तीन सालों में लोगों के जीवन में आया बड़ा बदलाव, आजीविका के खुले नये द्वार: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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जनता को राहत पहुंचाने और विकास में भागीदार बनाने के हरसंभव उपाय

विधानसभा में मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित व्यय के लिए 12681 करोड़ 75 लाख 82 हजार रूपए की अनुदान मांगें पारित

लगातार बढ़ रहा खनिज राजस्व इस वर्ष लगभग 11 हजार 900 करोड़ रुपए खनिज राजस्व प्राप्त होने का अनुमान

लोकसेवा केन्द्रों से इस वर्ष 25 लाख 21 हजार से अधिक नागरिकों को मिला विभिन्न शासकीय सेवाओं का लाभ

हाफ बिजली बिल योजना: 40.74 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिली 2200 करोड़ रुपए की राहत

बिजली पर किसानों को तीन वर्षों में मिली 7 हजार 464 करोड़ रुपए की छूट

पुरानी पेंशन योजना की बहाली से अधिकारी-कर्मचारियों को नहीं रहेगा बुढ़ापे में टेंशन

पांच नये जिलों में जिला जनसम्पर्क कार्यालयों की स्थापना के लिए प्रावधान

रायपुर, 21 मार्च 2022 – छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज वित्तीय वर्ष 2022-23 हेतु मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के विभागों के लिए 12681 करोड़ 75 लाख 82 हजार रूपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी गईं। इस राशि में से सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 339 करोड़ 68 लाख 81 हजार रूपए, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 429 करोड़ 60 लाख 90 हजार रूपए, वित्त विभाग से संबंधित व्यय के लिए 7734 करोड़ 24 लाख 25 हजार रूपए, जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय के लिए 208 करोड़ 65 लाख रूपए, ऊर्जा विभाग से संबंधित व्यय के लिए 2634 करोड़ 17 लाख 38 हजार रूपए, खनिज साधन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 751 करोड़ 70 लाख 42 हजार रूपए, जनसम्पर्क विभाग से संबंधित व्यय के लिए 329 करोड़ 87 लाख 10 हजार रूपए, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 192 करोड़ 32 लाख 68 हजार रूपए और विमानन विभाग के लिए 61 करोड़ 49 लाख 28 हजार रूपए का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ‘सेवा, जतन, सरोकार’ और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ इन दो ध्येय वाक्यों को लेकर चल रही है। हमने एक ओर जहां जनता को जल्दी से जल्दी राहत पहुंचाने पर जोर दिया है, वहीं दूसरी ओर उन्हें प्रदेश के विकास में भागीदार बनाने के हरसंभव उपाय कर रहे हैं। वर्ष 2018 में जिन हालात में कराहता हुआ छत्तीसगढ़ मिला था, उसकी याद करके भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हमने तीन वर्षों में बहुत से बड़े-बड़े बदलाव लाए हैं, जिसके कारण छत्तीसगढ़ की जनता को राहत भी मिली और सशक्तीकरण भी हुआ।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा की छत्तीसगढ़ महतारी का सबसे बड़ा आशीर्वाद हमें प्रचुर मात्रा में खनिज के रूप में मिला है। हमारा मानना है कि खनिज ऐसी धरोहर है, जिससे वर्तमान को संवारना है और इसे भविष्य के लिए सुरक्षित भी रखना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी खनिज संसाधन मिल सके। इसलिए हमने बहुत ही पारदर्शी नीतियों और योजनाएं बनाई हैं। जिसके कारण एक ओर जहां खनिज राजस्व में तेजी से वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर इनका लाभ स्थानीय निवासियों को मिल रहा है। राज्य के समग्र विकास में हमारे खनिज संसाधन का समुचित उपयोग किया जा रहा है। खनिज राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि खनिज राजस्व के रूप में राज्य शासन को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 5 हजार 517 करोड़ रुपए प्राप्त हुआ। