राजभवन से मंडी संशोधन बिल वापस होना दुर्भाग्यजनक – कांग्रेस
संवैधानिक पद पर मनोनीत व्यक्तियों को जनादेश का सम्मान करना चाहिये
रायपुर — तीन चौथाई बहुमत वाली सरकार ने राज्य के किसानों के हित में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विधायकों के समर्थन से विधानसभा में पारित करवा कर मंडी संशोधन बिल राज्यपाल को भेजा था। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इस बिल को अस्वीकार करना अनुचित है। राज्य की जनता ने कांग्रेस को सरकार चलाने का जनादेश दिया है। सरकार के द्वारा विधानसभा में पारित कराये गये विधेयक को इस तरह वापस किया जाना जनादेश के भावनाओं के विपरीत है। विधेयक को अध्ययन के नाम पर 1 साल तक रोके जाने का औचित्य क्या था? और केंद्र सरकार के द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद राज्यपाल द्वारा विधेयक वापस लिया जाना क्या महज संयोग है? राजभवन दल विशेष के एजेंडे का पैरोकार है ऐसा संदेश जनता में नहीं जाना चाहिये। इससे संवैधानिक पद की मर्यादायें आहत होती है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक दल के रूप में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का मुकाबला कर पाने में असफल साबित हुई है। इसलिये वह अब पिछले दरवाजे से सरकार के कार्यों में अडंगेबाजी करती है। कभी केंद्र सरकार राज्य सरकार के कार्यों में अवरोध पैदा करती है। कभी केंद्रीय मंत्री तो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को जिस ढंग से बरगलाया जा रहा, उससे प्रजातंत्र की मर्यादायें टूट रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रजातंत्र में संविधान ने विधायिका और मंत्रिमंडल को कानून बनाने और उनके क्रियान्वयन का अधिकार दिया गया है। लोकतंत्र में जनादेश सर्वोपरि है। संवैधानिक पद पर मनोनीत व्यक्ति जिनके कंधों पर संवैधानिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित हो इसको संवैधानिक संस्थाओं के पास अधिकार है उनको जनादेश का सम्मान करना चाहिये। उनको अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिये तथा अधिकारों का उपयोग संविधान की निहित मंशा के अनुरूप करना चाहिये ताकि जनादेश का रंचमात्र भी अपमान नहीं हो।