केन्द्रीय योजना में नाम केन्द्र का अंश की हिस्सेदारी राज्य की केन्द्र के बराबर — धनंजय सिंह
मोदी सरकार केंद्रीय योजनाओं में स्वयं की हिस्सेदारी में कटौती कर रही, राज्य सरकार के उपर आर्थिक भार थोप रही – कांग्रेस
रायपुर/ 15 नवंबर 2021 — प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि केन्द्रीय योजना अब नाम के लिये केन्द्र की योजना है। जबकि योजना में अंश दान की भागीदारी केन्द्र सरकार के बराबर राज्य सरकार की है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम जल मिशन, राष्ट्रीय शहरी अजीवका मिशन, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, सर्व शिक्षा अभियान में सिर्फ नाम केन्द्र का है एवं अंश दान राज्य का लगभग केन्द्र के बराबर। मोदी सरकार के गलत नीतियों मनमानी से उत्पन्न हुई आर्थिक संकट अब केंद्रीय योजनाओं पर भी प्रभाव दिखा रही है। केंद्र सरकार केंद्रीय योजनाओं में खुद के हिस्सेदारी में 11 प्रतिशत कटौती कर राज्य सरकारों के ऊपर आर्थिक भार बढ़ाने का काम किया है। केंद्रीय योजनाओं में पहले केंद्र सरकार की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी होती थी। अब केंद्र सरकार अपने हिस्सेदारी में 11 प्रतिशत की कटौती कर राज्य सरकार के ऊपर 36 प्रतिशत की अंशदान कक हिस्सेदारी थोप दी है। केंद्र सरकार के इस कदम से राज्य में पूर्व से चल रही केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य सरकार को अंशदान के अलावा 13000 करोड़ रुपया से अधिक की अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार के द्वारा बिना सोचे समझे लागू की गई नोटबंदी और कई स्लैब में लागू की गई जीएसटी के चलते व्यापार व्यवसाय उद्योग में भारी गिरावट आई है। रोजी रोजगार के गंभीर संकट से देश गुजर रहा। पेट्रोल डीजल पर बढ़ाया गया मनमाना एक्साइज ड्यूटी से सभी क्षेत्रों में महंगाई का बुरा असर दिख रहा है। खाने-पीने की सामग्री से लेकर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय स्टील सीमेंट उद्योग दवाई मार्केट कपड़ा मार्केट ज्वेलरी मार्केट सब मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। फर्जी एवं झूठे आंकड़ों के सहारे केंद्र में बैठी सरकार आम जनता की आंखों में धूल झोंक कर बदहाल अर्थव्यवस्था को बेहतर बताने की कोशिश कर रही है। जबकि सच्चाई यह है केंद्र सरकार के पास केंद्रीय योजनाओं में खर्च के लिए पैसे नहीं है। इसलिए केंद्रीय योजना में केंद्र स्वयं की हिस्सेदारी में कटौती कर रही और राज्य सरकारों के ऊपर केंद्रीय योजना में खर्च का भार बढ़ाकर केंद्रीय योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी से भाग रही।