विशेष लेख :: कृष्ण कुंज: पर्यावरणीय विरासत और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने की दिशा में बेहतर कदम ।

0

 

सचिन शर्मा, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी

विकास की दौड़ में छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्र में पेड़ पौधों की जहां कमी होते जा रही है, वहीं शहर और कस्बे कॉन्क्रीट के जंगल बनते जा रहे है। शहरों में लोगों के लिए उद्यान, बाग-बगीचे अब नहीं के बराबर है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसी कमी को दूर करने के लिए कृष्ण कुंज योजना तैयार की गई है। कृष्ण कुंज से लोगों को आत्मिक शांति और खुशनुमा वातावरण उपलब्ध होगा। कृष्ण कुंज एक ऐसा स्थान होगा, जहां लोगों के जीवन उपयोगी पेड़-पौधों का रोपण किया जाएगा। यहां लोक संस्कृति और पर्वाें के अवसर पर पूज्यनीय पेड़-पौधा भी लगाए जाएंगे। राज्य सरकार की यह पहल छत्तीसगढ़ की संस्कृति को और मजबूत करेगी। साथ ही भावी पीढ़ी वृक्षों के सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय मूल्यों से परिचित हो सकेगी।

हमारी संस्कृति में पेड़ों को पवित्र मानते हुए उनके बचाव की इतनी सुंदर संकल्पना हमारी परंपरा में की गई। हमारे धार्मिक ग्रंथ पर्यावरण और जीवन का खूबसूरत समन्वय दिखाते हैं। लंका में माता सीता को रावण द्वारा अशोक वाटिका में रखा गया। बुद्ध ने अपना ज्ञान बोधि वृक्ष के नीचे और महावीर ने अपना ज्ञान साल वृक्ष के नीचे प्राप्त किया। वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम पंचवटी में रहे। आज के समय में जब पर्यावरण इतना ज्यादा क्षरित हुआ है। हमारी आवश्यकता अब उद्यानों से भी बढ़कर वाटिकाओं की हो गई है। ऐसी वाटिकाएं जब आध्यात्मिक पौधों से सुसज्जित हों तो स्वाभाविक रूप से वहां माहौल भी आध्यात्मिक होगा, सुकून से भरा होगा। भगवान कृष्ण के नाम पर रखी गई इन वाटिकाओं में न केवल लोगों को सुकून मिलेगा अपितु शहर के बीच में ये बड़े आक्सीजन हब के रूप में काम करेंगी। एक पीपल के पेड़ को ही लें, एक पीपल का पुराना पेड़ हर दिन 250 लीटर आक्सीजन देता है। एक एकड़ में बने कृष्ण कुंज अद्भुत रूप से पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में बनाए जा रहे कृष्ण कुुंज में पौधरोपण की शुरूआत करने जा रहे है। इसी प्रकार अन्य जिलों के नगरीय निकायों में विभिन्न जनप्रतिनिधियों द्वारा कृष्ण कुंज के लिए निर्धारित स्थलों में वृक्षारोपण की शुरूआत करेंगे। राज्य में कृष्ण कुंज को विकसित करने के लिए जवाबदारी कलेक्टरों को दी गई है। इस कार्य के लिए वन विभाग को नोडल विभाग नियुक्त किया गया है। रायपुर जिले के 10 नगरीय निकाय, गरियाबंद के 3, महासमुंद के 6, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले 4, कोरिया जिले के 7, कोण्डागांव 3, दंतेवाड़ा जिले के 4, बीजापुर-सुकमा-नारायणपुर जिले के 1-1 स्थलों के कृष्ण कुंज में पौधरोपण किया जाएगा। इस प्रकार प्रदेशभर में 162 कृष्ण कुंज विकसित किए जा रहे हैं।

कृष्ण कुंज की कल्पना के पीछे शहरों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने और क्लाइमेट चेंज जैसी समस्याओं को कम करना है। कृष्ण कुंज की कल्पना को साकार करने और इसमें लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए औषधीय महत्व के पौधों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति, पर्व की दृष्टि से भी उपयोगी और महत्वपूर्ण पौधों का रोपण किया जा रहा है। कृष्ण कुंज सिर्फ सांस्कृतिक दृष्टि से ही उपयोगी न होकर, युवाओं और बुजुर्गाें को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करेगा।

कृष्ण कुंज ऐसे स्थान पर विकसित किए जा रहे है, जहां पर्याप्त शासकीय भूमि हो और यह स्थान शहर से लगा हो। कृष्ण कुंज के लिए कम से कम एक एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा। कृष्ण कुुंज के विकसित होने से शहरों में होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी, वहीं बच्चों के खेल-कूद के लिए बेहतर स्थान मिलेगा। यहां औषधि महत्व के पौधों से लोगों को आसानी से घरेलू इलाज के लिए औषधि मिल पाएगी। छत्तीसगढ़ के लोक जीवन और सांस्कृतिक मूल्यों की दृष्टि से कृष्ण कुंज में वट अर्थात् बरगद, पीपल, पलाश, गुलर अर्थात् उदुम्बर इत्यादि वृक्षों का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ औषधीय महत्व के पौधों का रोपण किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed