94 फीसदी बच्चे फिर लौटे स्कूल , मेंटर्स करा रहे बच्चों की स्कूल वापसी ।
फिर स्कूलों में दाखिले के लिए किया जा रहा प्रेरित
शाला त्यागी बच्चों के लिए शासन की सार्थक पहल
रायपुर – छत्तीसगढ़ में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर शासन स्तर पर लगातार नए-नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में शाला त्याग चुके बच्चों को पुनः मुख्यधारा में लाना चुनौती रहा है। ऐसे में शाला त्यागी बच्चों के लिए मेंटर्स का निर्धारण भी किया गया है, जो स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से स्कूलों में दाखिला लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और उन्हें स्कूलों तक ला रहे हैं। शासन के इस प्रयास के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
बीते दो वर्षों के आंकड़ों को देखें तो शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रारंभिक स्तर में 27,695 शाला त्यागी बच्चे चिन्हित किये गये थे, जिनमें से कुल 26,074 (94.15 प्रतिशत) बच्चों को फिर से स्कूलों तक लाने में सफलता मिली। इसी प्रकार शैक्षणिक सत्र 2022-23 में प्रारंभिक स्तर में 13,737 शाला त्यागी बच्चे चिन्हित किये गये थे, जिनमें से अब तक कुल 11,944 (86.95 प्रतिशत) बच्चों को मुख्यधारा में लाया गया है। वहीं सेकेण्डरी स्तर के शाला त्यागी बच्चों को ओपन स्कूल के माध्यम से परीक्षा दिलवायी जाती है। इसमें शैक्षणिक सत्र 2021-22 में कुल 27,083 एवं शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 18,948 बच्चे ओपन स्कूल के माध्यम से 10वीं एवं 12वीं परीक्षा में शामिल हुए। कुछ शाला त्यागी बच्चे ऐसे होते हैं, जिनके प्रवेश पश्चात आयु अनुरूप कक्षा में समायोजित नहीं हो पाते है, ऐसे बच्चों को विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी आयु के अनुरूप दक्षता प्राप्त कर शिक्षा की मुख्यधारा में लाया जा रहा है।
बीच में ही पढ़ाई छोड़ने के ये हैं कारण :
स्कूली बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने के पीछे प्रमुख कारणों में पालकों की उदासीनता, बच्चों का पढ़ाई में रूचि नहीं लेना, छोटे भाई बहनों की देखभाल, घरेलू कार्यों में सहयोग, सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थिति की कमजोरी का आंकलन किया गया है।
मेंटर्स में अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधि शामिल :
शिक्षा विभाग द्वारा शाला त्यागी बच्चों के प्रवेश एवं उनके स्कूलों में बने रहने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इस वर्ष प्रत्येक शाला त्यागी बच्चे के लिए मेन्टर्स का निर्धारण किया गया है, जिनका कार्य ऐसे बच्चों एवं उनके पालकों को शिक्षा एवं शाला के महत्व को समझाते हुए उन्हें नियमित शाला आने के लिए प्रेरित करना है। कोशिश यही है कि बच्चे शाला में प्रवेश ले एवं प्रवेश पश्चात लगातार शाला में बने रहें। मेन्टर्स के रूप में कार्यरत एवं सेवानृवित्त शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारियों के अलावा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है।
भोजन, पाठ्य सामग्री व आवासीय सुविधाएं :
राज्य शासन द्वारा स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत सभी विद्यार्थियों को प्रतिदिन ताजा स्वादिष्ट भोजन प्रदान किया जा रहा है। विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तक एवं गणवेश प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त राज्य शासन द्वारा आश्रम शाला पोटा केबिन आवासीय विद्यालय, कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है, जहां दूर-दराज के विद्यार्थी निःशुल्क आवासीय सुविधा के साथ-साथ अध्ययन करते हैं।