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से दिसम्बर, 2021 तक की स्थिति में निर्धारित लक्ष्य 7 हजार 800 करोड़ रुपए के विरूद्ध 8 हजार 200 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो चुका है। इस तरह वित्तीय वर्ष के अंत तक लगभग 11 हजार 900 करोड़ रुपए का खनिज राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमएफ के दुरूपयोग के बहुत से किस्से इस सदन में गूंज चुके हैं। हमने डीएमएफ के सदुपयोग की दिशा में गंभीर कदम उठाए हैं। डीएमएफ का उपयोग अब खनन संक्रियाओं से प्रभावित व्यक्तियों एवं क्षेत्र के विकास हेतु किया जा रहा है। हमारी सरकार आने के बाद डीएमएफ के अंशदान से जिलों के कुपोषण दर कम करने, स्वास्थ्य, शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने, कृषि, प्रसंस्करण को बढ़ावा, रोजगार एवं हितग्राही मूलक कार्य प्राथमिकता पर स्वीकृत हो रहे है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से दिसम्बर, 2021 तक डीएमएफ मद में अंशदान के रूप में 2 हजार 20 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है। डीएमएफ से अंशदान के रूप में वर्ष 2015 से अब तक कुल 8 हजार 35 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी को जनसुविधा तथा जनसशक्तीकरण का माध्यम बनाया है। इस कड़ी में अब राज्य शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं की मॉनीटरिंग हेतु ऑनलाइन एडवांस प्लेटफॉर्म ‘मुख्यमंत्री सीजी कैम्प पोर्टल’ विकसित किया गया है। इस पोर्टल में प्रमुख फ्लैगशिप योजनाओं को शामिल किया गया है। जैसे गोधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, सीजी ई-डिस्ट्रिक्ट, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना की ऑनलाइन मॉनीटरिंग इसी पोर्टल के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमने सरकारी दफ्तरों तथा लोकसेवकों की जवाबदेही तय करते हुए लोकसेवा केन्द्रों को सक्षम बनाया है, जिनके माध्यम से इस वर्ष 25 लाख 21 हजार से अधिक नागरिक विभिन्न शासकीय सेवाओं से लाभान्वित हुए हैं। वर्तमान में विभिन्न विभागों की 132 सेवाएं ऑनलाइन रूप से उपलब्ध हैं। इस योजना के माध्यम से अभी तक 172 लाख 86 हजार से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 161 लाख 66 हजार आवेदन निराकृत हो चुके हैं। हमारी तीन महत्वपूर्ण योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। ऑफलाइन शिक्षा के लिए ब्लूटूथ आधारित ई-शिक्षा समाधान ‘बुलठू के बोल’/ग्रामीण क्षेत्रों में नगद भुगतान हेतु ‘डिजिपे सखी’ और ‘गोधन न्याय योजना’ को भारत सरकार द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर जारी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेंशन स्टोरीज की किताब में प्रकाशित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में हमने कुशल प्रबंधन और सही अनुशासन का पालन किया। यही वजह है कि कोरोना, कोयला संकट, लॉकडाउन जैसे तमाम अवरोधों के बावजूद हमने सर्वाधिक उत्पादन, उपलब्धता और आपूर्ति के कीर्तिमान बनाए। जब राज्य का गठन हुआ था तब छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग सिर्फ 1हजार 334 मेगावाट होती थी। 2018 के अंत में 4 हजार 559 मेगावाट पहुंची और आज 5 हजार 57 मेगावाट के शीर्ष को हमने छुआ है।

उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन (पारेषण) की बात करें तो हमने कुशल प्रबंधन से पारेषण हानि 3 प्रतिशत के करीब ला दी है, जो नियामक आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्य 3.22 प्रतिशत से भी कम है। अच्छी व्यवस्था के कारण पारेषण प्रणाली की उपलब्धता 99.79 प्रतिशत रही, जो एक कीर्तिमान है। विगत वर्ष में पारेषण क्षमता बढ़ाने के लिए हमने 132/33 केव्ही क्षमता के 2 उपकेन्द्र उदयपुर (जिला सूरजपुर) तथा खैरागढ़ (जिला राजनांदगांव) में ऊर्जीकृत किया है तथा ऐसे 5 उपकेन्द्र शीघ्र पूर्ण करने जा रहे हैं। कोरोना और लॉकडाउन के बावजूद हमने प्रदेश में विद्युत विकास को गति दी। वितरण व्यवस्था की बात करें तो वर्ष 2018 तक अर्थात 18 वर्षों में प्रदेश में 4 लाख 17 हजार 523 सिंचाई पम्पों को बिजली दी गई थी, जबकि हमने मात्र 3 वर्षों में 67 हजार 942 पम्पों को बिजली दी है। यानी 3 वर्षों में 16 प्रतिशत। 11 केव्ही उपकेन्द्र की बात करें तो प्रदेश में 18 वर्षों में 1 लाख 56 हजार 94 उपकेन्द्र स्थापित हुए थे, जबकि हमने मात्र 3 वर्षों में 44 हजार 321 उपकेन्द्र स्थापित किए। यानी सिर्फ 3 वर्षों में 28 प्रतिशत। 11 केव्ही और निम्न दाब लाइनों की संख्या भी हमने 18 वर्षों की तुलना में 16 प्रतिशत बढ़ा दी है। राज्य सरकार ने अपनी विद्युत क्षमता का लाभ प्रदेश के जरूरतमंद परिवारों को देने का काम किया है। हाफ बिजली बिल योजना के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 400 यूनिट खपत पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। इस योजना के तहत हमने अभी तक 40 लाख 74 हजार घरेलू उपभोक्ताओं को लगभग 2200 करोड़ रुपए की राहत दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को बिजली की ताकत देने के लिए निःशुल्क अथवा रियायती दर पर बिजली दी जा रही है। विगत 3 वर्षों में 5 लाख 94 हजार सिंचाई पम्प उपभोक्ता किसानों को 7 हजार 464 करोड़ रुपए की छूट दी गई है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए विद्युत खपत की कोई सीमा नहीं रखी गई है। अन्य वर्गों के किसानों को 3 हार्स पावर के पम्पों पर 6000 यूनिट तथा 3 से 5 हार्स पावर वाले किसानों को 7500 यूनिट बिजली प्रतिवर्ष निःशुल्क दी जा रही है। बीपीएल परिवारों को 30 यूनिट प्रति कनेक्शन प्रतिमाह की दर से निःशुल्क बिजली दी जा रही है, जिससे 17 लाख से अधिक परिवारों के घर रोशन हो रहे हैं। सौर ऊर्जा से विगत 3 वर्षों में 56 हजार से अधिक पम्पों की स्थापना की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बंद हो चुकी पुरानी पेंशन को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया है, इससे अधिकारियों कर्मचारियों को बुढ़ापे की चिंता नहीं रहेगी क्योंकि उन्हें पेंशन मिलेगी।

