वादा पूरा करने की नीयत हो तो वित्तीय व्यवस्था आड़े नहीं आती – कांग्रेस
शिक्षाकर्मियों का संविलियन कांग्रेस का वादा पूरा करने की प्रतिबद्धता का उदाहरण
उसेंडी शिक्षाकर्मियों के संविलियन पर नुक्ताचीनी करने के बजाय रमन सरकार का चरित्र देखें
रायपुर — प्रदेश सरकार द्वारा 16 हजार शिक्षाकर्मियों के संविलियन के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत करते हुये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त किया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जो काम रमन सरकार 15 साल में नहीं कर पायी वह काम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 6 महिने में करना शुरू कर दिया। राज्य की कांग्रेस सरकार का यह फैसला विधानसभा चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में किये गये वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता का एक बड़ा उदाहरण है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार शिक्षाकर्मियों से लगातार वादाखिलाफी कर रही थी। बार-बार आंदोलनों के बाद भी शिक्षाकर्मियों का संविलियन नहीं किया जा रहा था। शिक्षाकर्मियों को वेतन समय पर नहीं दिया जाता था। शिक्षाकर्मी जब संविलियन और समय पर वेतन देने की मांग को लेकर आंदोलन करते थे उनके आंदोलनों को बलपूर्वक कुचला जाता था। चुनाव के कुछ महिने पहले ही जब शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में प्रदर्शन करने वाले थे, पूरे प्रदेश में नाकेबंदी कर महिला शिक्षाकर्मियों तक की गिरफ्तारियां की गयी थी। उनको टायलेट तक उपयोग नहीं करने दिया गया था।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी शिक्षाकर्मियों के संविलियन के कांग्रेस सरकार के आदेश पर नुक्ताचीनी करने के बजाय भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सरकार के चरित्र का अवलोकन करें। जिसने 15 साल पहले 2003 के विधानसभा चुनाव में शिक्षाकर्मियों के संविलियन का वायदा किया था। लेकिन तीन चुनावों तक शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा नहीं किया गया। 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले वोट हासिल करने के लिये कुछ शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया भी तो उनके वेतन आदि के लिये वित्तीय प्रावधान की व्यवस्था नहीं की गयी थी। राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्तीय स्वीकृति हासिल कर शिक्षाकर्मियों के वेतन की व्यवस्था की।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सीख ले, यदि वायदा पूरा करने की ईमानदार नीयत हो तो इसके लिये वित्तीय व्यवस्था आड़े नहीं आती। रमन सरकार द्वारा विरासत में पचास हजार करोड़ के कर्जे के बावजूद कांग्रेस सरकार ने किसानों का 11000 करोड़ से अधिक का कर्जा माफ किया। 2500 रू. प्रतिक्विंटल में किसानों के एक-एक दाना धान की खरीदी की गयी। 300 करोड़ सिंचाई कर माफ किया गया। 400 यूनिट तक के बिजली के दाम आधे किये गये। तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 2500 से बढ़ा कर 4000 रू. किया गया और अब 16000 शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जा रहा है। यही फर्क है कांग्रेस और भाजपा की नीयत में, कांग्रेस जो कहती है वह करती है, भाजपा वादा करती है फिर मुकरती है।