काव्यभारती के संस्थापक मनीष दत्त की सरकारी उपेक्षा से नाराज हुए अभिनेता अखिलेश पांडे

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बिलासपुर ,काव्यभारती संस्था के संस्थापक मनीष दत्त से मिलने अभिनेता अखिलेश पांडे उनके घर पहुंचे और जब उन्होंने इतनी बड़ी शख्सियत की माली हालत देखी तो वह काफी दुखी हो गए जिन्होंने अपना पूरा जीवन काव्य और साहित्य के लिए अर्पण कर दिया हो और जोकि छत्तीसगढ़ का एक अमूल्य धरोहर हो उसकी ऐसी सरकारी उपेक्षा कैसे की जा सकती है मनीष दत्त जिन्होंने काव्यभारती संस्था की स्थापना 67 वर्षों पूर्व की थी और सिर्फ छात्र-छात्राओं के सहयोग से हिंदी के काव्य भंडार को हिंदी समाज के घर घर और जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है हमने कालिदास से लेकर निराला प्रसाद महादेवी बच्चन आदि आज तक के कवियों के लगभग 2000 रचनाओं को स्वरबद व नृत्यबध किया है साथ ही लगभग 150 काव्य नाटिका और रूपको का मंचन भी किया है यह गीत ग्रामोफोन व आकाशवाणी के केंद्रों में बजते हैं और अनेक काव्य नाटकों पर फिल्में भी बनी है आप सहज ही समझ गए होंगे कि ऐसा कार्य हिंदी समाज में पहली बार हुआ है जिसकी प्रशंसा सुमित्रानंदन पंत महादेवी वर्मा शिवमंगल सिंह सुमन आदि कवियों ने मनीष दत्त जी कोपत्र लिखकर की है इसके बावजूद भी सरकारी तंत्र को इतने महान व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है जिसने अपना पूरा जीवन काव्य साहित्य को समर्पित कर दिया आज वह एक टूटे-फूटे छोटे से मकान में अपना जीवन यापन कर रहा है पद्मश्री के असली हकदार ऐसे ही लोग हैं परंतु सरकारी उपेक्षा से आज यह प्रतिभाएं गर्त में जाने को मजबूर है इनके पास ना जाने छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी को देने के लिए कितना ज्ञान है परंतु सरकारी तंत्र सिर्फ और सिर्फ ऐसे लोगों को संरक्षण देते हैं जोकि चाटुकारिता पर ज्यादा विश्वास करते हैं ना की प्रतिभा पर जब अखिलेश ने मनीष दत्त जी से बात की तब उन्होंने बताया छत्तीसगढ़ में ना जाने कितने विषय हैं जिस पर वह डॉक्यूमेंट्री बनाकर आने वाली पीढ़ियों को यहां की संस्कृति के बारे में बताया जा सकता है इस दौरान अखिलेश काफी दुखी नजर आए और उन्होंने कहा कि उनसे जो कुछ भी हो सकेगा इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए वह अपना पूरा प्रयास करेंगे.

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