महतारी वंदन का उपहार, हर महीने खुशियों का रिचार्ज

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डॉ. दानेश्वरी संभाकर, सहायक संचालक

छत्तीसगढ़ में अन्य कामों के शुभारंभ के लिए भले ही श्री गणेश जी की आराधना की जाती है लेकिन अब महीने की पहली तारीख माँ की वंदना अर्थात महतारी वंदन के साथ हो रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय महीने की पहली तारीख को क्लिक कर प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में महतारी वंदन योजना की राशि जो अंतरित करते हैं।

यह राशि पहली तारीख को इसलिए दी जाती है क्योंकि यह दिन नये महीने की बजट की शुरुआत का होता है। यह अतिरिक्त राशि गृहिणी के खाते में जुड़ती है और स्वाभाविक रूप से इसे खर्च करने का पूरा विवेक उसका होता है।
पहली अगस्त को दी जाने वाली यह छठवीं किश्त होगी। जुलाई सत्र में बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई और अगस्त के महीने में भी पढ़ाई-लिखाई से संबंधित खर्चे होते हैं। माताओं-बहनों ने अपने बजट के हिस्से में इसके लिए भी राशि लगाई होगी।

देश बचत से भी आगे बढ़ता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो लंबे समय से सकल घरेलू बचत का अनुपात अच्छा होने का सकारात्मक असर आर्थिक सेहत पर पड़ा। महिलाओं ने छोटे-छोटे खर्च बचाकर, छोटी-छोटी खुशियों की आहूति देकर जो बचत की, उससे परिवारों का बचत बढ़ा और यह देश की बचत राशि में जुटा।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जो राशि दे रहे हैं उससे निश्चित ही महिलाएं अपने बचत के स्वभाव के अनुरूप राशि बचाएंगी। यह चक्रवृद्धि ब्याज में बढ़ती जाएगी और आड़े वक्त में जब परिवार के लिए राशि की जरूरत होगी तो वे खर्च कर पाएंगी।

यह राशि डीबीटी के माध्यम से दी जा रही है। बैंक खाते में यह राशि जा रही है और स्वभाविक रूप से बैंकिंग सिस्टम में राशि होने से बचत के काम आयेगी। इसके साथ ही डीबीटी होने की वजह से पारदर्शिता से महिलाओं के खाते में पहुंच रही है। यह विष्णु का सुशासन है जिसमें डिजिटल टेक्नालाजी सर्वाेपरि है। पारदर्शिता है।

जरूरी नहीं कि यह निवेश वे सीधे बैंकिंग तंत्र, जीवन बीमा अथवा म्यूच्युअल फंड आदि माध्यमों से ही कर रही हों, वे अपना निवेश बच्चों की शिक्षा में लगा रही है। इतिहास गवाह रहा है कि जब भी शिक्षा में निवेश किया गया, उसके सबसे अच्छे परिणाम सामने आये हैं। हमारे यहां माता जीजा बाई का उदाहरण हैं जिन्होंने अपने यशस्वी पुत्र शिवाजी को एक महान उद्देश्य के लिए तैयार किया, शिक्षित किया। शिवा जी जैसे योग्य पुत्रों के पोषण के लिए बहुत जरूरी है कि हमारी माताओं-बहनों को हम आर्थिक शक्ति प्रदान करें।

महतारी वंदन का एक रूप धरती माता की सेवा भी है। जलवायु परिवर्तन का संकट दुनिया के सबसे बड़े संकटों में से एक है। हम सब सामान्य नागरिक इस संकट का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए ही हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ में इसे आंदोलन के रूप में आरंभ किया है। उन्होंने अपने स्कूल में रूद्राक्ष का पौधा अपनी माँ के नाम लगाया। महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों से भी उन्होंने आग्रह किया कि वे एक पेड़ माँ के नाम लगाएं।

मुख्यमंत्री ने जो स्कूल में पौधा लगाया, उसके कई मायने हैं। स्कूल में जब हम पौधा लगाते हैं तो आने वाली पीढ़ी को भी पर्यावरण से जोड़ते हैं। जिस पीढ़ी को इन पेड़ों को सहेजना है उसे इस संबंध में जागरूक करते हैं।

केवल जलवायु परिवर्तन के संकट को रोकने के लिए नहीं, हमने इस धरती से जो लिया, अपने पुरखों से जो लिया, उसे धरती को लौटाने भी हमें है। धरती माता का ऋण हमारे ऊपर है। हमें धरती का श्रृंगार पेड़ों से करना होगा तभी हम इस ऋण से उऋण हो सकेंगे।

जब हमारी माताएं महतारी वंदन योजना के अंतर्गत निवेश करती हैं तो वे बचत का एक पौधा बोती हैं जो कालांतर में विशाल वृक्ष के रूप में तैयार होगा। जब हमारी माताएं बहनें इस अभियान के साथ एक पौधा लगाएंगी तो यह पौधा भी विशाल वृक्ष के रूप में तैयार होगा।

अपनी मेहनत जब विशाल और फलदायी रूप में सामने आयेगी तो कितना संतोष इन महिलाओं को होगा। महतारी वंदन योजना और एक पेड़ मां के नाम दो अलग-अलग बातें नहीं हैं वे एक ही हैं और इसमें हमारी आगे की पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य छिपा है।

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