रचनात्मक डिजिटल मीडिया समाज के लिए वरदान है : के जी सुरेश
नारद जयंती समारोह में पत्रकारों का किया सम्मान
रायपुर। आद्य पत्रकार देवऋषि नारद पत्रकारिता सम्मान के आयोजन के अवसर पर मुख्य वक्ता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति के जी सुरेश ने कहा, डिजिटल मीडिया ने पत्रकारिता में बड़ा परिवर्तन किया है लेकिन उसकी विश्सनीयता को लेकर बड़ा संकट है। उन्होंने कहा, नारद जी का स्मरण करने उनकी जयंती पर आयोजन के पत्रकारों का उत्सव है। यह आयोजन पत्रकारों का, पत्रकारों के लिए और पत्रकारों के द्वारा होना चाहिए। नारद जी पूरे ब्रह्मांड के प्रत्येक वर्ग के साथ संपर्क था, देव, दानव, मानव सभी के बीच उनकी विश्वसनीयता थी। नारद जी एक अच्छे संचारक थे, अनेक विषयों के ज्ञाता थे। उनका उद्देश्य मात्र लोककल्याण था, निःस्वार्थ भाव से अपना कार्य किया करते थे।
इस अवसर पर पत्रकार को देवर्षि नारद सम्मान बीएस टीवी के ब्यूरो चीफ डॉ. अवधेश मिश्र, वरिष्ठ छायाकार भूपेश केशरवानी को रमेश नैयर सम्मान एवं वरिष्ठ पत्रकार भोलाराम सिन्हा को बाबनप्रसाद मिश्र सम्मान से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनसंपर्क विभाग में आयुक्त मयंक श्रीवास्तव थे।
देवर्षि नारद जयंती समारोह आयोजन समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में “डिजिटल क्रांति के समय पत्रकारिता” विषय पर मुख्य वक्ता डॉ. के जी सुरेश ने कहा, अभी तक प्रिंट मीडिया होनी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, संचार एकतरफा रहा है जबकि डिजिटल मीडिया के युग में हम दो तरफा संचार होने लगा है। मीडिया का लोकतांत्रिकीकरण हो गया है। इसके कारण डिजिटल मीडिया की ताकत बढ़ी है। सोशल मीडिया अब समाज को प्रभावित कर रहा है, दुनिया भर में कई बड़े आंदोलन खड़ा करने में डिजिटल मीडिया ने भूमिका निभाई। लेकिन डिजिटल मीडिया तभी प्रभावी है जब जमीन पर आंदोलन मजबूत है। डिजिटल मीडिया के नाम पर कोई भी समाचार और विचार परोसा जा रहा है, लेकिन यह पत्रकारिता नहीं है। इस क्षेत्र में अनेक एक्टिविस्ट उतर आए हैं जबकि पत्रकार को फैक्टिविस्ट होना चाहिए, तथ्यों के आधार पर पत्रकारिता होना चाहिए। इन कारणों से डिजिटल मीडिया के नाम पर पत्रकारिता को विश्वसनीयता काम हुई है। बिना योग्यता के पत्रकारिता का काम करने लगे हैं, ऐसे लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं है। पत्रकारिता में स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन स्वच्छंदता नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता में परीक्षण आवश्यक है लेकिन डिजिटल मीडिया में कोई परीक्षण नहीं हो रहा है, गलत प्रसारित हो जाने के बाद उसे हटा लेना आसान है इसलिए उसकी विश्वसनीयता अच्छी नहीं होती। डिजिटल मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता है। दूसरी चुनौती फेक समाचारों का है, कहीं का फोटो या वीडियो लेकर कुछ भी समाचार परोसा जा रहा है। सामान्य जनता इस गलत समाचारों पर भी विश्वास करते हैं, इससे समाज गुमराह हो रहा है। ऐसी समाचारों के कारण भारत में पढ़े लिखे लोग भी कोविड का टीका नहीं लगवा रहे थे। यह देश के लिए भी खतरा है। इस फेक न्यूज की पहचान करना जरूरी है। जरूरत है नागरिकों को इस खतरे के प्रति जागरूक करने की है, मीडिया साक्षरता अभियान शुरू करने की आवश्यकता हैं। डिजिटल मीडिया की ताकत का उपयोग करके सकारात्मक और रचनात्मक विषयों को जनता तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि मयंक श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि नारद ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे, वे रामायण और महाभारत जैसी रचना के प्रेरणास्त्रोत भी थे। नारद संवाददाता थे, केवल समस्या नहीं बताते थे बल्कि समस्याओं का समाधान भी देते थे। आज पत्रकारों में शासन विरोधी प्रवृत्ति है, समस्याएं तो बहुत बताते हैं लेकिन उनका समाधान नहीं बताते। आज की पीढ़ी को समस्याएं बहुत पता चलती है, इससे उनमें नकारात्मकता बढ़ती है। जबकि पीढ़ी को सकारात्मक और रचनात्मक होने की आवश्यकता है।
संबोधन के बाद अतिथियों को स्मृति चिन्ह आयोजन समिति के संयोजक आर कृष्णा दास ने दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रियंका कौशल ने किया और आभार प्रदर्शन आशुतोष मांडवी ने किया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के प्रचार प्रमुख कैलाश जी, प्रांत के प्रचार प्रमुख संजय तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय, जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।