मोदी सरकार की मुनाफाखोरीवाली नीति के कारण रसोई गैस के दाम बढ़े – मरकाम

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मोदी राज में महंगाई बेलगाम हो गयी – कांग्रेस

रायपुर/02 मार्च 2023। मोदी सरकार की मुनाफाखोर और जन विरोधी नीति के कारण गैस सिलेंडर के दाम लगभग बारहसौ (1174) हो गये है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार को जनता के दुख तकलीफ से कोई मतलब नही है, उसे अपने करारोपण में कोई समझौता नही करना है भले ही जनता बढ़े हुये टैक्स के कारण बेतहाशा महंगाई से परेशान हो। मोदी सरकार के आने के पहले 2014 में घरेलू गैस के दाम 500 रू. के नीचे था रसोई गैस के दाम 500 के नीचे रह इसके लिये कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने 2004-2005 से लेकर 2013-2014 तक जब तक कांग्रेस की सरकार थी 214000 (दो लाख चौदह हजार) करोड़ रू. की सब्सिडी दिया ताकि गैस के दाम स्थिर रहे जनता पर बोझ नही पड़े उस समय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें आज से ज्यादा थी तब भी भारत विदेश से गैस आयात करता था तब कांग्रेस की सरकार की नीयत के कारण गैस के दाम सस्ते थे मनमोहन सरकार ने 10 साल में गैस पर दो लाख चौदह हजार करोड़ की सब्सिडी दिया जबकि मोदी सरकार ने 9 साल में मात्र 36500 करोड़ की सब्सिडी दिया आज तो वह लगभग शून्य की स्थिति है। मोदी सरकार ने उज्वला स्कीम के नाम पर देश की महिलाओं से धोखा दिया वोट तो ले लिया आज उज्वला स्कीम महिलाये अपना गैस सिलेंडर भरवानें की स्थिति में नही हैं सिलेंडर के दाम उनकी पहुंच से दूर है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि यदि यूपीए शासन काल से तुलना करें तो आज हर चीज की कीमत बेहिसाब बढ़ी हुई है। गैस सिलेंडर ही नही हर वस्तु के दाम दोगुने से भी अधिक हो गए हैं।, पेट्रोल 2014 में 71 रू. प्रति लीटर था जो वर्ष 2022 में 100 रू. प्रति लीटर, कीमत में 40 प्रतिशत की वृद्धि, डीजल वर्ष 2014 में 57 रू. प्रति लीटर था जो वर्ष 2022 में 95 रू. प्रति लीटर कीमत में 75 प्रतिशत की वृद्धि, सरसों तेल वर्ष 2014 में 90 रू. प्रति किलो था, जो वर्ष 2022 में 200 रू. प्रति किलो कीमत में 122 प्रतिशत की वृद्धि, आटा वर्ष 2014 में 22 रू. प्रति किलो था जो वर्ष 2022 में 35-40 रू. प्रति किलो कीमत में 81 प्रतिशत की वृद्धि, दूध वर्ष 2014 में 35 रू. प्रति लीटर था जो 2022 में 60 रू. प्रति लीटर कीमत में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह सब्जियों की कीमतों में 35 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। नमक 41 प्रतिशत महंगा हुआ है। दालें 60-65 प्रतिशत तक महंगी हो गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसकी कीमत इस सरकार में न बढ़ी हो। मोदी सरकार महंगाई को तो नियंत्रित कर नहीं पा रही है उल्टा पहले से ही परेशान जनता पर टैक्स का बोझ डाल कर अपना खजाना भरने में लगी है। भाजपा के सत्ता में आने से पहले 2014 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रू. प्रति लीटर था और डीजल पर 3.56 रू. प्रति लीटर। मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर पेट्रोल पर 32.98 रू. प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रू. प्रति लीटर कर दिया। ये सरकार यूपीए की तुलना में पेट्रोल-डीजल पर 186 प्रतिशत ज्यादा टैक्स वसूल रही है। 2021-22 में देश का कुल कर संग्रह भी 34 फीसदी बढ़कर 27.07 लाख करोड़ हो गया, जो बजट में लगाए गए 22.17 लाख करोड़ के अनुमान से 5 लाख करोड़ ज्यादा है। इसमें एक बड़ा हिस्सा जीएसटी का है। सरकार पहले ही जीएसटी से इतना पैसा कमा रही है फिर भी इसकी भूख शांत नहीं हो रही। अब आटा, दही, पनीर, जैसी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दी गई है।

 

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