मोदी सरकार के अनर्थशास्त्र और वित्तीय कुप्रबंधन की खुली पोल ।
मोदी राज में अर्थव्यवस्था बिना किसी रोडमैप और आर्थिक फ्रेमवर्क के उल्टे पाँव भाग रही है
रायपुर/31 जनवरी 2022 – केंद्रीय बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि महंगाई, बेरोजगारी और घटती आमदनी का प्रमाण है। मोदी सरकार के कुनीतियों से पीड़ित जनता के लिए घोर निराशाजनक है। चालू वित्तीय वर्ष में विकास दर 9.2 प्रतिशत रहने और आगामी वित्तीय वर्ष में 8 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश की आधी से ज्यादा आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर कृषि पर निर्भर है, लेकिन कृषि विकास दर अनुमान केवल 3.1 प्रतिशत है। खाद पर 5 प्रतिशत जीएसटी, कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत, ट्रैक्टर और कृषि उपकरण पर 12 प्रतिशत जीएसटी व्यावहारिक है। यूपीए सरकार के दौरान 2014 तक 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए थे लेकिन मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते पिछले 7 साल में लगभग 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे वापस धकेल दिए गए। विदेशी पूंजी निवेश भी जुमला साबित हुआ, विगत 7 साल में 2783 विदेशी कंपनियां बंद हो गई। 97 प्रतिशत लोगों की आय कमी आयी है और मोदी के मित्रों के संपत्ति विगत 20 महीनों में 180 प्रतिशत बढ़ गई। देश के भीतर असमानता दिनोंदिन बढ़ रही है। भूखमरी इंडेक्स में 2014 में 55 वें स्थान पर थे जो 2021 में नीचे खिसक कर 103 हो गए। गरीब और गरीब होता जा रहा है, तमाम सुविधाएं और योजनाएं चंद पूंजीपतियों को केंद्रित करके बनाए जा रहे हैं। देश पर कुल कर्ज 2014 की तुलना में 2020 तक लगभग 168 प्रतिशत बढ़ा है। विदेशी कर्जा और विदेशों में भेजे जाने वाला धन दोनों में मोदी राज में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आर्थिक कुप्रबंधन के चलते मोदी सरकार सदैव लाभ में रहने वाले सरकारी उपक्रमों, सरकारी कम्पनियों, देश के बहुमूल्य संसाधनों को बेचने के बाद भी बेबस और लाचार है।