युवा पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए महिलाएं आगे आएं – मंत्री अनिला भेडिय़ा

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रायपुर — महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी नशे की तरफ बढ़ रही है। इन्हें रोकने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा। नशे को जड़ से खत्म करने के लिए अपने घर से शुरूआत करनी होगी। उनका विभाग इस कार्य में पूर्ण सहयोग करने के लिए तैयार है।

श्रीमती भेडिय़ा रविवार को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर में आयोजित महिला जागृति आध्यात्मिक सम्मेलन में बोल रही थीं। समारोह का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अन्तर्गत किया गया था। विषय था -महिलाएं नये भारत की ध्वज वाहक।

उन्होंने बतलाया कि वह राज्य में जहाँ भी जाती हैं वहाँ ब्रह्माकुमारी बहनें आध्यात्मिक शिक्षा और संस्कारों का प्रसार करती मिल जाती हैं। आज की युवा पीढ़ी जो कि भटकर गलत दिशा में जा रही है, उन्हें अच्छे से संस्कारित कर उनका मार्गदर्शन करनेे का सराहनीय कार्य ब्रह्माकुमारी बहनें कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि महिला दिवस एक दिन मनाने का समारोह नहीं है बल्कि इसे हर दिन मनाने की जरूरत है। ताकि हर दिन महिलाओं में खुशी बनी रहे। हम लोग पुरूषों और महिलाओं की समानता और समान अधिकार की बात करते हैं लेकिन हकीकत में महिलाएं अभी भी पुरूषों से बहुत पीछे हैं। वह पुरूषों के साथ बराबरी से खड़ी नहीं हो पा रही है। परिवार में महिलाएं हरेक सदस्य की पसन्द और नापसन्द का ध्यान रखती हैं किन्तु उनकी पसन्द का ध्यान रखने वाला कोई नहीं होता।

उन्होंने बतलाया कि हमारे मुख्यमंत्री भी महिलाओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि महिलाएं उद्यमी बनें। दन्तेवाड़ा में डेनेक्स ब्राण्ड से रेडीमेड कपड़े का कार्य हो रहा है। उनकी इच्छा है कि महिलाओं के इस प्रयास को विश्व स्तर पर पहचान मिले। इसी तरह हम लोग अपने संस्कारों को न भूल जाएं इसलिए सरकार छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहारों को भी मनाने का कार्य कर रही है।

लोकसभा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महन्त ने कहा कि महिलाएं परिवार की नींव होती हैं। उनमें परिवार को चलाने का अद्भुत कौशल होता है। महिलाओं के बिना परिवार अधूरा होता है। उन्होंने बतलाया कि संयुक्त परिवार में नहीं रहने के कारण पहले बच्चों को बड़े बुजुर्गों से जो अच्छी बातें सीखने को मिलती थीं उसका आज अभाव हो गया है। इसलिए उन्होंने कोरबा में स्कूलों में बच्चों को यह शिक्षा देने की शुरूआत की है कि वह लड़कियों को सम्मान की नजर से देखें। उन्होंने कहा कि महिलाएं राजनीति में आकर पंच और सरपंच तो बन गई हैं लेकिन उन्हें कुछ करने की आजादी नही है। शिक्षा के अभाव में उनका काम उनके पति कर रहे हैं।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक ने कहा कि देश का जो प्रचलित नारा है बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ इसे अब बदलने की आवश्यकता है। बेटी को इतना सशक्त बना दीजिए कि वह अपनी रक्षा खुद कर सके। बेटियों के साथ जो अत्याचार हो रहा है उसका प्रमुख कारण हम महिलाएं ही हैं। हम लोग बचपन से ही लड़कियों के अन्दर कमजोर संस्कार डाल देते हैं। बेटे-बेटियों में भेदभाव करने लगते हैं। अब परिवर्तन की शुरूआत स्वयं से करें। जो घर के काम बेटियों से करवाते हैं वह बेटों से भी करवाएं। उन्हें बेटियों का सम्मान करना सीखलाएं।

ब्रह्माकुमारी संगठन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि वर्तमान समय संसार में समस्याओं की भरमार है इसलिए ऐसे समाज में रहने के लिए जीवन में आध्यात्मिकता का होना जरूरी है। इससे जीवन में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता आदि दैवी गुण आते हैं। उन्होंने कहा कि आदि काल में जब महिला आध्यात्मिक शक्ति से सम्पन्न थी तब दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती आदि रूपों में उसकी पूजा होती थी। किन्तु आज की नारी अध्यात्म से दूर होने के फलस्वरूप पूज्यनीय नही रही। भौतिक दृष्टिï से नारी ने बहुत तरक्की की है किन्तु आध्यात्मिकता से वह दूर हो गई है। वर्तमान समय महिलाओं में आध्यात्मिक जागृति की बहुत आवश्यकता है।

हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने कहा कि महिलाओं में बहुत अच्छी प्रबन्धन कौशल होता है। आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में उपलब्धियाँ हासिल की हैं। महिलाएं अगर ठान लें तो उन्हें हराया नहीं जा सकता। उन्हें घर परिवार और समाज के सपोर्ट की जरूरत है। किसी प्रकार का तनाव न लें। तनाव से बचने के लिए सकारात्मक सोंच के साथ आगे बढें। उन्होंने इस सन्दर्भ में पद्मश्री से सम्मानित फूलबासन बाई यादव का उल्लेख करते हुए बतलाया कि रिश्क लेने से न घबराएं। इस तरह आगे आकर अनेकों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। महिलाएं किसी भी परिस्थिति में पुरूषों से कम नहीं हैं।

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति बहन ने कहा कि महिलाओं को पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए बल्कि अपने जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता का सन्तुलन बनाकर चलना चाहिए। स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छंदता नहीं है। रूढि़वादी सोच को बदले तो हर नारी आधुनिक बन सकती है।

इस अवसर पर स्थानीय गायिका कु. शारदा नाग ने मधुर स्वर में गीत प्रस्तुत कर और बाल कलाकारों ने सुन्दर नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रश्मि बहन ने किया।

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