कुल जीएसटी संग्रहण में 26.6 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले आयातित सामानों पर टैक्स का होना मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के जुमले की नाकामी का प्रमाण है – सुरेंद्र वर्मा

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महंगाई दर ऐतिहासिक रूप से शिखर पर, उच्च मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा, घरेलू उत्पादन में गिरावट, अंतरराष्ट्रीय व्यापार असंतुलन मोदी सरकार की नाकामी का प्रमाण है

मोदी राज में यदि कुछ बढ़ रहा है तो महंगाई, बेरोजगारी, असमानता, पूंजीवाद, बुलडोजर संस्कृति, हिंसा, नफ़रत और उन्माद आमजनता को राहत देनें में पूरी तरह नाकाम

रायपुर/03 जून 2022। केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जारी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि बीते माह के कुल जीएसटी कलेक्शन में एक चौथाई हिस्सेदारी अकेले आयातित सामानों पर टैक्स की रही है। यह प्रमाणित करता है कि मोदी सरकार में घरेलू उत्पादन लगातार गिर रहा है। बीते माह के कुल जीएसटी संग्रहण 140855 करोड रुपए में से 37469 करोड रुपए यानी 26.6 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले आयातित सामानों पर टैक्स की रही है। आयातित सामानों पर बढ़ती निर्भरता मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के जुमले की नाकामी का प्रमाण है। व्यापार संतुलन केंद्र की गलत आर्थिक नीतियों के चलते बिगड़ गया है। राजकोषीय घाटा और महंगाई ऐतिहासिक रूप से चरम पर है। छोटे और मध्यम कंपनियां लगातार बंद हो रही है रोजगार के अवसर घट रहे हैं। 85 प्रतिशत आम जनता की आय घटी है। लोगों की क्रय-शक्ति लगातार घट रही है। गरीब और मध्यम वर्ग के बहुसंख्यक आबादी का गुजारा मुश्किल हो गया है और भाजपाई अमृतकाल के इवेंट में मस्त हैं। आम जनता की समस्याओं से पूंजीवादी भाजपाईयों का कोई सरोकार नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि चंद्र पूंजीपति मित्रों का विकास देश का विकास नहीं हो सकता। मोदी सरकार के संरक्षण में अमीरी और गरीबी के बीच खाई लगातार चौड़ी हो रही है। गलत आर्थिक नीतियों के चलते हैं करोड़ों लोग मध्यमवर्ग से गरीबी रेखा के नीचे आ गए। सरकारी कंपनीयां, सरकारी संसाधन, नवरत्न कंपनियां, बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्ट बंदरगाह बेचे जा रहे हैं। पेट्रोलियम, खनन, उर्वरक सहित सभी तरह के घरेलू उत्पादन लगातार घटाए गए हैं। खाद सब्सिडी खाद्य सब्सिडी और मनरेगा जैसे लोक कल्याणकारी योजनाओं के बजट में कटौती भाजपा के जन विरोधी षडयंत्रों का प्रमाण है। देश पर कर्ज का भार बढ़ रहा है। विदेशों में भेजा जानें वाला धन तेजी से बढ़ रहा है। बड़े बैंक फ्रॉड मामले बढ़े हैं। रिज़र्व बैंक का रिजर्व फंड भी दबाव पूर्वक ले लिया गया। केवल चंद पूंजीपतियों का लाखों करोड़ों लोन राइट ऑफ करने वाली मोदी सरकार किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश की अनुशंसा लागू करने का वादा करके लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देने में अक्षम रही। मोदी सरकार के चमक पूंजीपति मित्रों के द्वारा आयातित सामानों को पाने के लिए देश के भीतर होने वाले उत्पादन को षडयंत्र पूर्वक घटाया जा रहा है। घरेलू पेट्रोलियम उत्पादन, कोल खनन और स्थनीय औद्योगिक उत्पादन तेज़ी से घटा है। निर्यात में कमी और आयातित सामानों पर निर्भरता बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन बिगड़ रहा है। विदेशी मुद्रा के भंडार संकुचित और हैं यह मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन का प्रमाण है।

 

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