आंजनेय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय फॉरेंसिक सप्ताह का समापन

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विद्यार्थियों ने पोस्टर मेकिंग और नुक्कड़ नाटक के जरिये पहुचाएं अपने संदेश


वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारियों ने रखी अपनी बातें
• पुलिस और न्यायालय के बीच की कड़ी है फॉरेंसिक एक्सपर्ट : डॉ दिनेश साहू


आइडेंटिटी थेफ्ट के कारण कानूनी समस्याओं और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है : डॉ विक्रांत सिंह ठाकुर


रायपुर । आंजनेय विश्वविद्यालय में आयोजित साइबर सुरक्षा सेमिनार में डॉ. विक्रांत सिंह ठाकुर ने “आइडेंटिटी थेफ्ट” पर व्याख्यान देते हुए बताया कि इसके कारण व्यक्ति को कानूनी समस्याओं और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है । उन्होंने कहा कि डीप फेक तकनीक भी एक नई चुनौती बन रही है, जिसमें नकली वीडियो या ऑडियो का उपयोग कर लोगों को धोखा दिया जाता है । साइबर क्राइम और फ्रॉड से बचने के लिए डॉ. ठाकुर ने मजबूत पासवर्ड, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण, और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के महत्त्व पर जोर दिया । उन्होंने विद्यार्थियों को सतर्क रहने और जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी ।
फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. दिनेश साहू ने कहा कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट पुलिस और न्यायालय के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं । उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञ अपराध के साक्ष्यों का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं, जिससे पुलिस को अपराधी की पहचान करने और सबूत इकट्ठा करने में मदद मिलती है । उन्होंने आगे कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान अपराधों की जांच में सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, जिससे न्याय प्रणाली सशक्त होती है । डॉ साहू ने बताया कि फॉरेंसिक विज्ञान का दायरा केवल अपराध स्थलों तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल फॉरेंसिक, डीएनए परीक्षण, रासायनिक विश्लेषण, बैलिस्टिक और दस्तावेजों की जांच जैसे कई क्षेत्रों में भी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। हर मामले में फॉरेंसिक एक्सपर्ट की भूमिका अलग होती है, और उनकी गहन जांच से अपराधों के रहस्य उजागर होते हैं।
आंजनेय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. टी. रामाराव ने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जो न केवल अपराधों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि युवाओं को एक मजबूत और चुनौतीपूर्ण करियर का अवसर भी प्रदान करता है। फोरेंसिक विज्ञान के विशेषज्ञ विभिन्न सरकारी एजेंसियों, पुलिस विभाग, न्यायालयों, और निजी संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर सकते हैं। डॉ. रामाराव ने विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक रुचि लेने और अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम हेतु कुलपति ने सभी प्राध्यापकों की सराहना की।

कार्यक्रम का संयोजन विज्ञान संकाय की डीन साइंस डॉ. शिल्पा शर्मा ने किया । इस अवसर पर संकाय के प्राध्यापकगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

बॉक्स न्यूज़
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने अपराध होने के बाद फोरेंसिक टीम की भूमिका और नई अपराधिक कानून में फोरेंसिक रिपोर्ट के महत्व को दर्शाया गया । पोस्टर प्रेजेंटेशन में विद्यार्थियों ने विभिन्न अपराधों हत्या, चोरी और रेप पर आधारित पोस्टर बनाए । इन पोस्टरों में अपराध के कारण, प्रभाव और फोरेंसिक विज्ञान के माध्यम से अपराध की जांच के तरीकों को दर्शाया गया । नुक्कड़ नाटक के दौरान विद्यार्थियों ने अपराध के बाद फोरेंसिक टीम की भूमिका को दर्शाया । उन्होंने मंचन के दौरान फॉरेंसिक एक्सपर्ट की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताने का प्रयास किया की कैसे फोरेंसिक टीम अपराध स्थल पर पहुंचकर सबूत इकट्ठा करती है और कैसे ये सबूत अपराधी की पहचान करने में मदद करते हैं ।

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