवेदनहीन रवैया लोगों को इस कदर आतंकित करे तो यह एक सभ्य समाज के लोकतांत्रिक ढांचे को सीधी चुनौती है।
श्री सुंदरानी ने कहा कि मामले की जांच और पीडि़त परिजनों को मुआवजा देने के साथ ही सरकार यह देखे कि प्रदेश में इस तरह की घटना की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो। जब से प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता सम्हाली है, कानून व्यवस्था का हाल बेहाल है। यह पहला दुर्भाग्यपूर्ण मामला नहीं है। राजनीतिक संरक्षण में सरकार पुलिस तंत्र को अपने एजेंडे पर काम करने के लिए जिस तरह मजबूर कर रही है, निश्चित ही यह छत्तीसगढ़ की सौम्य संस्कृति के विपरीत है। पुलिस की भूमिका पर सवाल तब भी उठा था जब अप्रैल में मरवाही-पेंड्रा क्षेत्र में जमीन विवाद के चलते रिपोर्ट कराने गए भाजपा कार्यकर्ता की बेदम पुलिस-पिटाई से मौत हो गई थी। इससे पहले आरंग में भी प्रदेश सरकार के इशारे पर पूर्व भाजपा विधायक नवीन मारकंडे को अकारण पुलिस ने हिरासत में लेकर राजनीतिक प्रतिशोध के एजेंड पर अमल करने का प्रयास किया।

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