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जी.आई.एस. मैपिंग के माध्यम से ऐसे ग्रामों का चिन्हांकन किया गया था, जिनके 5 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी बैंक शाखा/बैंक मित्र कार्यरत नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में इसके अंतर्गत ऐसे 1 हजार 540 ग्रामों को चिन्हांकित किया गया। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने 1 हजार 483 ग्राम में बैंकिंग सेवा पहुंचा दी है, जो लक्ष्य का लगभग 96.3 प्रतिशत होता है। वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में आम जनता तक बैंकिंग सुविधा की पहुंच के लिए विशेष प्रयास किए गए, जिसमें समस्त बैंकों के माध्यम से 21 हजार 312 बैंक मित्र नियुक्त किए जा चुके हैं। इसी तरह प्रदेश के नक्सल प्रभावित अंचलों में बैंक शाखाओं की संख्या 338 से बढ़कर 551, एटीएम की संख्या 222 से बढ़कर 455 कर दी गई है। लगभग 4 हजार बीसी सखियों की सेवाएं भी सराहनीय है। हमने जहां 91 हजार करोड़ रुपए लोगों की जेब में डाले, वहीं इन पैसों की सुरक्षा की दिशा में भी प्रयास करने में सफल हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट में वित्त विभाग अंतर्गत प्रमुख प्रावधानो की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य अंतर्गत विभागों की विभिन्न योजनाओं हेतु निर्बाध वित्त आपूर्ति हेतु लिए गए लोक ऋण के पुनर्भुगतान हेतु 6 हजार 11 करोड़ 90 लाख रुपए का प्रावधान। ऋण के ब्याज की समयबद्ध अदायगी हेतु 7 हजार 2 करोड़ 70 लाख रुपए का प्रावधान। राज्य के कर्मचारियों की पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभों हेतु 7 हजार 594 करोड़ 60 लाख रुपए का प्रावधान। किसानों को दिए जाने वाले ब्याजमुक्त ऋण के संबंध में ग्रामीण बैंकों को दिए जाने वाले ब्याज अनुदान हेतु 16 करोड़ रुपए का प्रावधान। जगदलपुर में लेखा प्रशिक्षण शाला के स्थापना हेतु 6 नवीन पदों के सृजन के लिए 20 लाख रुपए का प्रावधान। इससे बस्तर क्षेत्र के कर्मचारियों के लेखा संबंधी ज्ञानवर्धन के साथ ही लेखा सेवाओं में प्रवेश व पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसम्पर्क विभाग द्वारा पंडित माधवराव सप्रे के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा स्वर्गीय चंदूलाल चन्द्राकर एवं स्वर्गीय मधुकर खेर की स्मृति में प्रतिवर्ष चयनित पत्रकारों को पुरस्कार दिया जाता है। इसके अलावा 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों को मुख्यमंत्री सम्मान निधि के रूप में 10 हजार रुपए की राशि देने की व्यवस्था की गई है। मीडियाकर्मियों तथा उनके आश्रित परिवार के सदस्यों को बीमारी या दुर्घटना की स्थिति में चिकित्सा सहायता अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा 5 नए जिलों में जनसम्पर्क कार्यालयों की स्थापना के लिए भी हमने प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में विमानन सुविधाओं के विकास के संबंध में कहा कि रीजनल कनेक्टिविटी योजना अंतर्गत जगदलपुर, बिलासपुर एयरपोर्ट को 3सी-व्हीएफआर एयरपोर्ट अनुरूप विकसित कर इनका लायसेंस प्राप्त किया गया है। मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट, जगदलपुर से हैदराबाद-जगदलपुर-रायपुर सेक्टर में तथा बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट, बिलासपुर (चकरभाठा) से दिल्ली-जबलपुर-बिलासपुर-प्रयागराज सेक्टर में अब नियमित विमान सेवा का संचालन हो रहा है। राज्य शासन द्वारा मां महामाया एयरपोर्ट, अम्बिकापुर दरिमा के रनवे के विकास के लिए राशि 43 करोड़ 98 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है। एयरपोर्ट का विकास 3सी-व्हीएफआर एयरपोर्ट अनुरूप किया जा रहा है। शीघ्र ही एयरपोर्ट का लायसेंस प्राप्त कर यहां से घरेलू विमान सेवा प्रारंभ करने की योजना है। राज्य शासन द्वारा बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट बिलासपुर को 4सी-व्हीएफआर श्रेणी में विकसित करने की योजना बनाई गई है, ताकि यहां से बड़े विमानों का संचालन संभव हो सके। माना रायपुर एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अपार संभावनाओं को देखते हुए राज्य शासन ने यहां से अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा का संचालन प्रारंभ करने तथा व्यापार, वाणिज्य गतिविधियों के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्गाे सुविधा विकसित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि हमने रायपुर से दुबई एवं सिंगापुर के लिए विमान सेवा शीघ्र प्रारंभ करने का अनुरोध केन्द्र सरकार से किया गया है। अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा संचालन के लिए विमान संचालक कंपनी को राज्य शासन आवश्यक सब्सिडी भुगतान करने हेतु सहमत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार घर-घर में जल पहुंचाने का काम पूरा करेगी। प्रदेश में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नरवा योजना शुरू की गई है।

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