सफलता की कहानी : गीदम के बड़े कारली गांव में महिलाएं चला रही ढाबा।

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जायका ऐसा जो एक बार खाए, बार-बार आए

जल्द ही टिफिन सर्विस भी करेंगी शुरू

रायपुर /छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तीकरण की बयार सुदूर वनांचल के इलाकों में तेजी से बहने लगी है। समूह के जरिए महिलाएं अब उन कामों को भी अपने जिम्मे ले लिया है, जिनमें पुरूषों का एकाधिकार रहा है। बड़े कारली गांव, जिसके गौठान परिसर के समीप स्व-सहायता समूह की महिलाएं सफलतापूर्वक ढाबा चला रही हैं। बड़े कारली दंतेवाड़ा जिले के गीदम विकासखण्ड की एक पंचायत है। महिलाओं ने ढाबे का नाम मनवा ढाबा रखा है। समूह की महिलाओं द्वारा ढाबे में खिलाए जा रहे भोजन का जायका ऐसा है कि जो एक बार खाए वह यहां बार-बार खाने के लिए आता है। ढाबे का संचालन कर महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर हुई हैं, बल्कि अपने परिवार को अच्छी खासी मदद देने लगी हैं। ढाबा संचालन में जुटी महिला बहनों ने अब तक 8 से 10 लाख रूपए तक का व्यवसाय किया है। जिससे उन्हें डेढ़ लाख रूपए का मुनाफा हुआ है। ढाबे की सफलता से प्रसन्न महिलाएं जल्द ही टिफिन सर्विस शुरू करने जा रही है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं को समूह के माध्यम से रोजगार, व्यवसाय से जोड़ने की मुहिम के चलते आज ग्रामीण अंचल की महिलाएं रोजगार कर न सिर्फ अपने आपको आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि वे अपने घर का सहारा भी बनी हैं। ऐसे ही दंतेवाड़ा जिले में घरेलू काम मे व्यस्त रहने वाली महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर कई छोटे-छोटे उद्योग का सफल संचालन और स्वावलंबन की मिसाल पेश कर रही हैं। बड़े कारली पंचायत में स्थित गौठान, ग्रामीणों के रोजगार-व्यवसाय का केन्द्र बन गया है। गौठान में ही गोबर संग्राहकों से गोबर खरीद, वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट बनाने के साथ स्व-सहायता समूहों द्वारा सामुदायिक बाड़ी जैसी अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जिससे उन्हें लाखों रूपए की आमदनी होने लगी है। ढाबा का संचालन कर रही बॉस बोडीन स्व-सहायता समूह की 10 महिलाओं की एकजुटता और सफलता को देखते हुए गांव की अन्य महिलाएं भी खुद के पैरों पर खड़े होने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा की ओर अग्रसर हैं।

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