हसदेव अरण्य और लेमरू हाथी अभ्यारण्य पर भाजपा को कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार नहीं – कांग्रेस
रायपुर — प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हसदेव अरण्य और लेमरू हाथी अभ्यारण्य पर भाजपा को कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता में वन और वन्य जीवों की रक्षा है। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने कोयला उत्खन्न को प्राथमिकता में रखा था। भाजपा के लिये वन क्षेत्र के निवासी और वन्यप्राणियों के हित दूसरे पैदान पर थे, कांग्रेस सरकार ने इसीलिये लेमरू हाथी अभ्यारण्य के दायरे में जिसे रमन सरकार ने घटाकर 450 वर्ग किमी कर दिया था उसे कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 1995 वर्ग किमी रखने का निर्णय लिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 2005 में पहली बार हाथी अभ्यारण बनाने संकल्प पारित किया गया। तत्कालीन रमन सरकार के द्वारा बादलखोल, सेमरसोत अभ्यारण और तमोर-पिंगला अभ्यारण के साथ हसदेव अरण्य और धर्मजयगढ़ के 450 वर्ग किलोमीटर का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया, जिसे केंद्र सरकार के द्वारा 2007 में स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई थी। 2007 से दिसंबर 2018 तक रमन सिंह सरकार ने केंद्र से स्वीकृति मिलने के बावजूद भी इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं किया इसका स्पष्ट मतलब है कि रमन सरकार की नियत छत्तीसगढ़ में हाथी रिजर्व बनाने की कभी नहीं रही। 20 जुलाई 2009 को रमन सिंह सरकार के दौरान ही वन विभाग के सचिव ने पत्र लिखकर नए अभ्यारण बनाने से इनकार किया था। यूपीए सरकार के समय केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने हस्तक्षेप कर देश के सात स्थानों को अत्यधिक महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्र मानते हुए नो-गो-एरिया घोषित किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य और तमोर-पिंगला का एरिया भी शामिल था। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उक्त नो-गो-एरिया के क्षेत्र को कम करते हुए वहां पर भी माइनिंग की अनुमति दी गई, जो भाजपा के राजनीतिक पाखंड और पूंजीवादी चेहरे को उजागर करता है। भूपेश बघेल सरकार ने 1995.48 वर्ग किलोमीटर में “लेमरू रिज़र्व प्रोजेक्ट“ के रूप में हाथी रिजर्व बनाने के लिये अधिसूचना जारी किया है। कांग्रेस की प्राथमिकता में कोयला उत्खनन से ज्यादा जरूरी वहां के निवासियों का जीवन है।