चिरौंजी से चमकेगी ग्राम खेतरपाल के ग्रामीणों की किस्मत : प्रशासन भी करायेगा 60 एकड़ में ‘चार‘ वनो का रोपण
नीति आयोग के संयुक्त सचिव ने वनांचल ग्राम खेतरपाल में कराये जा रहे विकास कार्यो का किया निरीक्षण
कोण्डागांव, बस्तर की स्वादिष्ट ‘चिरौंजी या चारोली‘ की गिनती अखरोट, बादाम, पिस्ता, काजू जैसे ड्राईफ्रुट की श्रेणी में की जाती है। वनो में मिलने वाले चार वृक्ष के फलों से प्राप्त इसकी स्वादिष्टगिरी को ही चिरौंजी कहते है। जिसका उपयोग मिष्ठान, लस्सी अथवा अन्य खाद्य पदार्थो को स्वादिष्ट एवं लिज्जतदार बनाने के लिए किया जाता है।
देश के अन्य क्षेत्रों में इसकी अधिक मांग की वजह से इसका बाजार मूल्य भी अधिक रहता है। इसके मद्देनजर विकासखण्ड केशकाल के ग्राम खेतरपाल के ग्रामीणों को सौभाग्यशाली कहा जाना उचित होगा। जहां ग्राम सीमा के सौ एकड़ क्षेत्र में चार के प्राकृतिक वनो का विस्तार है। इस वन क्षेत्र से स्थानीय ग्रामवासी पीढ़ी दर पीढ़ी चार-बीज संग्रहण कर उस महंगे चार-बीज को औने-पौने दामो में बिचौलियो अथवा स्थानीय व्यापारियों को विक्रय कर अपनी जीवीकोपार्जन करते आ रहे है। परन्तु अब यह स्थिति शीघ्र बदलने वाली है। जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम द्वारा विशेष पहल करके चिरौंजी या चार पेड़ो के संरक्षण, संवर्धन एवं उसके बीजो के विक्रय, विपणन हेतु कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत संपूर्ण ग्राम के आस-पास की 60 एकड़ भूमि पर अतिरिक्त ‘चार‘ वनो का रोपण किया जायेगा चूंकि इस वर्ष गांव की स्थानीय समिति द्वारा लगभग 5 क्ंिवटल चार बीज एकत्र किया गया है। इसे देखते हुए ग्राम में ही जिला प्रशासन द्वारा ‘चार‘ फलो को प्रोसेसिंग करने की मशीन पंचायत भवन के समीप लगा दी है, जहां समिति की महिलाऐं मशीन के माध्यम से ‘चार‘ बीजो से चिरौंजी निकालकर उसका एकत्रीकरण कर रही है। इसके साथ ही उक्त समिति द्वारा प्रशासन की देखरेख में इसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग करने की प्रक्रिया चल रही है। समिति द्वारा चिरौंजी का बाजार मूल्य प्रति किलो एक हजार रुपये रखा गया है। जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने इस संबंध में बताया कि एक ‘चार‘ वृक्ष से लगभग बीस किलो चिरौंजी प्राप्त होती है, इसे देखते हुए अब महिला समूहो को अत्यधिक एवं वास्तविक आमदनी होगी और उनका जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार आयेगा। इसके मद्देनजर जिले के अन्य क्षेत्रों में भी अब ‘चार‘ वनो के संरक्षण, संवर्धन एंव उसके रोपण की योजना बनाई जा रही है। इस दौरान महिलाओं ने गत् वर्ष 5 क्ंिवटल से भी दोगुना चिरौंजी दाना एकत्रित करने की बात कही।
नीति आयोग के संयुक्त सचिव दिलीप कुमार कल केशकाल विकासखण्ड के ग्राम खेतरपाल पहंुचे। जहां जिला कलेक्टर के साथ उन्होंने चार वृक्षारोपण स्थल का मुआयना किया। मौके पर जिला कलेक्टर ने उन्हें बताया कि उक्त स्थल में चार वृक्षो के अलावा अन्य औषधि पौधो का रोपण कराया जायेगा। तत्पश्चात् संयुक्त सचिव ने चिरौंजी प्रसंस्करण केन्द्र का भी अवलोकन किया। यहां उन्होंने चार बीजो से चिरौंजी निकलने की प्रक्रिया भी देखी और समिति की महिलाओं को प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही उन्होंने ग्राम खेतरपाल में ही बिहान महिला समूह द्वारा चलाये जा रहे हथकरघा केन्द्र भी पहुंचे जहां लगभग 40 महिलाऐं कपड़ा बुनाई का कार्य कर रही थी। महिलाओं ने संयुक्त सचिव को इस मौके पर बताया कि हमने इसी वर्ष हथकरघा कार्य का प्रशिक्षण लिया है और जल्द से जल्द इसे पूरी तरह सीखकर व्यवसाय के रुप में अपनाऐंगी।
प्राथमिक शाला केन्द्र खेतरपाल में पहुंचकर संयुक्त सचिव ने बच्चो की शिक्षा गुणवत्ता परखी
इस दौरान संयुक्त सचिव दिलीप कुमार द्वारा प्राथमिक शाला खेतरपाल में पहुंचकर कक्षा चौथी के बच्चों से उनके अंग्रेजी ज्ञान के बारे में जानना चाहा। इस पर कक्षा की दुर्गेश्वरी नामक बच्ची ने बताये गए अंग्रेजी शब्दो को सही तरीके से पढ़ा। इस पर उन्होंने बच्ची को शाबासी दी। इसके साथ ही उन्होंने नन्हें बच्चों के लिए भी फर्नीचर आदि व्यवस्था के लिए अधिकारियों को कहा। इसके पूर्व उनके द्वारा गांव के उप स्वास्थ्य केन्द्र का भी निरीक्षण किया गया जहां उन्होंने केन्द्र में दवाईयों की उपलब्धता, मरीजों के पंजी रजिस्टर तथा संस्थागत प्रसव के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान एसडीएम धनंजय नेताम, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस.सोरी, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश मिश्रा, सी.एम.एच.ओ. डॉ0 विरेन्द्र ठाकुर, उप संचालक पशुधन डॉ0 देवेन्द्र नेताम सहित अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।