अस्पतालों में एंटी स्नैक वेनम, एंटी रेबीज सहित मौसमी बीमारी से निपटने दवाओं का पर्याप्त स्टॉक — डॉ सोनवानी
महामारी व बाढ़ आपदा से निपटने जिला स्तरीय कॉम्बेट कंट्रोल टीम गठित
8 जुलाई 2019
रायपुर — मानसून की बारिश के शुरूआत के होते ही मौसमी बीमारियों की संभावनाओं के साथ प्राकृतिक आपदा, सर्पदंश और कुत्त काटने के प्रकरण बढ़ जाते हैं। बारिश में होने वाले महामारियों, बिमारियों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इनके इलाज और बचाव की तैयारी पूरी कर ली है। सांप काटने के बाद मरीज के जान बचाने के लिए एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन लगाए जाते हैं। वहीं कुत्ते काटने पर इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन इंजेक्शन भी उपलब्ध कराए गए हैं। इसी वजह से कुत्ते , बंदर और अन्य जानवरों द्वारा काटे मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए स्टॉक भेज दिया गया है। सीएमएचओ डॉ. केआर सोनवानी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने मैदानी अमले को सतर्क रहने के आदेश दिए हैं। रायपुर जिले के लिए जिला स्तरीय कॉम्बेट कंट्रोल रूम की स्थापना कर ली गई है। इनके बाद जिला स्तरीय कॉम्बेट टीम रायपुर शहरी क्षेत्र एवं चारो विकास खण्ड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी कॉम्बेट टीम का गठन किया गया है। ताकि किसी महामारी, बाढ़ आपदा की सूचना मिलते टीम पहुंच कर उपचार की व्यवस्था करना है। इसके लिए जिले के प्रत्येक ग्राम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मितानिन, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छ्ता एवं पोषण समिति के सदस्य सम्मिलित हैं।
सीएमएचओ डॉ. केआर सोनवानी ने बताया कि बारिश के मौसम में दस्त-उल्टी, स्वाइन फ्लू एवं वाहक जनित रोगों (मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया) के खतरों की संभावनाएं रहती हैं। इन बीमारियों से निपटने के लिए जिले के सभी अस्पतालों में पर्याप्त दवाओं का स्टाक कर दिया गया है। एंटी स्नैक वेनम वैक्सीन, एंटी रेबीज वैक्सीन, मुख्यमंत्री मितानिन दवा पेटी के अलावा क्लोरीन टेबलेट, ब्लीचिंग पाउडर, ओआरएस पैकेट, पैरासिटामॉल, फ़्यूराजोलाडीन, मेट्रोक्लोप्रोमाइड दवाओं की स्टॉक अस्पतालो में भेज दी गई है।अस्पतालों में डेंगू, चिकनगुनिया की जांच, रैपिड डायग्नोस्टिक किट तथा पर्याप्त मात्रा में एन्टीमलेरियल दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। टेमीफ्लू दवा भी दी गई है।
इसके अलावा समीक्षा भी कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिलास्तर पर मौसमी बीमारियों कब की जानकारी एकत्र करने और बचाव राहत कार्य संचालित करने के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहे है। भारत में 236 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं,जिनमें 13 में जहर होता है। इनमें चार कोबरा, रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत बहुत जहरीले होते हैं। देश के सर्वाधिक मौतें नाग व करैत के काटने से होती हैं। बारिश में सांप काटने की घटनाएं लगभग दो गुनी हो जाती है। सर्पदंश में जागरूकता की कमी और समय पर इलाज नहीं मिल पाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सर्पदंश के मरीज को अस्पताल पहुंचाने के बजाय झाड़फूंक कराने ले जाते हैं। हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल लेकर जाते हैं, लेकिन तब तक जहर काफी फैल चुका होता है।
सीएमएचओ डॉ सोनवानी ने बताया कि अस्पतालों में आवश्यक उपकरण एवं पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध करा दी गई है। आवश्यकतानुसार स्थानीय स्तर पर भी जरूरत पड़ने पर जीवनदीप समिति से भी क्रय करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं 4 जुलाई से मौसमी बीमारियों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य जागरूकता शिविर पहुंच विहीन गांवों में चिन्हांकित कर जिले के 82 स्थानों कर शिविर लगाए जा रहे हैं। शहरीय बस्ती को भी जागरूकता शिविर के लिए चिन्हांकित किए गए हैं। लोगों के पीने के लिए बारिश में साफ पानी की व्यवस्था भी जल स्रोतों का शुद्धिकरण किया जा रहा है।