प्रत्येक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी को महिला और बाल हितैषी  होना चाहिए — डी.जी.पी.

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बाल हितैषी पुलिस थाना विकसित किए जाने के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण 
विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ
रायपुर — पुलिस महानिदेशक श्री डी.एम.अवस्थी के विशेष आतिथ्य में पुलिस मुख्यालय द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से बाल हितैषी पुलिस थाना विकसित किए जाने के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ आज स्थानीय न्यू सर्किट हाउस स्थित सभा कक्ष में हुआ। पुलिस महानिदेशक श्री अवस्थी ने प्रदेश के सभी जिलों से आए नोडल पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल थाना ही नहीं, बल्कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी को बाल हितैषी और महिला हितैषी होना आवश्यक है, तभी हम विश्वसनीय पुलिस की कल्पना साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में जब प्रत्येक महिला और प्रत्येक बच्चा पुलिस को अपना मित्र समझने लगेगा तो सम्भवतः इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन की आवश्यकता नहीं होगी।
श्री अवस्थी ने कहा कि पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी पुलिस अधीक्षकों को राज्य के सभी थानों को जन सुविधा केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों में बच्चों, महिलाओं सहित सभी नागरिकों से सम्मानजनक व्यवहार करने और थानों में आने वाले व्यक्तियों की समस्याओं को हल करने के प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि केवल दंड देने से व्यक्ति अथवा समाज में सुधार लाना संभव नहीं है। सुधार लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना होगा और जिम्मेदारी पूर्वक निरंतर प्रयास से ही सुधार लाया जा सकता है। श्री अवस्थी ने कहा कि आगामी छह महिने में राज्य के सभी थानों में और पुलिस की कार्यप्रणाली में कितना सुधार आता है, इसकी उच्च स्तरीय समीक्षा की जाएगी और जो पुलिस अधिकारी-कर्मचारी अच्छा व्यवहार करेंगे उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा बाल मित्र योजना शुरू की जाएगी, जिसके अंतर्गत राज्य के सभी बच्चों को पुलिस अपना मित्र बनाएंगी, इसी प्रकार राज्य में स्टूडेट केयर पुलिसिंग भी प्रारंभ की जाएगी, जिससे सभी विद्यार्थी और बच्चें पुलिस के मित्र बन सकेंगे।
श्री अवस्थी ने यूनिसेफ के अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिया कि इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन के स्वरूप में परिवर्तन लाते हुए बच्चों के पालकों  के लिए भी शहरी और ग्रामीण स्तरों पर कार्यशाला आयोजित किया जाए, क्योकि बच्चों का अधिकतम समय अपने परिवार के बीच व्यतित होता है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस कार्यशाला में भाग लेने वाले पुलिस अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में सभी पुलिस अधिकारियों को बच्चों और महिलाओं के प्रति सम्मानजनक और विनम्रता पूर्ण व्यवहार की सीख देंगे।
कार्यशाला में विशेष महानिदेशक श्री आर.के.विज ने प्रदेश भर से आए पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस की भूमिका बच्चों के लिए संवेदनशील है। पुलिस को अपने थानों में ऐसा खुशनुमा वातावरण तैयार करना चाहिए, कि वहां आने वाला कोई भी नागरिक भयभीत न हो। उन्होंन कहा कि केन्द्र शासन और राज्य शासन द्वारा बच्चों और महिलाओं के विरूद्ध घटित होने वाले अपराधों में कमी लाने के लिए कानून ने कई बदलाव किए हैं, लेकिन इन अपराधों में अपेक्षाकृत कमी नहीं आई है। पुलिस यदि त्वरित कार्रवाई और निष्पक्ष कार्य करे तो  अपराध में कमी लायी जा सकती है। श्री विज ने कहा कि बच्चों के माता-पिता, अभिभावक भी सही ढ़ंग से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें तथा बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान रखें तो बच्चा अपराध की ओर आकर्षित नहीं होगा। उन्होंने जेजे एक्ट में किए गए प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को जेजे एक्ट का पूर्ण अध्ययन करना चाहिए। इसमें बाल अपराध रोकने और उसमें कमी लाये जाने के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। पुलिस अपने व्यवहार में परिवर्तन करके अपने आप को बाल हितैषी बना सकती है।
कार्यक्रम में यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख श्री प्रशांत दास ने पुलिस को बाल हितैषी बनाए जाने के प्रति जागरूकता लाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में उप पुलिस महानिरीक्षक श्री एस.सी.द्विवेदी, श्रीमती नेहा चंपावत, सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती पूजा अग्रवाल सहित पुलिस मुख्यालय और यूनिसेफ के अधिकारी उपस्थित थे।

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