सफलता की कहानी : महात्मा गांधी नरेगा योजना से कुआं निर्माण बना दुरपति बाई के जीवन का सहारा ।
जांजगीर चांपा,14 अप्रैल,2022 – जिले के बम्हनीडीह विकासखण्ड की ग्राम पंचायत बंसुला की रहने वाली श्रीमती दुरपति बाई के पति की मौत के बाद उनकी जिंदगी की गाड़ी थम सी गई थी, लेकिन बच्चों के चेहरों को देखकर उन्होंने जिंदगी की जंग को लड़ना ही बेहतर समझा। उसने परिवार की बागडोर को मजबूती के साथ संभालना शुरू किया। उनके इस मजबूत इरादों में साथ दिया महात्मा गांधी नरेगा योजना ने। जिससे उनके खेती-बाड़ी की जमीन में हितग्राहीमूलक कार्यं के तहत निजी कुआं का निर्माण कराया। भपूर पानी मिलने के बाद उन्होंने वर्तमान के साथ भविष्य की योजनाओं का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया।
जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बंसुला ग्राम पंचायत है। इसमें रहने वाली दुरपति बाई कुर्रे बेहद ही मजबूत इरादों की है। उन्होंने ठाना कि वह अपनी जमीन पर दोहरी फसल जरूर लेकर रहेंगी। इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा से होने वाले व्यक्तिगत कार्यों में निजी कुआं निर्माण को चुना। कुआं में लगने वाली कम जगह और मिलने वाले भरपूर पानी की चाह में उन्होंने आवेदन ग्राम पंचायत में दिया। तकनीकी सहायक के माध्यम से प्रस्ताव तैयार कराकर उसे जनपद बम्हनीडीह से जिला पंचायत जांजगीर भेजा गया। जिला पंचायत की महात्मा गांधी नरेगा ने बखूबी उनका साथ दिया और वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुआं निर्माण की स्वीकृति 2.256 लाख रूपए की दी गई। स्वीकृति होने के उपरांत 2 जून 2021 को कुआं का निर्माण उनकी जमीन पर किया गया। महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकों के द्वारा काम करते हुए 7 परिवारों ने 414 मानव दिवस सृजित करते हुए रोजगार प्राप्त किया। इस कार्य में श्रीमती दुरपति एवं उनके परिवार के द्वारा भी कार्य किया है। 20 अक्टूबर 2021 को कुआं निर्माण होने के बाद उसमें आए भरपूर पानी को देखकर दुरपति बाई की आंखों में चमक आ गई और उनकी उम्मीदों को पंख मिल गये।
बाड़ी बनाकर करेंगी कुएं के पानी का उपयोग
दुरपतिबाई बताती हैं कि 2019 में उनके पति की मृत्यु होने के बाद दुखों का पहाड़ टूट गया, ऐसे में गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। घर की ऐसी परिस्थितियां नहीं थी कि कुआं का निर्माण करा सकें, ऊपर से बेटी की शादी भी करनी थी, पहली प्राथमिकता शादी को दी इसके बाद मनरेगा से हितग्राही मूलक कार्यों के तहत कुआं का निर्माण कराया। वे बताती हैं कि कुआं निर्माण के पहले दोहरी फसल तो दूर सब्जी-बाड़ी लगाने के बारे में भी नहीं सोच पाते थे। बहुत ही मुश्किल से जीवनयापन हो रहा था, बिना पानी के खेत मृत प्राय लगते है, बारिश के पानी पर सिर्फ एक फसल उससे सालभर का गुजारा कर पाना मुश्किल होता है। अब जब मनरेगा से कुआं का निर्माण हुआ तो प्रतिदिन परिवार के लिए निस्तारी पानी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता और दूसरी तरफ घर में पलने वाली गायों के लिए भी भरपूर पानी मिल गया। अब सब्जी-बाड़ी लगाने की तैयारी चल रही है, जिससे वर्तमान के साथ ही भविष्य की बेहतर उम्मीद जागी है।