रोटा वायरस वैक्सीन व टीडी वैक्सीन की खुराक का शुभारंभ 8 जुलाई से करेंगे स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव

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रायपुर —  प्रदेश के बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दो नए वैक्सीन का राज्य स्तरीय शुभारंभ करने जा रही है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग नियमित टीकाकरण के अंतर्गत रोटा वायरस वैक्सीन एवं टीडी वैक्सीन का शुभारंभ राजधानी के पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 8 जुलाई को सुबह 11 बजे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रायपुर विधायक सत्य नारायण शर्मा, कुलदीप जुनेजा, विकाश उपाध्याय व सचिव स्वास्थ्य विभाग निहारिका बारिक सिंह भी उपस्थित रहेंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए वैक्सीन का भंडारण भी करा लिया है। इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने रोटा वायरस वेक्सीनेशन ओरल व टीडी वैक्सीन इंजेक्शन के माध्यम से देने की तैयारियां ज़ोरों पर चल रही हैं। यह वैक्सीन नवजातों को जानलेवा डायरिया व टिटनेस सहित गलघोंटू से बचाव करेगा जो भारत में शिशु मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। रायपुर सीएमएचओ डॉ केआर सोनवानी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वाथ्य मिशन सहित सभी टीकाकरण कार्यक्रम के शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति के लिए जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत डॉक्टरों की बैठक ली गई । वहीं बैठक में कोई बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे इसके लिए तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
रोटा वायरस वैक्सीन की तीन खुराक बच्चों को ओरल (मुह के माध्यम से) 5 बूंद 06, 10 एवं 14 सप्ताह की आयु में दी जाएगी जो पोलियों की खुराक की तरह ही ड्राप के माध्यम से पिलाया जाएगा। यह दवा अब नियमित टीकाकरण का हिस्सा होगी । टीकाकरण केन्द्रों में सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा निशुल्क ड्रॉप पिलाई और इंजेक्शन के माध्यम दी जायेगी । स्वास्थ कार्यकर्ता तीन दिन तक दवा पिलाये गए बच्चों का फॉलो अप भी करेंगें । रायपुर जिले के टीकाकरण केंद्र सीएचसी, पीएचसी, एसएचसी , मेकाहारा, जिला अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमित रूप से टिका किया जाएगा।
भारत सरकार की आंकड़ों के अनुसार देशभर रोटा वायरस की चपेट में आने से सालाना 5 लाख 26 हजार बच्चों की मौत होती है। वहीं 1400 बच्चे की मौत प्रतिदिन हर घण्टे 60 बच्चों की जान चले जाती है यानी हर मिनट में एक बच्चा अकाल मौत की गाल में समा जा रहा है। प्रतिदिन 2 हजार बच्चे रोटावायरस की वजह डायरिया से अस्पताल में भर्ती लेते हैं।
रोटा वायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो बच्चों में होने वाले 40 प्रतिशत डायरिया के लिए रोटा वायरस जिम्मेदार होता है।
रोटा वैक्सीन की जानकारी देते हुए रायपुर जिले के टीकाकरण अधिकारी डॉ. विकास तिवारी ने बताया रोटा वायरस से ज्यादातर 0-1 वर्ष के बच्चे प्रभावित होते हैं जिसमें 6-7 माह के बच्चों में प्रभाव को ज्यादा देखा गया है । वर्तमान में इससे बचाव के लिए ओआरएस एंव जिंक दिया जा रहा है । दावा की पांच बूंद पहली ड्रॉप 6 सप्ताह, दूसरी खुराक 10 सप्ताह और तीसरी 14 सप्ताह के उम्र के बच्चे को पिलाई जाएगी । जिले में 0 से 1 साल के बच्चों की सँख्या लगभग 55 हजार है, वहीं 60 हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाएं भी शिशु के जन्म के पूर्व ही स्वास्थ्य विभाग कई तरह के टीकाकरण का हिस्सा बन जाती हैं। टीकाकरण कॉर्ड को फील्ड स्तर पर आरएचओ महिला- पुरुष, मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैयार करते हैं।
टेटनस टॉक्साइड (टीटी) टीके के बदले अब टेटनस डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा। टीडी एक सुरक्षित टीका है जिसे इन्जेक्शन के माध्यम से दी जाएगी। इससे टिटनेस और गलघोंटू बीमारी से मुक्ति मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के अनुसार टीटी के बदले टीडी टीके का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गर्भवती महिला सहित 10 से 15 साल के आयु वर्गों के लिए भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में टीटी के बदले टीडी टीके को शामिल करने की सलाह दी है। गर्भावस्था के दौरान टीटी के बदले टीडी, प्रसवपूर्ण देखभाल के दौरान मां एवं नवजात को टेटनस व डिप्थीरिया के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के लिए की जाती है। गर्भावस्था के दौरान टीका, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है

रोटा वायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है। पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। रोटा वायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियाँ भी होती हैं और कभी- कभी पेट में दर्द भी होता है। दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 7 दिनों तक रहते हैं। इस गंभीर रोग की रोकथाम में रोटा वायरस वैक्सीन काफ़ी प्रभावी होगा।

विशेष क्या होगा

जहां पर नियमित टीकाकरण होता है वहां पर ही रोटा वैक्सीन भी किया जाएगा ।
एक शीशी से 5 बच्चों को दवा पिलवाई जाएगी 4 घंटे के अंदर 1 शीशी का उपयोग होगा ।
4 घंटे के बाद बची हुई खुराक का दुबारा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा ।
विशेष ध्यान क्या दिया जाये
जिस बच्चे के पेट का ऑपरेशन हुआ है, उसको दवा नहीं दी जाएगी ।
जिस बच्चे को दवा रिएक्शन की हिस्ट्री है उसका रोटा वैक्सीन नहीं किया जाएगा ।
जिन बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम है, उनका वैक्सीन नहीं किया जाएगा।
ड्रॉप के बच्चों का विशेष ध्यान देना होगा
ड्रॉप पीने के बाद पेट में यदि तनाव होता है, चिड़चिड़ापन है, उल्टी दस्त हो रहा है, पेचिश आ रही है, तो तुरंत पास के अस्पताल में संपर्क करना होगा ।
इसके अतिरिक्त कार्यकर्ता 3 दिन तक दवा पिलाये गए बच्चे का नियमित फॉलोअप करेंगे ।

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