भाजपा का चक्का जाम मोदी को चुनौती है – आर पी सिंह
मोदी सरकार में पेट्रोल पर 300 प्रतिशत और डीजल पर 700 प्रतिशत की एक्साइज ड्यूटी बढ़ी है
रायपुर/18 नवंबर 2021 — कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने बयान जारी करते हुए यह कहा है कि 20 तारीख को भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रस्तावित चक्का जाम दरअसल राज्य सरकार के खिलाफ नहीं है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मोदी सरकार के खिलाफ है। राज्य में भूपेश बघेल जी की सरकार आने के बाद जितना वैट पेट्रोल और डीजल पर डॉ रमन सिंह की सरकार वसूल करती थी उसमें एक रुपए की भी बढ़ोतरी नहीं की गई है फिर भारतीय जनता पार्टी के नेता किस मुँह से हम से वेट कम करने की बात कह रहे हैं? जाहिर सी बात है जो बात राज्य के सभी लोग जानते हैं वह भारतीय जनता पार्टी के नेता भी जानते ही होंगे। छत्तीसगढ़ भाजपा इकाई ने लोगों में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति महंगाई को लेकर बढ़ते आक्रोश को भाँप लिया है और अप्रत्यक्ष रूप से मोदी की केंद्र सरकार को चुनौती देने के लिए चक्का जाम का सहारा ले रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने विष्णु देव साय और उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई दी है कि पूरे हिंदुस्तान में कम से कम छत्तीसगढ़ से ही सही भाजपा में मोदी के खिलाफ आवाज तो उठनी शुरू हो गई है। डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में पेट्रोल पर 9.48 रुपए और डीजल पर 3.56 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगा करती थी जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने बढ़ाकर क्रमशः पेट्रोल पर 27.90 रुपए और डीजल पर 21.80 रुपए कर दिया है। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी की यह दर डीजल में ₹10 और पेट्रोल पर ₹5 कम करने के बाद की हैं। स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने पेट्रोल पर लगभग 300 प्रतिशत और डीजल पर लगभग 700 प्रतिशत की वृद्धि एक्साइज ड्यूटी में की है और यही पेट्रोलियम पदार्थों के महंगे होने की असली वजह है। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने विष्णु देव साय से कहा है कि अगर ईट से ईट बजाना ही है तो मोदी सरकार की बजाइए। छत्तीसगढ़ राज्य की जनता और कांग्रेस पार्टी आपके इस कार्यक्रम में खुलकर साथ देंगे।
आज जब अखबारों में यह समाचार आ चुका है कि छत्तीसगढ़ सरकार वैट में कमी करके पेट्रोलियम पदार्थों की दर कम रखने पर 22 नवंबर को प्रस्तावित कैबिनेट में विचार करने वाली है तब चक्का जाम का आयोजन हड़बड़ी में करना यह बताता है कि भाजपा झूठा श्रेय लेने के लिए तड़प रही है। दरअसल मुद्दों का अभाव, भाजपा की आपसी लड़ाई और नेतृत्व क्षमता की कमी ने राज्य में राजनीतिक रूप से उसे अप्रासंगिक बना दिया है।